मानव की उत्पत्ति कैसे हुई इस पर दो पक्षों के अपने-अपने अलग-अलग नज़रिये हैं पहला धार्मिक नजरिया और दूसरा वैज्ञानिक नजरिया। इस आर्टिकल के माध्यम से हम दोनों नज़रियों का पूरा विश्लेषण करेंगे, इसलिए बने रहिएगा हमारे साथ क्योंकि इस आर्टिकल में होगी पृथ्वी के सबसे ताक़तवर और समझदार प्राणी मानव के उत्पत्ति पर बात, तो आइये अब शुरू करते हैं।
मानव की उत्पत्ति कैसे हुई
मानव की उत्पत्ति एक ऐसा अनसुलझा सवाल है जिसका जबाब दे पाना वैसे तो बड़ा ही कठिन है क्योंकि इस पर अलग-अलग नज़रिये हैं लेकिन फिर भी कोई एक नजरिया तो सही होगा ही अब वह चाहे धार्मिक नजरिया हो या फिर वैज्ञानिक नजरिया।
किसी भी चीज के उत्पत्ति के पीछे कोई ना कोई कारण या जरिया होता है और अगर एक ऐसा जीव इस धरती पर उत्पन्न हुआ जो पृथ्वी के साथ-साथ ब्रह्मांड के अन्य हिस्सों पर भी अपना अधिपत्य स्थापित करने की क्षमता रखता है तो जाहिर सी बात है कि हमारे और आपके मन में यह सवाल जरूर उठेगा कि यह जीव आया कहाँ से, इसकी उत्पत्ति कैसे हुई और इसका इतिहास क्या है ?
वैसे तो यह धरती लाखों-करोड़ों जीवों से भरा हुआ है लेकिन मानव ही एक ऐसा जीव है जो सोच सकता है, समझ सकता है और सबसे बड़ी बात कि वह जो सोच सकता है उसे कर भी सकता है और उसी मानव के मन में एक सवाल पनपा है कि आखिर हमारी उत्पत्ति कैसे हुई ? वह बात अलग है कि मानव दो खेमों में बंटा हुआ है पहला धार्मिक और दूसरा वैज्ञानिक। तो आइये अब आगे बढ़ते हैं और उन दोनों खेमों के नज़रिये से जानते कि आखिर मानव की उत्पत्ति कैसे हुई ?
मानव की उत्पत्ति धार्मिक नज़रिये से :
हिन्दू धर्म ग्रन्थ के अनुसार मनुष्य को ब्रह्मा का संतान बताया गया है। क्योंकि ब्रह्मा ने ही इस सृष्टि की रचना की थी और उन्हीं की माया से मनु (पुरुष) और शतरूपा (स्त्री) के रूप में अवतरित हुए जिनसे मानव जाति की उत्पत्ति हुई। और इससे यह प्रमाणित होता है कि सभी मानव मनु और सतरूपा की संताने हैं। मनु+शिष्य = मनुष्य (अर्थात हम सभी मनुष्य मनु की संताने हैं।
दिव्य जीवन नामक पौराणिक पुस्तक में मनुष्य के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है कि ब्रह्म से आत्मा और आत्मा से ही इस संसार की उत्पत्ति हुई है। अर्थात ब्रह्मा से ही मानव की उत्पत्ति हुई है। पृथ्वी, आकाश, वायु, जल और अग्नि इन पांच तत्वों से मिलकर मानव शरीर बना है और मृत्यु के बाद फिर इसी में विलीन हो जाता है।
पृथ्वी सूर्य से निकला हुआ एक गृह है जो एक आग का गोला था तत्पश्चात भारी भारिश के बाद ठंढा हुआ और उसके चारों तरफ पानी ही पानी था जिन्हें महासागर कहा जाता है बीच-बीच में जो ऊँचें स्थान थे जैसे पर्वतीय और मैदानी इलाके वे महादीप कहे जाते हैं। माना जाता है कि पृथ्वी के शुरूआती दिनों में जब चारों तरफ जल ही जल था, वह जल आत्मा का ही स्वरुप था और उसी जल में जीवन की उत्पत्ति हुई।
मानव की उत्पत्ति वैज्ञानिक नज़रिये से :
मानव की उत्पत्ति पर विज्ञान का मानना है कि मनुष्य के पूर्वज बन्दर रहे हैं जो पहले वनमानुष थे, उनके शरीर पर बहुत सारे बाल थे और वे चार पैरों पर चलते थे, पेड़. पौधे और माँस उनका भोजन था। लेकिन समय के साथ-साथ वे विकसित होते गए और बाद में वही वनमानुष सभ्यता की राह पकड़ते हुए एक समय में मनुष्य बने।
विज्ञान के अनुसार मानव की उत्पत्ति का मुख्य कारण प्राकृतिक है। वैज्ञानिक भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि मानव शरीर आकाश, पृथ्वी, वायु, जल और अग्नि से मिलकर बना है जिसे धार्मिक नजरिया भी स्वीकार करता है लेकिन दोनों में मतभेद इस बात का है कि मानव की उत्पत्ति कैसे हुई।
विज्ञान कहता है कि मनुष्य होमो वंश से सम्बन्ध रखता है जिन्हें होमो सेपियन्स कहते हैं। उनके अनुसार मनुष्य की उत्पत्ति अफ्रीका महाद्वीप पर हुई थी। उस समय मनुष्य की रुपरेखा जानवरों जैसी थी लेकिन धीरे-धीरे प्राकृतिक परिवर्तन होते रहे और मनुष्य की रुपरेखा बदलती रही और यह आगे भी बदलती रहेगी।
