सुंशांत सिंह मर्डर केश में, जब मुंबई और बिहार पुलिस के बीच टकराव का माहौल बना तो एक नाम बड़ी ही तेजी से चर्चा में उछला वह था बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय का जिन्होंने पूरी ताक़त लगा दी सुशांत सिंह को इंसाफ दिलाने में, यह सब चल ही रहा था तभी एक चौंकाने वाली खबर आती है कि वे अपने पद से वीआरएस ले रहे हैं वह भी तब जब उनके रिटायरमेंट में महज कुछ ही महीने बचे हैं। >> Gupteshwar Pandey Biography In Hindi।
गुप्तेश्वर पाण्डेय के इस कदम से, बिहार के राजनीतिक गलियारे में आकलनों का दौर शुरू हो गया कि कहीं वह राजनीति में अपना किस्मत तो नहीं आजमाना चाह रहे हैं क्योंकि सामने बिहार का विधान सभा चुनाव है। आकलनों का दौर चल ही रहा था तभी 27 सितम्बर 2020 दिन रविवार को यह खबर सच भी हो गयी कि उन्होंने बिहार की राजनीति में कदम रख दिया है, उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा JDU में शामिल कर लिया गया है।
इन सबके बीच लोगों के मन में एक सवाल भी चल रहा होगा, कि आखिर ये पाण्डेय जी हैं क्या बला तो आप लोगों के इसी सवाल का जबाब देने के लिए हम आप लोगों के समक्ष पाण्डेय जी की जीवनी इस आर्टिकल के माध्यम से लेकर आये हैं, तो आइये अब आगे बढ़ते हैं और गुप्तेश्वर पाण्डेय के जीवन के गहराई पर प्रकाश डालते हैं।
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Gupteshwar Pandey Biography In Hindi
गुप्तेश्वर पाण्डेय का जन्म 11 फरवरी 1961 में बिहार के बक्सर जिले के गेरुआ बाँध नामक गाँव में एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था, वह एक ऐसा गाँव था जहाँ पर सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं था वैसे भी 1961 में भारत के गाँव कैसे होते थे ये बात जग-जाहिर है कि सुविधाओं का अभाव तो था ही उसी गाँव में पले-बढ़े गुप्तेश्वर पाण्डेय ने ऐसे सरकारी स्कूल से शिक्षा प्राप्त किया जहाँ पर बच्चे अपने घर से बोरा लेकर जाते थे जिस पर बैठकर वे अपनी पढ़ाई करते थे।
गुप्तेश्वर पाण्डेय पढ़ाई में औसत दर्जे के छात्र थे, लेकिन मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते थे। दसवीं पास करने के बाद वे ग्यारहवीं में फेल हो जाते हैं लेकिन पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने बारहवीं अच्छे नंबरों से पास किया और फिर पटना यूनिवर्सिटी से उन्होंने स्नातक अर्थात बी.ए. किया। उसके बाद उन्होंने कॉम्पिटिशन की तैयारी की और 1986 में वे IRS ऑफिसर बनें लेकिन पता नहीं क्यों उससे उनकी संतुष्टि नहीं हुई उसके बाद उन्होंने UPSC की परीक्षा दी और 1987 में वे IPS ऑफिसर बनें और बिहार पुलिस महकमे में अपनी एक बेहतरीन छवि बनाई।
गुप्तेश्वर पाण्डेय ने एक इंटरव्यू में बताया था, कि जब वे छोटे थे तो एक बार उनके घर में चोरी हुई थी लेकिन जब पुलिस वाले उनके घर पर आते हैं तो किसी बात पर उनके पिता जी से बदतमीजी कर देते हैं और रिपोर्ट भी नहीं लिखते हैं इस बात पर गुप्तेश्वर पाण्डेय को बहुत ही गुस्सा आता है और वे उसी दिन अपने मन में एक बात ठान लेते हैं कि एक दिन मै पुलिस का बड़ा अधिकारी बनूँगा और समूची क़ानून व्यवस्था पर लगाम लगाऊंगा इसीलिए जब वे पुलिस महकमें में आये तो क़ानून व्यवस्था को बेहतर बनाने पर बल देने लगे।
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Gupteshwar Pandey Biography In Hindi
पाण्डेय जी बिहार पुलिस महकमें में, एक तेज तर्रार, सख्त, और सक्रीय अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं, जब भी बिहार में कोई बड़ा मैटर फंसता है तो पाण्डेय जी को ही याद किया जाता है। चाहे अपराध नियंत्रण का मामला हो या फिर शराब बंदी का पाण्डेय जी हर कसौटी पर खरे उतरते हैं।
