नाटो क्या है | ब्लादिमीर पुतिन नाटो से क्यों चिढ़ते हैं ?

नाटो क्या है, नाटो की स्थापना कब हुई, नाटो के सदस्य कौन-कौन से देश हैं, नाटो का उद्देश्य क्या है, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन आखिर नाटो से इतना क्यों चिढ़ते हैं ? सब कुछ बताएँगे, नाटो के एक-एक पहलु से आपको रूबरू भी कराएँगे, बस बने रहिएगा हमारे साथ, क्योंकि हम नहीं करते फ़िज़ूल की बात, हमारे वेबसाइट पर होती है सिर्फ और सिर्फ ज्ञान की बात, तो आइये अब शुरू करते हैं।

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नाटो क्या है
नाटो क्या है

1939 से 1945 के बीच हुए दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात विश्व में दो महाशक्तियाँ उभर कर सामने आती हैं पहला अमेरिका और दूसरा सोवियत संघ रूस जिनके बीच 1991 तक शीत युद्ध चलता रहा तत्पश्चात सोवियत संघ रूस को नाटो संघ ने मिलकर 15 गणराज्यों में विभाजित कर दिया और अमेरिका विश्व का सबसे ताक़तवर देश बन गया।

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दोस्तों, अब आपके दिमाग में यह सवाल चल रहा होगा कि हम इस आर्टिकल को पढ़ने इस वेबसाइट पर इसलिए आये हैं कि हमें यह पता चल सके कि आखिर नाटो क्या है ? और लेखक हमें दूसरे विश्व युद्ध और सोवियत संघ के विभाजन के बारे में बताकर घुमा रहा है लेकिन नाटो का इन दोनों घटनाओं से गहरा सम्बन्ध है, वह कैसे यह तो हम आपको बताएँगे ही लेकिन इससे पहले चलिए हम यही जान लेते हैं कि आखिर नाटो क्या है ?

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नाटो क्या है ?

NATO जिसका फुलफॉर्म है (North Atlantic Treaty Organigation) अर्थात उत्तर अटलांटिक संधि संगठन जो उत्तरी अमेरिका और कई सारे यूरोपीय देशों का सैन्य संगठन है। स्पष्ट भाषा में कहें तो नाटो इस समय 30 देशों के सेनाओं का एक ऐसा सैन्य संगठन है जो किसी भी अन्य देश द्वारा किसी भी नाटो देश पर हमले के दौरान एक-दूसरे की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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नाटो की स्थापना कब हुई थी ?

नाटो की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को अमेरिका के वाशिंगटन में हुई थी, जिसमें शुरुआत में कुल 12 देश शामिल हुए थे जिनके नाम थे > संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, कनाडा, पुर्तगाल, नार्वे, बेल्जियम, डेनमार्क, लग्ज़मर्ग, आइसलैंड और नीदरलैंड। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है।

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नाटो के सदस्य कौन-कौन से देश हैं ?

नाटो के संस्थापना के समय 1949 में इसमें कुल 12 सदस्य थे लेकिन धीरे-धीरे इसमें और भी देश शामिल होने लगे जो इस समय कुल मिलाकर 30 देश हैं जिनके नाम हम आपको बताने जा रहे हैं, जो इस प्रकार हैं।

  • संयुक्त राज्य अमेरिका
  • फ्रांस
  • ब्रिटेन
  • इटली
  • कनाडा
  • नार्वे
  • पुर्तगाल
  • बेल्जियम
  • आइसलैंड
  • नीदरलैंड
  • डेनमार्क
  • लग्ज़मर्ग
  • यूनान
  • तुर्की
  • जर्मनी
  • स्पेन
  • पोलैंड
  • हंगरी
  • बुल्गारिया
  • स्टेनिया
  • चेक रिपब्लिक
  • रोमानिया
  • स्लोवेनिया
  • स्लोवाकिया
  • लिथुआनिया
  • लातविया
  • अल्बानिया
  • कोएशिया
  • मोन्टेनेग्रो
  • उत्तरी मैसेडोनिया

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नाटो का उद्देश्य क्या है ?

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एक तरफ जहाँ पश्चिमी यूरोपीय देशों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था वहीं दूसरी तरफ सोवियत संघ रूस भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ था और पूर्वी यूरोप से अपनी सेनाओं को हटाने के लिए मना कर रहा था क्योंकि वह अपनी साम्यवादी साम्राज्य की स्थापना के फ़िराक में था।

संयुक्त राज्य अमेरिका जो सोवियत संघ का जानी दुश्मन था उसने इस मौके को भुनाते हुए यूरोपीय देशों के साथ मिलकर एक ऐसे संगठन का निर्माण किया जो साम्यवाद को कमजोर करने में उसकी मदद कर सकें।

सभी यूरोपीय देशों ने अमेरिका के इस नेतृत्व का समर्थन किया और नाटो जैसे संगठन को स्वीकार किया जिसका मुख्य उद्देश्य था किसी भी अन्य देश खाशकर सोवियत संघ अगर किसी भी नाटो देश पर हमला करता है तो सभी नाटो देश मिलकर एक-दूसरे की रक्षा करेंगे और दुश्मन देश पर मिलकर हमला करेंगे।

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ब्लादिमीर पुतिन नाटो से क्यों चिढ़ते हैं ?

1991 में जब अमेरिका की अगुवाई में सभी नाटो देश मिलकर सोवियत संघ को विभाजित करने में सफल हो जाते हैं और उसे 15 गणराज्यों में बाँट देते हैं जिसके परिणाम स्वरुप रूस की शक्ति कमजोर पड़ जाती है और अमेरिका विश्व की पहली महाशक्ति बन जाती है। इस घटना से ब्लादिमीर पुतिन बहुत ही आहत होते हैं और तभी से वे नाटो से बुरी तरह चिढ़ते हैं।

ब्लादिमीर पुतिन उस समय सोवियत संघ के ख़ुफ़िया विभाग में तैनात थे और पूर्वी जर्मनी में जासूसी के काम में लगे हुए थे। कुछ सालों बाद वे रूस की राजनीति कदम रखते हैं और 1999 में पुतिन रूस के राष्ट्रपति बनते हैं और तभी से पुतिन उस घटना का बदला लेने के लिए बेकरार हैं।

1999 से लेकर अब तक पुतिन लगातार रूस की सत्ता पर विराजमान हैं और आज के समय के सबसे ताक़तवर नेताओं में शुमार हैं शायद पुतिन इसी दिन का इंतज़ार कर रहे थे आज यूक्रेन के बहाने ही सही उन्होंने नाटो को ललकारा है कि दम है तो सामने आओ, कुछ भी हो जाए “मै झुकेगा नहीं” साथ ही यह भी संकेत दे रहे हैं कि अभी तो ट्रेलर दिखाया हूँ, पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है। शुरुआत उक्रेन से हुआ है अभी तो पूरा सोवियत संघ वापिस लेना है।

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके General Knowledge को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में ले जायेगा, आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।

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