Mukesh Ambani Vs Anil Ambani | अनिल अंबानी की बर्बादी क्यों

धीरूभाई अंबानी की दो संताने मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी 2002 में जब धीरूभाई अंबानी की मृत्यु हुई उसके बाद से ही दोनों भाइयों के मन में कशमकश की शुरूआत हो गयी थी और 2004 में उसने टूल पकड़ा परिणामतः 2005 में बंटवारा हो गया और जाहिर सी बात है कि हिस्से भी दोनों को बराबर ही मिले होंगे लेकिन ऐसा क्या हुआ कि आज एक भाई अर्श पर है तो दूसरा फर्श पर है ? इस आर्टिकल के माध्यम से हम “Mukesh Ambani Vs Anil Ambani | अनिल अंबानी की बर्बादी क्यों” के बारे में आपको विस्तार से बतायेंगे, तो आइये अब शुरू करते हैं।

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Mukesh Ambani Vs Anil Ambani | अनिल अंबानी की बर्बादी क्यों
Mukesh Ambani Vs Anil Ambani | अनिल अंबानी की बर्बादी क्यों

Mukesh Ambani Vs Anil Ambani | अनिल अंबानी की बर्बादी क्यों

मुकेश अंबानी बनाम अनिल अंबानी

सीधी सी बात है कि किसी भी घर में जब मुखिया की मृत्यु होती है तो उनके बच्चों में संपत्ति और अधिकारों को लेकर विवाद छिड़ना तय है। इतिहास गवाह है उदाहरण के तौर पर महाभारत की लड़ाई। क्योंकि भाइयों में कितना भी प्यार हो लेकिन एक ना एक दिन ये दिन सबको देखने ही पड़ते हैं। राजा हो या रंक संपत्ति चीज ही ऐसी होती है कि इसके चक्कर में विवाद हो ही जाता है और अगर अंबानी परिवार में भी ये हुआ तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

2002 में धीरूभाई अंबानी के मृत्यु के पश्चात् बड़े भाई मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बने और छोटे भाई अनिल अंबानी मैनेजिंग डायरेक्टर धीरे-धीरे दोनों भाइयों के बीच तनाव का माहौल बनता रहा और 2004 में इसने भयंकर रूप धारण किया परिणाम स्वरुप 2005 में दोनों भाई अलग हो गए। उस समय दोनों भाइयों की कुल संपत्ति 7 अरब डॉलर थी लेकिन आज के समय में दोनों भाइयों की संपत्ति में जमीन आसमान का फर्क हो गया है।

बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी ने पेट्रोकेमिकल, ऑयल और गैस जैसे कारोबार का दारोमदार संभाला और अनिल अंबानी ने टेलिकॉम, कैपिटल और एनर्जी के क्षेत्र में कदम रखा और इस तरह दोनों भाई अपने-अपने दिशा में आगे बढ़ते हैं लेकिन दोनों के बीच एक करार भी होता है कि वे दोनों आने वाले 5 सालों तक एक-दूसरे के व्यापार में किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं करेंगे अर्थात जो बिज़नेस मुकेश के पास है उसमे अनिल नहीं आएंगे और जो बिज़नेस अनिल के पास है उसमे मुकेश नहीं आएंगे।

एक साल बाद ही 2006 में एक ऐसा समय आया जब अनिल अंबानी की कुल संपत्ति मुकेश अंबानी से ज्यादा हो गयी थी। लेकिन आज के समय में मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति 76.5 अरब डॉलर है और अनिल अंबानी की कुल संपत्ति 1अरब डॉलर से भी कम हो गयी है इसी के साथ अरबपतियों की सूची से तो बाहर हो ही गए हैं ऊपर से उनके सिर पर कई हज़ार करोड़ का कर्ज भी हो गया है।

2007 में मुकेश अंबानी भारत के सबसे अमीर व्यक्ति थे और उस सूची में अनिल अंबानी तीसरे स्थान पर थे। वैसे 2008 में दोनों भाई की संपत्ति लगभग एक-दूसरे के बराबर ही थी लेकिन 2009 में जब पूरी दुनियाँ मंदी के दौर से गुज़र रही थी उस समय उसके शिकार रिलायंस बंधू भी हुए थे। उस मंदी के असर से मुकेश अंबानी तो जल्द उबर गए थे और अपने बिज़नेस को ढर्रे पर लाते हुए आगे बढ़ गए लेकिन अनिल अंबानी उस दलदल में ऐसे फंसे कि आज भी उबर नहीं सके।

अनिल अंबानी आज दिवालिया होने की कगार पर हैं बीच में तो ऐसी परिस्थिति बन गयी थी कि कहीं उनको जेल ही ना जाना पड़ जाए लेकिन उस परिस्थिति से वे फ़िलहाल बच गए और सूत्रों का कहना है कि उन्हें जेल जाने से बचाने में मुकेश अंबानी ने ही मदद की थी।

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Mukesh Ambani Vs Anil Ambani | अनिल अंबानी की बर्बादी क्यों

अनिल अंबानी की बर्बादी क्यों ?

