दिल्ली से IIT और अहमदाबाद से IIM की डिग्री प्राप्त करने वाले प्रशांत त्रिपाठी ने आखिर क्यों नहीं की कोई अच्छी नौकरी और उन्होने क्यों पकड़ी आध्यात्मिक राह…..? सब कुछ बतायेंगे, आचार्य जी के जीवन से जुड़े हर राज को आपके समक्ष लेकर आएंगे, बस बने रहिएगा हमारे साथ, क्योंकि हम करते फिजूल की बात, हमारे वेबसाइट पर होती है सिर्फ और सिर्फ ज्ञान की बात, तो आइये अब शुरू करते हैं >>>>> आचार्य प्रशांत की जीवनी>Acharya Prashant Biography In Hindi…..
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आचार्य प्रशांत की जीवनी>Acharya Prashant Biography
आचार्य प्रशांत एक सनातनी धर्मगुरु, प्रेरकवक्ता, लेखक तो है हीं साथ ही साथ एक पूर्व प्रशासनिक अधिकारी भी हैं, ये साहेब आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात भी अपनी पढ़ाई और पदबी से संतुष्ट नहीं हुए इसलिए सात्विक और आध्यात्मिक दुनियाँ में कदम रखते हैं।
क्या है प्रशांत त्रिपाठी से आचार्य प्रशांत बनने के पीछे की सच्चाई ? IIT, IIM और IAS जैसी डिग्रियों के लिए लोग तरसते हैं, लेकिन आचार्य प्रशांत ने इन्हें ठुकरा दिया लेकिन क्यों ? आइये जानते हैं उनके जीवन के बारे में…..
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प्रारंभिक जीवन
आचार्य प्रशांत जिनका असली नाम (प्रशांत त्रिपाठी) है, जिनका जन्म 7 मार्च 1978 को उत्तर प्रदेश के आगरा में एक ब्राह्मण परिवार के घर में शिवरात्रि के दिन हुआ था। उ उनके पिता जी एक प्रशासनिक सेवा अधिकारी के पद पर कार्यरत रह चुके हैं।
प्रशांत जी के घर वाले चाहते थे कि वे खूब पढ़-लिखकर किसी बड़े पद पर आसीन हों, हालाँकि वे पढ़ने-लिखने में काफी रूचि रखने वालों छात्रों में से थे जिसकी गवाह उनकी डिग्रियां हैं।
लेकिन किस्मत को या फिर हम यह भी कह सकते हैं कि खुद प्रशांत जी को ही कुछ और ही मंजूर था और उन्होंने अपना रास्ता खुद तय किया जो उन्हें एक बुद्धजीवी आध्यात्मिक शिक्षक, धर्मगुरु और लेखक के रूप में प्रदर्शित करता है।
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शैक्षणिक जीवन
आचार्य प्रशांत बचपन से ही पढ़ने-लिखने में होशियार थे, जब वे महज 5 साल के थे तभी से उन्हे किताबें पढ़ने का बड़ा शौक था, उनके घर में ही में लाइब्रेरी थी जिसमें तरह-तरह की किताबें मौजूद थी जिनमें प्रशांत डूबे रहते थे, उनके शिक्षक भी उनकी खूब तारीफ़ किया करते थे क्योंकि वे पढ़ने में बहुत अच्छे थे।
उनकी शुरुआती पढ़ाई 15 वर्ष की उम्र तक उत्तर प्रदेश के लखनऊ से हुई थी, तत्पश्चात उनके पिता जी का ट्रांसफर दिल्ली में हो गया और अपनी बीच की पढ़ाई पूरी करते हुए उन्होंने 1999 में IIT दिल्ली से B Tech की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद 2003 में IIM अहमदाबाद से Management में Post Graduation की पढ़ाई पूरी की।
उन्होंने IAS की परीक्षा भी उत्तीर्ण किया है इसके बावजूद भी नौकरी करने में उनकी रूचि नहीं रही और फिलहाल वर्तमान में वे एक लेखक, धार्मिक शिक्षक और एक प्रेरकवक्ता (Motivational Speaker) हैं।
आचार्य प्रशांत युवाओं को जीवन क्या है और इसे कैसे जिया जाय के बारे में बताते हैं साथ ही साथ साहेब सनातन धर्म और वेदों के एक अच्छे और जानकार शिक्षक भी हैं। उनकी ज्ञानवर्धक बातें हमारे जीवन के हर पहलु को संवारने में हमारी मदद कर सकती हैं, लेकिन अगर हम उनके बातों का सकारात्मक ढंग से पालन करें तो।
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पारिवारिक जीवन
आचार्य प्रशांत के घर में उनके माता-पिता और वे तीन भाई-बहन रहते हैं जिनमें सबसे बड़े खुद प्रशांत जी ही हैं। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि उनके पिता जी गौरी शंकर त्रिपाठी भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके हैं, उनकी माता सावित्री त्रिपाठी एक गृहणी हैं जो कि अपनी घर-गृहस्ती के कामो में रहती है।
