दोस्तों, जब से संसद में नागरिकता बिल पास हुआ है तभी से लोगों में एक अजीब सा तनाव जैसा माहौल बना हुआ है खाश करके अल्पसंख्यक वर्ग इससे ज्यादा तनाव में है कि अगर ये बिल वाकई में पूरे देश में लागू हो जाता है तो इसका उनके ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और इसी वजह से कुछ दिन पहले देश के बहुत से जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसमें देश का बहुत नुकसान हुआ था और आश्चर्य की बात यह है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान जो दंगाई थे जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आप जानते हैं कि नागरिकता बिल का मतलब क्या है तो उनका जबाब था कि हमें ये तो मालूम नहीं कि इसका मतलब क्या है लेकिन यह कहीं ना कहीं हमारे ख़िलाफ़ साज़िश है। “WHAT IS NRC/CAA/NPR || यह जानना बहुत जरुरी है“।
WHAT IS NRC/CAA/NPR
दोस्तों, आज के इस आर्टिकल द्वारा मै आप लोगों के अंदर बैठे भ्रम को दूर करना चाहूंगा और नागरिकता बिल के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश करूँगा तो आइये आगे बढ़ते हैं और आज के टॉपिक पर गहराई से चर्चा करते हैं। और जानते है कि आखिर क्या है NRC/CAA/NPR दोस्तों यह जानना बहुत जरुरी है क्योंकि कहीं ना कहीं यह मुद्दा हर एक भारतीय से जुड़ा हुआ है।
यहाँ पर सबसे पहले हम NRC, CAA, NPR का full form जानेंगे और फिर उसके बाद इनका एक – एक करके मतलब समझेंगे।
NRC : National Register Of Citizenship ( राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर )
CAA : Citizenship Amendment Act ( नागरिकता संसोधन बिल ) NPR : National Population register ( राष्ट्रीय जनसंंख्या रजिस्टर )
NRC क्या है : ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन बिल’ एक रजिस्टर है जो असम समझौता (1985 ) बांग्लादेशी स्वतंत्रता से एक दिन पहले 24 मार्च 1971 की आधी रात को राज्य में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी शरणार्थियों के नाम मतदाता सूची से हटाने और वापस बांग्लादेश भेजने के लिए बनाया गया था। पूरे भारत में सिर्फ असम ही एकमात्र राज्य है जहाँ पर अभी NRC लागू है।
NRC ( राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ) में उन भारतीय नागरिकों के नाम हैं जो वास्तविक में असम के वैध नागरिक हैं। यह रजिस्टर विशेष रूप से असम के लिए ही बनाया गया था लेकिन 20 नवम्बर 2019 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि इस रजिस्टर का पूरे भारत में विस्तार किया जाएगा उन्होने कहा था कि इसे भारत की जनगणना 1951 के बाद तैयार किया गया था। इसे जनगणना के दौरान वर्णित सभी व्यक्तियों के विवरणों के आधार पर तैयार किया गया था कि जो लोग असम में बांग्लादेश बनने के पहले ( 25 मार्च 1971 के पहले ) आए हैं, केवल उन्हें ही भारत का नागरिक माना जाएगा।
असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाये गए NRC ( राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ) आखिरी सूची 31 अगस्त 2019 को जारी की गई इस सूची में राज्य के 3.29 करोड़ लोगो में से 3.11 करोड़ लोगों को भारत का वैध नागरिक हैं, वहीं करीब 19 लाख लोग इससे बाहर हैं। जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं उनके सामने अब भी फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में अपील करने का मौका है। फाइनल NRC में उन लोगों के नाम शामिल किये गए जो 25 मार्च 1971 के पहले से असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं। इस बात का सत्यापन सरकारी दस्तावेजों के जरिये किया गया।
WHAT IS NRC/CAA/NPR || यह जानना बहुत जरुरी है
NRC में शामिल होने के लिए जरुरी दस्तावेज : ये सभी दस्तावेज 24 मार्च 1971 की मध्यरात्रि तक जारी होने की स्थिति में ही वैध होंगे।
(1) जमीन के दस्तावेज जैसे – बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज।
(2) राज्य के द्वारा जारी किया गया स्थाई निवास प्रमाणपत्र।
(3) भारत सरकार द्वारा जारी पासपोर्ट।
(4) भारतीय जीवन बीमा निगम ( LIC OF INDIA ) की बीमा पालिसी।
(5) किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस /प्रमाणपत्र।
(6) सरकार या सरकारी उपक्रम तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज।
(7) बैंक या डाकघर में खाता।
(8) राज्य सरकार द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र।
(9) बोर्ड / विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र।
(10) न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज।