रिलायंस कम्युनिकेशन पर भारी पड़ा रिलायंस जिओ

अब सवाल यह उठता है कि ऐसा क्या हुआ जिसके कारण अनिल अंबानी का ग्राफ नीचे गिरता गया और वे भारी कर्जे में डूब गए इसके पीछे का एक मुख्य कारण तो यह है कि मुकेश अंबानी का टेलिकॉम की दुनियाँ में कदम रखना।

क्योंकि 2005 में जब दोनों भाई अलग हुए थे तो उनमे जो समझौता हुआ था वह समझौता 2010 में ख़त्म होते ही मुकेश अंबानी ने टेलिकॉम की दुनियाँ में कदम रखने का फैसला किया और उन्होंने जियो के साथ ऐसी एंट्री की कि भारतीय टेलिकॉम की दुनियाँ में तहलका मच गया।

जियो ने अपने लुभावने प्लान से ग्राहकों को ऐसा मंत्रमुग्ध किया कि भारत का हर मोबाइल धारक अपने पास एक जियो का सिम रखने पर मजबूर हो गया। जियो के उस तूफान के आगे भारतीय टेलिकॉम इंडस्ट्रीज सकते में आ गया था और उसका सबसे ज्यादा प्रभाव अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन पर ही पड़ा।

2016 में मुकेश अंबानी ने जब जियो को लॉन्च किया तो कुछ समय बाद उनके ग्राहकों की संख्या 1.59 करोड़ थी जबकि उस समय अनिल अम्बानी के रिलायंस कम्युनिकेशन के ग्राहकों की संख्या 8.71 करोड़ थी।

अगर उस समय का ग्राफ देखा जाए तो अनिल अंबानी के रिलायंस कम्युनिकेशन का मार्केट शेयर 8% से ज्यादा था जबकि मुकेश अंबानी की जिओ के पास सिर्फ 1.52% मार्केट शेयर था लेकिन अब इसमें भारी फेर-बदल होते हुए 2020 के आंकड़ों के अनुसार जिओ का मार्केट शेयर 33% से ऊपर पहुँच गया है और अब उसके ग्राहकों की संख्या लगभग 40 करोड़ पहुँच गयी है।

इस उलट-फेर में इतना बदलाव आया कि अब अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन का मार्किट शेयर 0.002% पर आ गया है और उसके ग्राहकों की संख्या 20 हजार के नीचे आ गया है। इस तरह बर्बाद हुए अनिल अंबानी टेलिकॉम कंपनी से जिसकी वजह से उनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी।

कंपनी के असीमित विस्तार से खर्चा बढ़ा

अनिल अंबानी के हाथों में जब विरासत में मिली दौलत आयी तो उन्होंने ने बड़ी ही तेजी से अपना साम्राज्य बढ़ाना चाहा। जिसकी वजह से उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर, म्युचुअल फंड्स, बीमा, डिफेंस, सिनेमा, डीटीएच, एफएम रेडिओ आदि के क्षेत्र में अच्छा-खासा रकम निवेश किया और इस विस्तार की वजह से कंपनी का खर्च बढ़ता गया।

कई कंपनियां घाटे में रहीं नहीं हुआ मुनाफा

अनिल अंबानी ने अपनी कंपनी को और बड़ा करने के चक्कर में अपना दायरा तो बढ़ा लिया लेकिन वे उनसे मुनाफा नहीं कमा पाए। उनकी कई कंपनियां घाटे का सौदा साबित हुईं और इस कारण से उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती गयी परिणामतः अनिल अंबानी 1 लाख करोड़ से ऊपर के कर्जे तले दब गए।

निष्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों, कोई कुछ भी कहे लेकिन एक बात तो है कि किसी-किसी का भाग्य भी जबरदस्त होता है जैसे – मुकेश अम्बानी ने जिस भी काम में हाथ डाला उसमे उन्हें अच्छी-खाशी कामयाबी मिली और वहीं पर अनिल अंबानी ने जिस भी काम में हाथ डाला उसमे से कई में उनको नुकसान झेलना पड़ा या फिर यूँ भी कह सकते कि मुकेश अंबानी के पास अनिल अंबानी से ज्यादा और अच्छा अनुभव था या फिर उनका काम करने का तरीका अनिल अंबानी से ज्यादा बेहतर था।

खैर कुछ भी हो लेकिन दुनियाँ तो चमत्कार को ही नमस्कार करती है अब उस चमत्कार में चाहे सामने वाली की किस्मत हो या मेहनत हो या फिर कुछ और, जिसके पास पैसे हैं उसी से दुनियाँ पूछती है कि आप कैसे हैं।

आज मुकेश अंबानी भारत के सबसे अमीर इंसान हैं ये उनकी काबिलियत ही कही जायेगी और दूसरी तरफ अनिल अंबानी भारी कर्जे में डूबे हुए हैं जो उनकी नाकामयाबी को स्पष्ट करती है।

इसके पीछे की कहानी के बारे में हम कुछ भी नहीं कहना चाहेंगे कि, आखिर क्या हुआ ? क्यों हुआ ? कैसे हुआ ? “क्योंकि हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है”।

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आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल हम फिर मिलेंगे, तब तक के लिए…..जय हिन्द – जय भारत।

आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com

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