Satmola Success Story In Hindi > पुरानी दिल्ली की गलियों से निकली शिवशंकर घोड़े वाले की चूरन की गोली जिसे आज सतमोला के नाम से जाना जाता है, बड़ी ही रोमांचक है इसकी कहानी जिसे आप सुनेंगे अमित दुबे की जुबानी, तो बने रहियेगा हमारे साथ क्योंकि इस आर्टिकल में होगी सिर्फ और सिर्फ सतमोला की कामयाबी पर बात।
Satmola Success Story In Hindi
दिल्ली के लालकिले के ठीक सामने चाँदनी चौक है, थोड़ा आगे जाकर बायें हाथ पर एक सड़क मुड़ती है जो दरीबाकलां के नाम से जानी जाती है। यह दिल्ली की सबसे बड़ी ज्वैलरी मार्केट है इसी सड़क पर आगे जाकर दायें हाथ की तरफ एक पतली सी गली निकलती है जिसे किनारी बाजार के नाम से जाना जाता है जहाँ पर गोटा-किनारी समेत शादियों, त्योहारों और रामलीलाओं आदि के सामान थोक भाव में मिलते हैं।
इसी किनारी बाजार की एक गली में शिवशंकर घोड़े वाले अपनी पत्नी और 5 बच्चों समेत एक 40 गज के किराये के मकान में रहते थे। पूरा परिवार मिलकर चूरन की गोलियाँ बनाता था और शिवशंकर जी उन्हें बेचते थे, कुछ इस प्रकार उनके घर का खर्चा चलता था।
शिवशंकर जी के बेटे और इस समय सतमोला कंपनी के चेयरमैन अनिल मित्तल जी बताते हैं कि वही 40 गज का मकान हमारा घर भी था और फैक्टरी भी, अनिल मित्तल यह भी बताते हैं कि सुबह-सुबह उठकर पहले हम सभी भाई-बहन मिलकर चूरन बनाते थे उसके बाद स्कूल जाते थे, कुछ इस तरह की थी हमारी जिन्दगी।
वे कहते हैं कि चूरन की गोलियाँ बनाना हमारे रोजमर्रा जीवन की पहली प्राथमिकता थी क्योंकि हमारे घर की रोजी-रोटी उसी से चलती थी।
अनिल मित्तल जब धीरे-धीरे बड़े होने लगे तो उन्हें अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा कि इस तरह से काम करने पर सिर्फ हम किसी तरह अपना जीवन-यापन ही कर पायेंगे और इससे ज्यादा कुछ नहीं।
दोस्तों, इस प्रकृति का एक नियम है कि जब तक आप उससे कुछ माँगोगे नहीं तब तक वो आप को उसे पाने का रास्ता भी नहीं बतायेगा बिल्कुल उसी तरह हमारा अवचेतन मस्तिष्क भी है, एक बार जब हम कोई काम उसे दे देते हैं उसके बाद वह उसे पूरा करने में लग जाता है।
अनिल मित्तल के चेतन मस्तिष्क में एक इच्छा जागी और उस इच्छा को अवचेतन मस्तिष्क ने सुना फिर क्या था अनिल जी ने अपने पिता जी के उस छोटे से काम को एक बड़े साम्राज्य में बदलने का सपना देखा, उसके बाद फिर उन्होने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा परिणाम स्वरुप आखिर बदलने ही लगी उनके भाग्य की रेखा।
अनिल जी चूरन बनाने से लेकर उसे पैकेट का रुप देना तथा बाजार नें जाकर उन्हे बेचना इन सभी कामों में पूरी तरह निपुड़ हो चुके थे रिटेल तो करते ही थे साथ में होलसेल की तरफ भी कदम बढ़ाने का मन बनाया और इसके लिये एक बड़ी जगह और ज्यादा स्टाफ की जरुरत थी।
Satmola Success Story In Hindi
1978 में उन्होने पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर में एक 90 गज की फैक्टरी से 10 कर्मचारियों के साथ काम को बड़ा करने की शुरुआत की। उस समय डाबर के हाजमोला और हमदर्द के पचनोल का जमाना था इन्होने अपने हाजमे की गोली का नाम पचमोला रखा जिस पर हमदर्द वालों ने केस कर दिया इन्होने उसके बाद नाम को बदलकर सतमोला रखा जिस पर इनके ऊपर डाबर वालों ने केस कर दिया, लेकिन इससे निपटने के लिये अनिल जी ने वकील किया और जैसे-तैसे मामले को निपटाया परिणामत: सतमोला नाम बरकरार रहा।
समय बीतता रहा, सतमोला बाजार में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा। 1988 में इन्होने दिल्ली से सटे साहिबाबाद में अपनी एक बड़ी फैक्टरी लगाई और इस तरह सतमोला ने अपने-आप को हाजमें की गोली के एक बड़े ब्रांड के रुप में खुद को स्थापित किया, आज भारतीय बाजार में इनका 30% से 40% तक का शेयर है।
