Xi Jinping Biography In Hindi | सबसे बड़ा खलनायक > एक ऐसा इंसान जिसने किसी ज़माने में गुफे के अंदर ईंट के बिस्तर पर डेबरी जलाकर पढ़ाई की थी जहाँ पर कीड़े-मकोड़ो का आशियाना था लेकिन अपने कड़े संघर्ष के दम पर आज विश्व के ताक़तवर शक्तियों में गिने जाने वाले लोगों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। चीन के राष्ट्रपति सी जिनपिंग किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं क्योंकि 2020 में फैली खतरनाक और जानलेवा महामारी कोरोना की उत्पत्ति के मुख्य रचनाकार और दुनियाँ की बर्बादी के सबसे बड़े खलनायक यही महाशय हैं।
Xi Jinping Biography In Hindi | सबसे बड़ा खलनायक
एक तरफ जहाँ पूरी दुनियाँ कोरोना महामारी से जूझ रहा है, जानमाल का नुकसान हो रहा है, अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है, भविष्य को लेकर बहुत सारी चिंताएं लोगों के दिमाग में चल रही हैं वहीं दूसरी तरफ चीन अपनी धुन में मस्त है, पार्टियाँ मना रहा है, उसे कोई टेंशन नहीं है क्योंकि उसने पूरी दुनियाँ को टेंशन में डाल दिया है और इस गैर-मानवता वादी हरकत को करके उसे बड़ा ही शुकुन मिल रहा है। जानते हैं क्यों ? क्योंकि वह दुनियाँ का सबसे शक्तिशाली देश बनना चाहता है जिसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है।
चीन की विस्तारवादी मानसिकता ने यह दिखा दिया कि अगर इंसान अपनी पर आ जाए तो उससे ज्यादा घटिया और खतरनाक प्राणी इस पृथ्वी पर और कोई नहीं हो सकता और वैसे भी इंसान का जैसा खुराक होगा उसका वैसा ही दिमाग होगा और चीन वाले तो सब कुछ खा जाते हैं, जैसे -कीड़े-मकोड़े, छिपकली, मेढक आदि। कहते है ना कि “जैसा आहार वैसा विचार” और उसी विचार के रचनाकार ने बनाया एक ऐसा जैविक हथियार जिसने कर दिया पूरी दुनियाँ का बंटाधार।
दोस्तों, अब सवाल यह उठता है कि सी जिनपिंग जो वहाँ की सत्ता के शिखर पर विराजमान हैं वे इतने क्रूर शासक कैसे बने क्योंकि कुछ तो बात रही होगी यूहीं कोई इतना खतरनाक थोड़े ही बनता है। इस पृथ्वी के हर इंसान के जिंदगी की कोई न कोई कहानी होती है क्योंकि आज वह जो है उसके पीछे बीते हुए कल का कोई कारण होता है और अगर सी जिनपिंग इतने क्रूर हुए तो जाहिर सी बात है कि इसके पीछे भी कोई कहानी होगी, तो आइये अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं उनके जीवन के बारे में।
प्रारंभिक जीवन परिचय
Xi Jinping का जन्म 15 जून 1953 को हुआ था, उनके पिता सी झोंगसून (1913-2002) चीनी साम्यवादी पार्टी के एक पुराने नेता थे। सी जिनपिंग ने अपने जीवन की शुरुआत खेतों में काम करने के साथ की थी। वे किसानी किया करते थे और जहाँ पर वे किसानी करते थे वह स्थान चीन में गृह युद्ध के दौरान चीनी कम्युनिस्टों का गढ़ माना जाता था।
1968 में जब चेयरमैन माओ ने यह फरमान जारी किया कि लाखों युवा शहर छोड़कर गावों की तरफ अपना रुख करें और वहीँ से वे अपने संघर्ष भरे जीवन की शुरुआत करें और उसी फरमान ने जिनपिंग को कुछ बनने के लिए प्रेरित किया। जिनपिंग बताते हैं कि वह बचपन में गुफा के अंदर ईंट के बिस्तर पर डेबरी जलाकर पढ़ाई करते थे और उनके आस-पास कीड़े-मकोड़े घूमते रहते थे।
क्योंकि उस समय (60 के दशक में) चीन के गावों में पक्की सड़कें और बिजली जैसे व्यवस्थाओं का अभाव था और जिनपिंग को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। उस समय किसानी करने के लिए मशीने नहीं हुआ करती थी सभी काम हाथ से ही करने पड़ते थे जिनपिंग बताते हैं कि उसी समय में मैंने खाद बनाना, बांध बनाना और सड़कों का मरम्मत करना सीखा था।
माओ के जुल्म ने बनाया कठोर
