KFC Success Story > इसमें एक ऐसे इंसान के जीवन की कहानी है जो 62 साल की उम्र तक मुफ़रसी में जीते हैं लेकिन उसके बाद वह अपने नए जीवन की शुरुआत करते हैं और अपने अंदर के हुनर को अपने जिंदगी की सबसे बड़ी चाबी बना दी और निकल पड़े सफलता नामक ताले को खोलने और फिर पुरे दुनियाँ में फैलाया अपना अरबों का साम्राज्य पर कैसे ? सब कुछ बतायेंगे, पूरे रहस्य पर से पर्दा भी उठायेंगे, बस बने रहियेगा हमारे साथ, तो आइये अब शुरू करते हैं।
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KFC Success Story
About KFC In Hindi
KFC (Kentucky Fried Chicken) एक फ़ास्ट फ़ूड रेस्टोरेंट है जो मैक्डोनल्ड्स के बाद दुनियाँ की सबसे बड़ी फ़ास्ट फ़ूड रेस्टोरेंट कंपनी है जिसका मुख्यालय अमेरिका के केंटुकी में है। इसके संस्थापक कर्नल सैंडर्स हैं जो अब इस दुनियाँ नहीं रहे लेकिन उनकी तश्वीर आज भी उन्हें जिन्दा रखती है। KFC के रेस्टोरेंट के बाहर या फिर KFC के नाम के साथ जो तश्वीर हम देखते हैं वो कर्नल सैंडर्स की है।
KFC Success Story के हीरो कर्नल सैंडर्स के जीवन की कहानी बड़ी ही रोमांचक है। जो लोग सफलता की राहों में बढ़ती उम्र को लेकर निराश रहते हैं यह Story उनके लिए मिल का पत्थर साबित हो सकती है, तो आइये अब शुरू करते हैं और जानते हैं कर्नल सैंडर्स के जीवन के बारे में।
असफल और निराश लोगों के लिए रामबाण कहानी
KFC के Owner > कर्नल हरलैंड सैंडर्स की जीवनी
प्रारंभिक जीवन
कर्नल सैंडर्स का जन्म 9 सितम्बर 1890 को अमेरिका के इंडियाना प्रान्त के हेनरिविले नामक कस्बे में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम विल्बर डेविड सैंडर्स और माता का नाम मार्गरेट एन सैंडर्स था। वे कुल तीन भाई-बहन थे जिनमे सबसे बड़े वही थे। जब कर्नल सैंडर्स महज 5 साल के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी और उसके बाद से उन पर घर की जिम्मेदारी आ गई।
पिता की मृत्यु के बाद वे अपनी माँ का हाथ बटाने लगे जिसमे अपने छोटे भाई-बहनों के लिए खाना बनाना भी शामिल था। कुछ साल बाद उनकी माँ ने दूसरा विवाह कर लिया जिसके बाद उनके सौतेले पिता से उनकी नहीं बन पाई जिसकी वजह से वे अपना घर छोड़कर भाग गए।
शैक्षणिक जीवन
कर्नल सैंडर्स ने सिर्फ सातवीं तक ही पढ़ाई की थी क्योंकि परिस्थितियाँ ही कुछ ऐसी बन गई थी जिसकी वजह से वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। इसलिए कि जब वे सातवीं में पढ़ रहे थे तभी उनकी माता ने दूसरा विवाह कर लिया जिसकी वजह से उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा और उसके बाद उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या थी और साहेब जब एक तरफ पापी पेट का सवाल हो और दूसरी तरफ पढ़ाई तो इस जंग में इंसान को पापी पेट की ही सुननी पड़ती है। इसलिए उन्हें पढ़ाई का त्याग करना पड़ा।
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संघर्ष भरा जीवन
कर्नल सैंडर्स ने जब अपना घर छोड़ा तो उन्हें अपने जीवन-यापन के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा जिसके लिए उन्हें तरह-तरह के काम करने पड़े। जैसे – स्टीम बोट की नौकरी, जीवनबीमा सेल्समैन की नौकरी, फायर मैन की नौकरी, बस कंडक्टर की नौकरी, लोहार की नौकरी, सेना की नौकरी आदि लेकिन वे कभी भी किसी भी काम में सफल नहीं हो पाए।
विवाह और बच्चे
कर्नल सैंडर्स ने 18 साल की उम्र में जोसेफिन किंग नामक महिला से अपना विवाह किया और महज 19 साल की उम्र में वे एक लड़की के पिता भी बन गए लेकिन उनके जीवन में शायद वह ख़ुशी रास नहीं आई और कुछ साल बाद ही उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर चली गई और साथ में लड़की भी लेकर चली गई। उसके बाद उन्होंने क्लाउडिआ प्राइस से शादी की जिससे उन्हें तीन बच्चे हुए।
व्यावसायिक जीवन
लगभग 40 साल की उम्र में सैंडर्स Kentucky में एक गैस सर्विस स्टेशन चला रहे थे लेकिन उसकी कमाई से वे पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। जिसकी वजह से उन्होंने कुछ और कमाई करने की योजना बनाई और सर्विस स्टेशन के साथ ही वे यात्रियों को खाना भी परोसने का काम भी करने लगे उनका फ्राइड चिकन लोगों को खूब पसंद आया और लगातार लोगों की भीड़ बढ़ने लगी।
बढ़ती भीड़ को देखते हुए उन्होंने सड़क के दूसरी तरफ एक बड़ा सा रेस्टोरेंट खोला जिसमे एक साथ 142 लोग बैठकर खाना खा सकते थे। उनके रेस्टोरेंट में फ्राइड चिकन के साथ-साथ और भी चीजें परोसी जाने लगीं लेकिन उनका फ्राइड चिकन कुछ ऐसा प्रसिद्द हुआ कि वहां के गवर्नर ने सैंडर्स को कर्नल की उपाधि से सम्मानित किया। तभी से उनके नाम के साथ कर्नल शब्द जुड़ गया।