पाण्डेय जी बिहार के औरंगाबाद, बेगुसराय, जहानाबाद और अरवल में SP रह चुके हैं, उस दौरान अपराधियों पर नकेल कसते हुए उन्होंने या तो उनका एनकाउंटर किया या फिर उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया। वे मुंगेर और मुजफ्फर पुर के DIG भी रह चुके हैं। तत्पश्चात वे मुजफ्फर पुर के IG भी बनें। वे अपने कैरियर के दौरान अलग-अलग पदों पर जैसे – ASPS, SP, DIG और IGD के रूप में बिहार के 26 जिलों में काम कर चुके हैं।
जिस समय नीतीश सरकार के द्वारा बिहार में शराब पर प्रतिबन्ध लगाया गया था, उस मिशन में पाण्डेय जी ने काफी सख्ती दिखाई थी और उस मिशन को कामयाब बनाने में उनकी जबरदस्त भूमिका रही।
गुप्तेश्वर पाण्डेय एक बार पहले भी 2009 में वीआरएस ले चुके हैं, सुत्रों के मुताबिक वे उस समय बक्सर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन टिकट न मिलने के कारण उन्होंने अपना वीआरएस वापिस ले लिया और दुबारा पुलिस महकमें में वापिस आ गए।
गुप्तेश्वर पाण्डेय के बहादुरी किस्से भी कुछ कम नहीं हैं, एक बार तो ऐसा हुआ कि सब देखते ही रह गए वे एक मर्डर केस के सबुत को ढूंढने के चक्कर में अपने कपड़े उतार कर नदी में कूद जाते हैं और लगभग 40 मिनट तक वे पानी में ही रहते हैं लोग देखते ही रह गए कि एक DGP रैंक का अधिकारी ऐसा भी कर सकता है, तो ऐसे हैं अपने पाण्डेय जी।
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Gupteshwar Pandey Biography In Hindi
अब कोई कुछ भी कहे लेकिन एक बात तो है, कि पाण्डेय जी रियल लाइफ के साथ-साथ पुलिस लाइफ के भी हीरो रहे हैं और वर्तमान की परिस्थितियाँ कहीं ना कहीं यह संकेत दे रही हैं कि वे आगे पोलिटिकल लाइफ के भी हीरो साबित हो सकते हैं।
गुप्तेश्वर पाण्डेय बिहार के DGP के पद पर रहते हुए भी निरंतर आम जनता के संपर्क में रहते थे, वे अपने गृह जिले बक्सर में निरंतर आते-जाते रहते थे और वहां के लोगों के सुख-दुःख की खबर लेते रहते थे और लोग भी अपनी समस्याओं को लेकर उनसे मिलने पटना तक चले जाते थे और उनके समस्याओं की सुनवाई भी होती थी।
दोस्तों, वैसे तो भविष्य संदिग्ध हुआ करता है, लेकिन आप इस बात से भी तो इंकार नहीं कर सकते कि भविष्य का बीज वर्तमान में ही बोया जाता है और पाण्डेय जी का इस तरह वक्त से पहले ही वीआरएस लेना वह भी ठीक बिहार के विधान सभा चुनाव से पहले इस बात को दर्शाता है कि पाण्डेय जी फूल मूड़ में हैं।
गुप्तेश्वर पाण्डेय वाकई में बिहार की राजनीति में एंट्री मार चुके हैं, वह भी बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के पार्टी JDU के द्वारा तो देखना यह है कि पाण्डेय जी के इस नए सफर में उन्हें कितनी सफलता मिलती है, वैसे भी पाण्डेय जी यह कह चुके हैं कि मुझे अभी राजनीति की उतनी समझ नहीं है लेकिन नितीश जी के कहने पर मैंने यह मन बनाया है।
गुप्तेश्वर पाण्डेय का बिहार में एक रुतबा है, नाम है, इज़्ज़त है, वे एक कुशल पुलिस अधिकारी रह चुके हैं उन्होंने बिहार की धरती को बहुत ही करीब से देखा है, वहाँ की राजनीतिक गतिविधियों से भी पूरी तरह वाकिफ हैं। बिहार की जनता उनकी इज़्ज़त करती है अगर वे बिहार की राजनीति में कदम रख ही चुके हैं तो पूरी उम्मीद है कि उन्हें बड़ी सफलता की प्राप्ति होगी।
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अपना बहुत-बहुत-बहुत खयाल रखियेगा, आज के लिए सिर्फ इतना ही अगले आर्टिकल में हमारी फिर मुलाक़ात होगी, किसी नये टॉपिक के साथ, तब तक के लिये….जय हिन्द – जय भारत
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO www.motivemantra.com