60 के दशक में माओ के ढाये गए जुल्मों ने जिनपिंग को काफी मजबूत बनाया। माओ के जुल्मों ने जिनपिंग को इतना तपाया कि वे एक मजबूत और सख्त नेता के रूप में उभरे। माओ ने जिनपिंग के पिता सी झोंगसून को पार्टी से निकाल दिया और बाद में उन्हें जेल भिजवा दिया। उसी दौरान जिनपिंग के एक बहन की मृत्यु भी हो गयी थी। माओ का रेड गार्डस का आतंक कुछ इस कदर बढ़ गया था कि जिनपिंग को अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर छुपना पड़ता था और उस घटना ने जिनपिंग को काफी कठोर बना दिया और वही कारण है जो आज भी वे किसी भी फैसले को बहुत ही सख्ती और शीघ्रता से अंजाम देते हैं।
Xi Jinping कहते हैं कि मै पीली मिट्टी का बेटा हूँ, मै कही भी रहूँ लेकिन मेरा दिल लियांगजिआहे में रहता है क्योंकि उस जगह ने मुझे बनाया है।लगभग 22 साल की उम्र तक पहुँचते-पहुँचते जिनपिंग काफी समझदार हो गए थे साथ ही आत्मविश्वास से परिपूर्ण भी हो चुके थे। उस समय वे चेयरमैन माओ की प्रसिद्द छोटी लाल किताब पढ़ा करते थे।
महत्वाकांक्षा से परिपूर्ण
- 18 साल की उम्र में जिनपिंग ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत की और कम्युनिस्ट यूथ लीग में शामिल हुए।
- 21 साल की उम्र में वे बार-बार ठुकराये जाने के बाद भी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने।
- 25 साल की उम्र में उनके पिता की कम्युनिस्ट पार्टी में वापसी हुई तब तक वे कम्युनिस्ट क्रांति के बाद के कट्टर कम्युनिस्टी बन गए थे।
- पिता की आज़ादी के बाद उन्होंने अपने कैरियार को रफ़्तार दी और धीरे-धीरे पार्टी में अपना कद बढ़ाना शुरू किया।
- सत्तर के दशक में वे चीनी सेना में शामिल हो गए थे। वे कम्युनिस्ट के टॉप नेताओं में अपनी धाक जमाना चाहते थे।
- सेना में भर्ती होने के साथ ही उनकी नज़र एक बड़े लक्ष्य को पाना था। उनका सारा ध्यान अपने लक्ष्य पर ही टिका रहता था।
- जिनपिंग बचपन से ही एक संजीदगी भरी जीवन शैली में जीने वाले इंसान हैं।
- अपने दोस्तों के बीच भी वे कुछ अलग-थलग से रहते थे, न हँसते थे और न खेलते थे, बस अपनी दुनियाँ में मस्त रहते थे।
- मौज-मस्ती से उनका कोई सरोकार नहीं था, और न ही उनकीं दिलचस्पी गर्लफ्रेंड बनाने में थी।
- चिनपिंग की सिर्फ एक ही दिलचस्पी थी और वह थी जीवन में कुछ बड़ा करने का और वे उसी में जीते थे।
सी जिनपिंग अपने-आप में व्यस्त रहने वाले इंसान थे और इसी कारण से उनकी पहली शादी सफल नहीं रही जो उन्होंने एक राजनयिक की बेटी से की थी बाद में उन्होंने अपनी दूसरी शादी एक मशहूर सिंगर पेंग लियुआन से की जो उनकी मौजूदा पत्नी हैं। पेंग से शादी के बाद वे काफी सुर्ख़ियों में रहे और सालों तक उनकी पहचान पेंग के पति के रूप में ही रही।
सी जिनपिंग को शुरुआती दौर में कवर करने वाले एक पत्रकार ने बताया है कि वे काफी बोर किस्म के इंसान थे। और इसके पीछे की कहानी के बारे में लोग बताते हैं कि माओ द्वारा जिस तरह उनके पिता को सताया गया था वह घटना उनके दिलों-दिमाग में कुछ इस तरह घर कर गया था कि वे हमेशा खामोश रहते थे और कुछ ना कुछ सोचते ही रहते थे।
वैसे कोई कुछ भी कहे लेकिन जिनपिंग के अंदर की वही आग आज उनको एक विश्वस्तरीय नेता के रूप में दुनियाँ के सामने लेकर आयी है और वह अब विश्व का सबसे शक्तिशाली इंसान बनने का सपना देख रहे हैं, उनका सपना बुरा नहीं है लेकिन उनका तरीका गलत है। अगर वे यह सोचते हैं कि पूरी दुनियाँ को कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी के हवाले करके वे सुख-चैन से रह लेंगे तो उनकी यह विचारधारा सही नहीं है।
Xi Jinping Biography In Hindi | सबसे बड़ा खलनायक
सख्त विचारधारा
Xi Jinping 2012 में कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बनते हैं और चीन के राष्ट्रपति पद की शपथ लेते हैं और वहीं से होता है चीन में एक सख्त विचारधारा की शुरुआत जो चीन में एक नए बदलाव को जन्म देना शुरू करता है। क्योंकि सत्ता पर काबिज होते ही जिनपिंग ने कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कदम उठाये, जैसे – सरकारी खर्चों में कमी का एलान, शाही खर्चों से होने वाले भोज आयोजनों पर रोक, पार्टी के नेताओं के कार्यालय और उनमे इस्तेमाल होने वाले लंच और डिनर के बर्तनों पर सख्त नियम आदि।