ये सभी दस्तावेज असम में लागू NRC से सम्बंधित हैं पूरे भारत में NRC लागू करने की प्रक्रिया के नियम के अनुसार जो भी दस्तावेज होंगे वे अभी अस्तित्व में नहीं आये है वे जब आएंगे तब हम उसके बारे में भी आपको बताएँगे।
WHAT IS NRC/CAA/NPR || यह जानना बहुत जरुरी है
CAA क्या है : जब से संसद में नागरिकता संशोधन कानून पास हुआ है तभी से पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं कई जगह तो यह प्रदर्शन बड़ा ही हिंसक रूप ले चुका है। देश की तमाम राजनितिक पार्टियाँ भी इसका विरोध कर रही हैं। हालांकि जब प्रदर्शनकरियों से CAA को लेकर सवाल किये जाते हैं तो ये पाया जाता है कि उन्हें इस कानून के बारे में सही और पूरी जानकारी नहीं हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और इस Topic पर गहराई से चर्चा करते हैं।
नागरिकता संशोधन कानून 2019 : पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया हैं। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया हैं।
नागरिकता कानून 1955 : के मुताबिक अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती है। कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर घुस आए हों या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हों लेकिन उसमें उल्लिखित अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक जाएं।
अवैध प्रवासियों को या तो जेल में रखा जा सकता है, या फिर विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 के तहत वापस उनके देश भेजा जा सकता है। लेकिन केंद्र सरकार ने साल 2015 और 2016 में उपरोक्त 1946 और 1920 के कानूनों में संशोधन करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन को छूट दे दी है। इसका मतलब यह हुआ कि इन धर्मों से संबंध रखने वाले लोग अगर भारत में वैध दस्तावेजों के बगैर भी रहते हैं तो उनको न तो जेल में डाला जा सकता है और न उनको निर्वासित किया जा सकता है यह छूट उपरोक्त धार्मिक समूह के उन लोगों को प्राप्त है जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत पहुंचे हैं। इन्हीं धार्मिक समूहों से संबंध रखने वाले लोगों को भारत की नागरिकता का पात्र बनाने के लिए नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 संसद में पेश किया गया था।
CAA पर विरोध का कारण : इसको लेकर विपक्ष का सबसे बड़ा विरोध यह है कि इसमें खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है। उनका तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है समानता के अधिकार की बात करता है। इसी के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के एक एक बड़े वर्ग का कहना है कि अगर नागरिकता संशोधन कानून 2019 को लागू किया जाता है तो पूर्वोत्तर के मूल लोगों के सामने पहचान और आजीविका का संकट पैदा हो सकता है।
WHAT IS NRC/CAA/NPR || यह जानना बहुत जरुरी है
NPR क्या है : यह देश के सामान्य नागरिकों की सूची है, इसमें देश के सभी नागरिकों का पंजीकरण अनिवार्य है और इसे NRC लागू करने का पहला कदम माना जा रहा है। NPR के लिए एक सामान्य निवासी वह है जो कम से कम छह महीने या उससे ज्यादा समय के लिए स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है, या वह अगले छह महीने या उससे अधिक समय के लिए निवास करने की मंशा रखता है। भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी के लिए NPR में पंजीकरण करना अनिवार्य है।
मोदी कैबिनेट ने 2021 की जनगणना और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी NPR को अपडेट करने की मंजूरी दे दी है। जनगणना 2021 में शुरू होगी लेकिन NPR अपडेट का काम असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1 अप्रैल 2020 से 30 सितम्बर 2020 चलेगा। गृह मंत्रालय ने 2021 की जनगणना के लिए 8 ,754 करोड़ रूपये और NPR अपडेट के लिए 3,941 करोड़ रूपये के खर्च के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
NPR सामान्य रूप से भारत में रहने वालों या यूजुअल रेजिडेंट्स का एक रजिस्टर है, भारत में रहने वालों के लिए NPR के तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, यह भारतीयों के साथ भारत में रहने वाले विदेशी नागरिकों के लिए भी अनिवार्य होगा, NPR का मक़सद देश में रहने वाले लोगों के व्यापक रूप से पहचान से जुड़ा डेटाबेस तैयार करना है।
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आपका दोस्त / शुभचिंतक अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर