HaldiRam’s Success Story In Hindi > एक बात तो तय है कि अगर मन में कुछ बड़ा करने की इच्छा हो तो इंसान को रास्ते भी मिल ही जाते हैं। ऐसी ही इच्छा थी राजस्थान के बीकानेर शहर के गंगा बिशन अग्रवाल के अन्दर जिन्होने एक छोटी सी भुजिया की दुकान से अपने जीवन की शुरुआत की और एक दिन हल्दीराम भुजिया वाले के नाम से देश से लेकर विदेश तक मशहूर हो गये।
Haldiram’s Success Story In Hindi
हल्दीराम एक ऐसा नाम जिसे भारत का बच्चा-बच्चा भलि-भाँति जानता है और विदेशों में भी इस नाम का अच्छा-खाशा बोलबाला है, नमकीन, मिठाई, स्नैक्स, फूड, आईसक्रीम, डेयरी प्रोडक्ट समेत अनेक खाने-पीने की चीजों का भारत के सबसे बड़ा ब्रांड हल्दीराम के सफलता की कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं, तो बने रहियेगा हमारे साथ क्योंकि इस आर्टिकल में होगी सिर्फ और सिर्फ हल्दीराम के सफलता की बात।
1937 राजस्थान का बीकानेर शहर जहाँ पर धनसुखदास जी अपनी एक छोटी सी भुजिया की दुकान चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे और उनके साथ उनके बड़े बेटे गंगाविशन अग्रवाल उर्फ हल्दीराम भी उनका हाथ बंटाते थे।
गंगाविशन अग्रवाल के मन में अपने इस पारिवारिक व्यवसाय को और आगे बढ़ाने का विचार आया और उन्होने अपने भुजिया की क़्वालिटी को पहले से ज्यादा बेहतर बनाने पर दिमाग लगाया परिणाम स्वरूप उनका मेहनत रंग लाया और उनका भुजिया पूरे बीकानेर को भाया। देखते ही देखते उसने हल्दीराम भुजिया वाले का नाम पाया और वहीं से पलटी गंगाविशन अग्रवाल के किश्मत की काया।
दोस्तों, कहते है ना कि एक बार, सिर्फ एक बार, सफलता की थोड़ी सी झलक दिख जाये तो आदमी उसकी ओर बढ़ता ही चला जाता है, और फिर क्या था, हल्दीराम के दुकान के आगे ग्राहकों की ऐसी लाईन लगने लगी मानों जैसे वहाँ फ्री में भुजिया मिलता हो।
ये सब चल ही रहा था उसी बीच गंगाविशन अग्रवाल कलकत्ता में अपने एक रिस्तेदार के यहाँ शादी में गये और अपने साथ कुछ भुजिया के पैकेट भी ले गये जिसे खाने के बाद लोगों ने उनके टेस्ट की काफी तारिफ की और उन्हें कलकत्ता में अपनी दुकान खोलने की सलाह दी और यह सलाह उन्हें भाया और जल्द ही उन्होनें इस पर कदम उठाया और कलकत्ता में भी हल्दीराम भुजियावाला छाया।
फिर क्या था एक बार गाड़ी जब चल प़ड़ती है तो चल ही पड़ती है। पहले बीकानेर फिर कलकत्ता उसके बाद नागपुर होते हुये हल्दीराम एक्सप्रेस देश की राजधानी दिल्ली पहुॅची।
दोस्तों, वैसे भी चाहे कोई इंसान हो या फिर व्यापारिक संस्था जब वह एक लंबा सफर तय करता है तो एक बात तो तय है कि उसमें बहुत सारे बदलाव आ जाते हैं क्योंकि उस सफर में वह बहुत कुछ सीखने के साथ ही बहुत कुछ हासिल भी कर लेता है जैसे हल्दीराम की शुरुआत सिर्फ भुजिया से हुई थी और बीकानेर, कलकत्ता, नागपुर होते हुये जब ये दिल्ली पहुँचते हैं तो ये सिर्फ भुजिया वाले न होकर हल्दीराम स्वीट्स बन चुके होते हैं।
Haldiram’s Success Story In Hindi
दोस्तों, 1993 में जब मै दिल्ली आया था तब मैने हल्दीराम के चाँदनी चौक वाले दुकान को देखा था, और उनका ढोकला भी खाया था, वह एक दुकान थी धीरे-धीरे उन्होने अपना दायरा बढ़ाया और आस-पड़ोस की दुकानों को मुँह-माँगी कीमत देकर खरीद लिया और अब वह दुकान एक बड़े रेस्टोरेन्ट में तब्दील हो चुका है।
दिल्ली में इन्होने मथुरा रोड, वजीर पुर जैसे इलाकों में भी अपने आऊटलेट खोल लिये थे। धीरे-धीरे ये अपना दायरा बढ़ाते रहे और जैसे ही माल-कल्चर की शुरुआत हुई इन्होने दिल्ली, नोयडा, गाजियाबाद जैसे शहरों के प्रसिद्ध मालों में अपने रेस्टोरेन्ट खोलने शुरु किये जो इनके सफलता के सफर में चार-चाँद लगाने मे कारगर साबित हुये।
जैसा कि आप सभी लोग जानते ही हैं कि हल्दीराम के नमकीन के पैकेट भारत के कोने-कोने में बिकते हैं, इसी तरह इनके लगभग 400 प्रोडक्ट भारत समेत दुनियाँ के अनेक देशों में बिकते हैं जिनमें – अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, जापान, आस्ट्रेलिया, श्री लंका और थाईलैंड जैसे देश शामिल हैं।
आज हल्दीराम नमकीन से लेकर मिठाई तक, नास्ते से लेकर खाने तक, डेयरी प्रोडक्ट से लेकर बोतल बन्द पेय पदार्थों तक के मामलों में भारत का सबसे बड़ा ब्रांड बन चुका है इसमें कोई शक की बात नहीं है और इस बात से तो आप भी सहमत ही होंगे।
दोस्तों, अब सवाल यह उठता है कि 1937 में जो एक छोटी सी भुजिया की दुकान थी उसनें आज एक इतना बड़ा साम्राज्य कैसे स्थापित कर लिया…?
सीधी सी बात है, गंगाविशन अग्रवाल की एक सोच जिसने उनके टेस्ट को बढ़ाया और टेस्ट ने ग्राहकों को बढ़ाया, ग्राहकों ने हल्दीराम को ब्रांड बनाया और समय-समय पर इस ग्रुप ने अपना दायरा बढ़ाया साथ में रिस्क भी उठाया और यह सब देखते हुये समय ने भी उन पर कृपा बरसाया जिसके कारण एक ऐसा दिन आया कि हल्दीराम पूरी दुनियाँ में छाया।
दोस्तों, एक छोटी सी सोच आपके जीवन के दिशा को बदल सकती है, सिर्फ एक छोटी सी सोच, तो सोच क्या रहे हैं…? आप भी अपने व्यापार के बारे में कुछ ऐसा सोचें जो आपके ग्राहकों को भा जाये और आप का व्यापार भी छा जाये। इसके लिये आपको हमेशा समय के हिसाब से अपने सोच और प्रोडक्ट में साथ ही अपने ग्राहकों की रुचि को समझते हुये अपनी व्यापारिक रणनीति में सुधार करने होंगे और अगर आप ऐसा कर पायेंग् तो आपके हालात भी सामान्य से बेहतर बन जायेंगे।
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धन्यवाद | शुक्रिया | मेहरबानी
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com