जिनपिंग जब सत्ता में आये तो उन्होंने जनता से साफ-सुथरी सरकार का वादा किया और इसी कारण से उन्होंने बहुत सख्तियां भी की उन्होंने यहाँ तक भी एलान कर दिया कि जो गलत तरीके से पैसा कमाना चाहते वहीं वे कम्युनिस्ट पार्टी में ना आयें क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी सालों से घूसखोरी, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से ही चल रही थी।
विस्तारवादी मानसिकता
Xi Jinping चीन को विश्व का सबसे ताक़तवर देश बनाना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने व्यापार के जरिये पूरी दुनियाँ पर अपना जाल बिखेरा क्योंकि किसी भी देश को अमीर बनाने का सबसे सटीक दो फार्मूला है। पहला > बड़े पैमाने पर उत्पादन करके पूरी दुनियाँ में निर्यात (Export) करना ताकि दूसरे देशों की करेंसी अपने देश में आये जिससे अपना देश ज्यादा अमीर बन सके। दूसरा > उन कमाये गये पैसों से अपनी ताक़त बढ़ाना और उस ताक़त के दम पर दूसरे देशों को अपने अधीन करना या फिर उन पर हमला करके उनकी जमीन हथिया लेना।
हालाँकि चीन उत्पादन के मामले में जिनपिंग के आने से पहले ही काफी सक्रीय था उन्होंने अपनी बड़ी जनसँख्या को एक बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बदला ये उनकी बड़ी कामयाबी को दर्शाता है और वे इसमें काफी सफल भी रहे लेकिन 2012 में जैसे ही जिनपिंग ने सत्ता का कमान संभाला उनकी विस्तारवादी मानसिकता ने बड़ी ही तेजी से जोर पकड़ा और वे अपने आस-पास के देशों के लिए सिरदर्द बनने लगे।
भारत और चीन के बीच वास्तविक सीमा रेखा 4057 किलोमीटर है जो लद्दाख, कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम और अरुणांचल प्रदेश होकर गुज़रती है और चीन इन सीमाओं के आस-पास अपनी तुच्छी हरकतें दिखाता रहता है लेकिन भारतीय जवान उनका मुँह-तोड़ जबाब देते हुए उनको पीछे धकेल देते हैं।
चीन हिंद महासागर के रास्ते भी भारत से पंगे लेता रहता है लेकिन भारतीय नौ-सैनिक उनकी चलने नहीं देते और उन्हें मुँह की खानी पड़ती है। चीन के अपने आस-पास के और भी देशों से सीमा विवाद चलते ही रहते हैं कभी जमीनी तो कभी समुद्री। वह हिंद महासागर पर अपना कब्ज़ा जमाना चाहता है। वह श्री लंका और पाकिस्तान के रास्ते भारत को घेरने की फ़िराक में हमेशा लगा रहता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
दोस्तों, हर इंसान अपने जीवन में जो बनता है उसके पीछे उसकी पैदाईस, परवरिश और माहौल का बहुत बड़ा योगदान होता है अब चाहे वह किसान हो, नौकरी करने वाला हो, व्यापारी हो, अधिकारी हो, पेशेवर हो, कलाकार हो, राजनेता हो, धर्मगुरु हो, सन्यासी हो, चोर या डाकू हो, स्मगलर हो, आतंकवादी हो या फिर कोई तानाशाह हो।
Xi Jinping को ना ही मै यहाँ पर हीरो साबित करना चाहता हूँ और ना ही विलेन। मै एक लेखक हूँ और मुझे अपनी दृष्टि से जो सही लगता है साथ ही जो जानकारियाँ मै इंटरनेट और समाचारों के माध्यम से प्राप्त कर पाता हूँ उसी के अनुसार अपने आर्टिकल के माध्यम से आप लोगों के साथ शेयर कर लेता हूँ।
मुझे पढ़ने और लिखने का शौक है इसलिए मै देश और दुनियाँ के बारे में जानकारियाँ एकत्रित करता रहता हूँ और अपने वेबसाइट पर आर्टिकल के माध्यम से आप लोगों के साथ व्यक्त कर लेता हूँ। बस दिमाग में आया कि चीन के राष्ट्रपति के जीवन के बारे में पढूं और जब पढ़ा तो मुझे ऐसा लगा कि इस टॉपिक पर भी एक आर्टिकल लिख ही देता हूँ और मैंने लिख दिया।
आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा,तो सोच क्या रहे हैं, इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें, लाइक करें और अगर कुछ कहना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें।
आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, तब तक के लिये…..जय हिन्द – जय भारत।
धन्यवाद | शुक्रिया | मेहरबानी
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com