अगर हम स्वयं आचार्य जी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में बात करें तो वे एक ब्रह्मचारी व्यक्ति हैं अर्थात उन्होंने अपना विवाह नहीं किया है, वे कुंवारे हैं। उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है मानव जीवन के विचारों को सकारात्मक बनाना जिससे वे अपने जीवन-मरण तक के सफर को साकार बना सके।
संसार की सबसे अद्भुत चीज है मानव का दिमाग वह चाहे तो सब कुछ आबाद कर दे और चाहे तो सब कुछ बर्बाद कर दे बस सवाल इस बात का है कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है, आचार्य जी उसी मानव के दिमाग को सकारात्मक और आबाद करने वाला बनाने की दिशा में सार्थक रूप से कार्य कर रहे हैं।
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आध्यात्मिक जीवन
अगर हम आचार्य जी के आध्यात्मिक जीवन की बात करें तो वे श्रीमद्भगवद्गीता के 17 और उपनिषदों के 60 रूपों सहित सनातन धर्म के वेदों-पुराणों के सम्पूर्ण ज्ञाता हैं, अपने किताबों और स्पीचों के माध्यम से वे साहेब लोगों के जीवन में सकारात्मकता लाना चाहते हैं। उन्होंने 25 से ज्यादा किताबें लिखी हैं जिन्हें पढ़कर मानव अपने जीवन को सही राहों पर ले जाने का काम कर सकता है।
अध्यात्म एक ऐसा रास्ता है जो मानव को सही दिशा में ले जाने का काम करता है, इस लोक से लेकर परलोक तक को सुधारने का मार्ग दिखाता है, आचार्य जी इस मुहीम में अपनी एक महत्वपूर्ण सकारात्मक भूमिका निभा रहें हैं जिसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करना चाहेंगे।
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कमाई और संपत्ति
वैसे आपको यह जानकार बड़ी हैरानी हो सकती है कि प्रशांत जी IAS की परीक्षा पास करने के बाद कुछ दिनों तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत भी रह चुके हैं, एक ऐसी नौकरी जिसे पाने की तमन्ना अधिकतर भारतीय युवाओं का सपना होता है प्रशांत जी ने छोड़ दिया जानते हैं क्यों….?
क्योंकि प्रशांत जी को एक अलग ही तरह का जीवन पसंद था जिसमें वे अपने मन की कर सकें उनके जीवन में किसी का किसी भी प्रकार का कोई हस्तक्षेप ना हो, जिसकी कोई लिमिटेशन ना हो और जिसमें किसी भी प्रकार का लालच और भ्रष्टाचार आदि का बोलबाला ना हो।
अगर प्रशांत जी को पैसों का लालच होता तो ये और कई तरीके से पैसे कमा सकते थे लेकिन उन्होने एक ऐसा रास्ता चुना जिसमें पैसों से ज्यादा जीवन की सार्थकता को महत्व दिया जाता है वैसे हम आपको बताना चाहेंगे कि…..
आचार्य जी प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन नामक संस्था के फाउंडर हैं और अगर उनके आमदनी की बात की जाए तो उनकी कुल औसतन कमाई लगभग 2 लाख डॉलर अर्थात (1 करोड़ 64 लाख) रूपये सालाना है जो की महीने का 13.5 लाख से ज्यादा ही होता है, यह कम या ज्यादा भी होता रहता है, और रही बात संपत्ति की तो उसके बारे में हमारे पास फिलहाल अभी कोई सटीक जानकारी नहीं है, जब होगा तो हम आपको अवश्य बताएँगे।
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आचार्य जी के विचार
जीवन एक रंग मंच है, इसमें अपना किरदार समझदारी से निभायें।
## आचार्य प्रशांत ##
अपने स्वयं के जीवन का निरीक्षण करें, और आप सत्य को पहचान पाएंगे।
## आचार्य प्रशांत ##
आध्यात्मिकता का मतलब जीवन से सन्यास लेना नहीं है, यह जीवन जीने की कला है।
## आचार्य प्रशांत ##
किसी व्यक्ति को उसकी ऊँची आवाज से नहीं बल्कि उसकी मौन की गहराई से जानें।
## आचार्य प्रशांत ##
जब आपके पास जीने के लिए कोई ऊँची वजह नहीं होती, तब आप संसार पर आश्रित हो जाते हैं।
## आचार्य प्रशांत ##
दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके ज्ञान के भंडार को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही साथ आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी म लेकर जायेगा, तो आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द – जय भारत
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