यहाँ तक का सफर तय कर लेने के बाद अनिल मित्तल अभी रुके नहीं थे फिर क्या था, एक के बाद एक प्रोडक्ट बनाने की जैसे उन्होने मुहीम ही शुरु कर दी जैसे-नमकीन, माउथ फ्रेशनर, फ्रुट ड्रिन्क्स, स्वीट्स पैक, गिफ्ट पैक आदि।
आज साहिबाबाद में सतमोला की 5 फैक्ट्रियाँ हैं और बहुत ही बड़े पैमाने पर इनका व्यापार फल-फूल रहा है इनके कंपनी में 1000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैैं।इनके कंपनी का पूरा नाम है SSG FARMA PVT LTD जिसमें SSG का फूल फार्म है शिवशंकर घोड़े वाला।
दोस्तों, जब किसी ने अनिल मित्तल से एक सवाल किया कि इस नाम के पीछे का आखिर क्या राज है तो उन्होने इस राज पर से पर्दा उठाते हुये कहा कि, एक बार मेरे दादा जी ने एक सपना देखा कि मेरा बेटा शिवशंकर घोड़े पर सवार होकर चला आ रहा है और वह सपना मेरे दादा जी के दिमाग पर कुछ इस कदर सवार हो गया कि उन्होने शिवशंकर को शिवशंकर घोड़े वाला नाम दे दिया और 1940 में इसी नाम से हमारे चूरन की गोलियों का रजिस्ट्रेशन भी करा लिया।
शिवशंकर घोड़े वाले के नाम से हमारे चूरन की गोलियाँ पूरे पुरानी दिल्ली में मशहूर होने लगीं और यह सफर यूँ हीं चलता रहा लेकिन 1960 के बाद जब मैने इस काम में कदम रखा तो मेरा इरादा कुछ बड़ा करने का हुआ और मैने अपने बड़े सपने और कड़े संघर्ष के बल पर शिवशंकर घोड़े वाले को SSG PHARMA PVT LTD में बदल दिया जिसका ब्रांड नेम सतमोला रखा जिसके बारे में आप जान ही चुके हैं।
जब अनिल मित्तल से किसी व्यक्ति ने सवाल किया कि आपकी सफलता की राहों में उतार-चढ़ाव भी आये होंगे तो उन्होनें मुस्कुराकर जबाब देते हुये बताया कि जब मैने अपने काम को बड़ा करने की शुरुआत की तो दिल्ली के थोक बाजार खारी बावली और आजाद मार्केट जैसे बाजारों से निराशा हाथ लगी क्योंकि मै कैश में माल बेचता था और वहाँ के थोक दुकानदारों ने मुझे अपने काउंटर पर खड़ा भी नहीं होने दिया उनका कहना था कि माल छोड़ जाओ बिक जायेगा तो पैसे दे देंगे जो मुझे नागवार गुजरा और मैने दूसरी रणनीति बनाने पर विचार किया।
अनिल मित्तल आगे बताते हुये कहते हैं कि मेरी नई रणनीति काम आई जिसके अन्तर्गत मै खुद छोटे-छोटे दुकानों पर जैसे – पान की दुकान, परचून की दुकान, छोटे जनरल स्टोर आदि पर जाता था और उन्हें कैश में माल बेचकर आता था।
हमारे प्रोडक्ट में दम था और वह बिकने लगा फिर क्या था खारी बावली और आजाद मार्केट वाले थोक व्यापारी भी हमें ढूँढने लगे और मैने उनसे कैश माल देने की बात कही वे मान गये और इस तरह अपनी गाड़ी और आगे बढ़ी।
अनिल मित्तल जी कहते हैं कि अगर इंसान के सपनों में दम हो, कुछ करने का जुनून हो, दूरदृष्टि हो, रिस्क लेने की हिम्मत हो साथ में धैर्य हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है, कहीं भी पहुँच सकता है, जब मै पहुँच सकता हूँ तो आखिर कोई और क्यूँ नहीं।
दोस्तों, आशा करता हूँ कि सतमोला कंपनी की यह कहानी आपके लिये प्रेरणा का स्रोत साबित होगी और इस कहानी से कुछ सीखते हुये आप भी अपने जीवन को कामयाबी की दिशा में ले जा पाने में सहायक होंगे।
तो आज के लिये सिर्फ इतना ही अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे किसी नये टॉपिक के साथ, तब तक के लिये..जय हिन्द – जय भारत
इस व्यस्तता भरे जीवन शैली में से आपने अपना कीमती समय निकालकर यह आर्टिकल पढ़ा इसके लिए हम और हमारी टीम आपका तहे दिल से आभार व्यक्त करते हैं और आशा करते हैं कि इस आर्टिकल को आप अन्य लोगों के साथ Share भी करेंगे, इसे Like भी करेंगे और इस पर Comment भी करेंगे।
धन्यवाद | शुक्रिया | मेहरबानी
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com