मानव जीवन का इतिहास
पुरातात्विक अनुमानों के अनुसार पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति अब से लगभग 53 लाख साल पहले हुई थी लेकिन कुछ सालों बाद उनका अस्तित्व लुप्त हो गया। लगभग 2 लाख साल पहले होमो सेपियन्स का उद्भव हुआ। जो आज के मानव के रूप में पृथ्वी पर मौजूद हैं। हम सभी को हमारे शैक्षणिक किताबों में भी पढ़ाया गया है कि हम सभी मानव होमो सेम्पियन्स के वंशज हैं जो पेड़. पौधों और जानवरों के शिकार करके अपना पेट पालते थे और जीवन यापन करते थे।
वनमानुष के रूप में :
माना जाता है कि अब से लगभग 30 से 40 लाख साल पहले वानरों की प्रजाति में से एक ऐसे समूह का उद्भव हुआ जो वनमानुष कहलाये, उनका सिर बहुत छोटा और पीछे की ओर झुका हुआ था, उनके शरीर पर बहुत सारे बाल रहते थे, वे बोल नहीं सकते थे लेकिन एक-दूसरे से वार्तालाप करने जैसी आवाजें निकाल लेते थे।
उन लोगों की एक ही जरुरत थी भोजन और वे उसी की तलाश में जगह-जगह घुमा करते थे। समय बीतता गया और प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण उनका मानसिक विकास हुआ और वे वनमानुष से मानुष अर्थात मनुष्य बने। वे पहले जानवरों की तरह चार टांगों पर चलते थे लेकिन बाद में खड़े होने लगे और ऊपर वाले दोनों पैरों का इस्तेमाल हाथों के रूप में करने लगे।
आदिमानव के रूप में :
माना जाता है कि लगभग 20 लाख साल पहले अफ्रीका में आदिमानव का उद्भव हुआ। और यह उद्भव सिर्फ अफ्रीका में ही नहीं बल्कि यूरोप तथा उत्तरी और दक्षिणी पूर्वी एशिया में भी हुई। इस युग को पाषाण युग कहते हैं जिसमे मानव ने पत्थरों के औज़ार बनाना सीखा था।
मानव जाति का क्रमानुसार वर्गीकरण :
ऑस्ट्रेलोपिथिक्स (40 से 30 लाख वर्ष पूर्व तक ) – ये मानव जाति के सर्वप्रथम वनमानुष थे, ये दो पैरों पर खड़े हो सकते थे, पूर्वी अफ्रीका में इनका उद्भव हुआ था, ये जानवरों की तरह जीवन जीते थे और कीड़े-मकोड़े खाकर अपना पेट पालते थे। इन्होने पत्थर के औज़ार बनाना सीख लिया था ‘
होमो हैबिलिस (24 से 14 लाख वर्ष पूर्व तक) – ये मानव जाति पत्थर के औज़ार तो बनाते ही थे साथ में आग के महत्व को भी समझ चुके थे लेकिन आग जलाना नहीं जानते थे बल्कि जली हुई आग का इस्तेमाल करना जान गए थे। जहाँ भोजन का प्रबंध दिख जाए वहीँ डेरा जमा लेते थे। भोजन और सुरक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए ये लोग समूह बनाकर रहने लगे।
होमो इरेक्टस (19 लाख वर्ष पूर्व से 70 हज़ार वर्ष पूर्व तक) – ये मानव जाति आग जलाना सीख चुका था अफ्रीका से बाहर निकलकर लगभग 10 लाख साल पहले ही दुनियाँ के अलग-अलग क्षेत्रों तक पहुँच चूका था। हथियार बनाने में काफी निपुड़ हो गया था, यहीं से मानव शिकारी का उद्भव शुरू हुआ। ये लोग भोजन की तलाश में अफ्रीका से निकलकर यूरोप, एशिया और अमेरिका तक पहुँच गए।
होमो सेपियन्स (3 लाख वर्ष पूर्व से अब तक) – ये मानव जाति आज के मनुष्य के सूत्रधार हैं जिन्होंने प्रकृति को भलीभांति समझा और अपने-आप को भी समझा और धीरे-धीरे विकास के ऐसे मुहाने पर लाकर खुद को खड़ा कर लिया जहाँ से पृथ्वी के अलावा और भी बहुत सारे ग्रहों का विश्लेषण कर रहा है। अब तो चाँद और मंगल गृह पर आशियाना बनाने की बात चल रही है अर्थात मानव ने कितनी तरक्की कर ली है।
दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल “मानव की उत्पत्ति कैसे हुई” आपके सवाल का जबाब देनें में सक्षम रहा होगा। अगर हाँ तो इसे लाइक और शेयर करना ना भूलें।
आज के लिये सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिये…………जय हिन्द – जय भारत
लेखक परिचय
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