बर्बादी और अकेलापन
1950 में जब उनकी उम्र 60 साल की थी उस समय उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जिसने उनकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया। जिस जगह पर वे अपना रेस्टोरेंट चला रहे थे उस जगह से हाईवे निकलने के कारण उनका चलता हुआ कारोबार ख़त्म हो गया जिसकी वजह से वे फिर से कंगाल हो गए और कंगाली भी ऐसी आयी कि रोजी-रोटी के भी लाले पड़ गए।
मुआवजे के रूप में सरकार से जो चेक उन्हें मिला था वो उनके आँसुओं को पोछने के लिए बहुत कम था। कुछ इस तरह जिंदगी की राहों में भटकते-भटकते वे 60 की उम्र भी पार कर गए थे लेकिन किसी मुकाम पर नहीं पहुँच पाए और जब पीछे मुड़कर देखा तो उनका सारा जीवन ही निराशा भरा था।
वे अकेले में अपने आप से बात करते हुए एक बार चिंता को छोड़ चिंतन की दुनियाँ में खो गए लेकिन जब वे वापिस आये तो साथ में एक आशा की किरण भी लाये कि मेरे अंदर जो हुनर है क्यों ना मै उसी को अपनी जिंदगी को समर्पित कर दूँ और वह हुनर था उनकी चिकन रेसिपी जिस पर उन्होंने फिर से काम करना शुरू कर दिया।
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KFC की शुरुआत
उस समय कर्नल सैंडर्स की उम्र 62 साल की हो चुकी थी, अच्छा-खाशा चलता हुआ बिज़नेस बर्बाद हो चूका था, जेब में फूटी कौड़ी नहीं थी, कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर करें क्या, ख़ुदकुशी जैसे विचार भी दिमाग में आ चुका था, लेकिन वे एक बार फिर से अपने आप को सँभालते हैं और चिंता को छोड़कर चिंतन की तरफ रुख करते हैं।
उनके मन में एक विचार आया कि मै एक अच्छा कुक तो हूँ ही तो क्यों ना इसी को अपने जीवन का आधार बनाया जाए और वे निकल पड़ते हैं अपनी चिकन रेसिपी के हुनर, कूकर और मशाले के साथ फ्राइड चिकन रेसिपी की मार्केटिंग करने लेकिन वहाँ भी वे असफल ही रहे क्योंकि एक के बाद एक लगातार 1008 रेस्टोरेंट के चक्कर काटने के बाद भी किसी रेस्टोरेंट के मालिक ने भी उनके फ़्राईड चिकन रेसिपी को पसंद नहीं किया।
लेकिन वे रुके नहीं लगातार चलते ही रहे और उनकी मेहनत रंग लाई और 1009 वें रेस्टोरेंट मालिक (Pete Harman) को उनकी रेसिपी पसंद आई और वहीं से शुरू हुआ एक ऐसा सफर जिसने पूरी दुनियाँ में KFC का साम्राज्य स्थापित कर दिया और यह साबित कर दिया कि कामयाबी की राहों में उम्र कभी भी आड़े नहीं आ सकती बशर्ते कि इंसान के हौसलों में जान होनी चाहिए।
यहाँ पर हरिवंश राय बच्चन की एक कविता का जिक्र हम करना चाहेंगे जो इस कहानी से बहुत मेल खाती है…..कि……….
“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती”
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KFC का साम्राज्य
1952 में अमेरिका के Salt Lake City में Karnal Sanders और Pete Harman के पार्टनर शिप में कुछ शर्तों के साथ उनका पहला रेस्टोरेंट खुला और शुरू हुआ एक ऐसा सफर जिसने KFC (Kentucky Fried Chicken) को पूरी दुनियाँ में मशहूर कर दिया।
हालाँकि 1980 में 90 साल की उम्र में कर्नल सैंडर्स इस दुनियाँ को अलविदा कह गए हैं लेकिन देखा जाए तो वे मरे नहीं हैं बल्कि अमर हो गए हैं क्योंकि ऐसे लोग कभी मरते नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए सबक होते हैं जो अपने पीछे अपने सफलता की कहानी छोड़ जाते हैं जिन्हें Follow करके अगली पीढ़ी अपने जीवन को सामान्य से बेहतर बना सकती है।
अगर हम KFC के नेटवर्क की बात करें तो आज पूरी दुनियाँ के 145 देशों में लगभग 2500 आउटलेट्स हैं जिसमे 180 तो भारत में ही हैं। विश्वास ही नहीं होता कि किसी ज़माने में सड़क के किनारे एक गैस सर्विस स्टेशन के पीछे कुछ कुर्सी और मेज लगाकर खाना परोसने वाले एक इंसान ने आज एक इतना बड़ा साम्राज्य स्थापित कर दिया।
निष्कर्ष
दोस्तों, कर्नल सैंडर्स की कहानी को पढ़ने के बाद शायद आपके अंदर एक तूफान पैदा हो गया हो और होन भी चाहिए। आशा करता हूँ कि आपके अंदर का तूफान तब तक बरकरार रहेगा जब तक कि आप भी अपने जीवन में कुछ ना कुछ बड़ा नहीं कर लेंगे। ऐसी प्रेरणादायक कहानियाँ हमारे अंदर छुपी शक्तियों को बाहर लाती हैं और हमें जीवन के समस्यायों से लड़ते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके जानकारियों की सूची में चार-चाँद लगाएगा और आपको और ज्यादा जानकार बनाएगा।
आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।
लेखक परिचय
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