बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री के ख़िताब के साथ ही हैट्रिक ज़माने वाली बंगाल की शेरनी ममता बनर्जी अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल वाली एनडीए सरकार में 1999 में और यूपीए सरकार में 2009 रेल मंत्री भी रह चुकी हैं, गलती से भी इन्हें हल्के में मत ले लिजियेगा। अगर मोदी जी चाय वाले हैं तो यह साहिबा भी दूध वाली हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बंगाल की तेज-तर्रार मुख्यमंत्री “ममता बनर्जी की जीवनी | Mamta Banerjee Biography In Hindi” को विस्तार पूर्वक बताएँगे। तो आइये अब शुरू करते हैं।
ममता बनर्जी की जीवनी | Mamta Banerjee Biography In Hindi
ममता बनर्जी का प्रारंभिक जीवन
ममता बनर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल (कोलकाता) के एक निम्न मध्यवर्गीय बंगाली ब्राह्मण परिवार में 5 जनवरी 1955 को हुआ था। उनके पिता का नाम प्रोमिलेस्वर बनर्जी (जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे) और माता का नाम गायत्री देवी था वे 7 भाई-बहन थे जिनमे वे अकेली बहन और उनके 6 भाई थे।
वह जब छोटी सी थीं तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी सूत्र बताते हैं कि उनके पिता की मृत्यु चिकित्सा उपचार के कारण हुआ था। पिता के जाने बाद घर-गृहस्ती चलाने की वजह से वे दूध बेचा करती थीं। ममता बनर्जी अविवाहित महिला हैं, उन्होंने शादी नहीं की।
ममता बनर्जी का शैक्षणिक जीवन
ममता बनर्जी ने अपनी स्कूली पढ़ाई कोलकाता के देशबंधु शिशु विद्यालय से पूरी की तत्पश्चात उन्होंने कोलकाता के जोगोमाया देवी कालेज से इतिहास विषय में स्नातक की डिग्री ली। उसके बाद उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से इस्लामिक इतिहास की पढ़ाई की।
ममता बनर्जी के पढ़ाई का सफर अभी रुका नहीं था क्योंकि उन्हें जीवन में काफी आगे जाना था इसलिए उन्होंने कोलकाता से ही पहले बीएड और फिर उसके बाद वकालत की डिग्री हासिल की और उसी के साथ ही उन्होंने राजनीति की दुनियाँ में भी कदम रखा जिसके तहत वे छात्र यूनियन परिषद की स्थापना करती हैं जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की छात्र शाखा है।
ममता बनर्जी का राजनीतिक जीवन
ममता बनर्जी का राजनीति से लगाव छोटी उम्र से ही था उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से किया था।
- 1976 से 1980 तक वे पश्चिम बंगाल कांग्रेस की महिला महासचिव थीं।
- 1984 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के जादवपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा और सोमनाथ चटर्जी जैसे दिग्गज नेता को हराकर सबसे कम उम्र की सांसद बनीं।
- 1989 में वह दोबारा जादवपुर से ही लोकसभा चुनाव लड़ती हैं लेकिन उसमे उन्हें हार का सामना करना पड़ता है।
- 1991 में वह दक्षिण कोलकाता संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ती हैं और जीत हासिल करती हैं।
- 1997 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस से खुद को अलग करते हुए अपनी खुद की पार्टी बनाई जिसे तृण मूल कांग्रेस (टीएमसी) का नाम दिया।
- 1999 में वे अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल वाले एनडीए में शामिल होती हैं और भारत की रेल मंत्री बनती हैं।
- 2002 में उन्होंने अपना पहला रेल बजट पेश किया जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल को ज्यादा तबज्जो दिया।
- 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले ही उन्होंने यूपीए का दामन थाम लिया जिसका उन्हें फायदा भी मिला और वे फिर एक बार भारत की रेल मंत्री बन जाती हैं।
- 2010 के नगर पालिका चुनाव में कोलकाता में उनकी पार्टी टीएमसी ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए जबरदस्त जीत दर्ज किया।
- 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने कम्युनिस्ट पार्टी को हराया जो 34 सालों से पश्चिम बंगाल में राज कर रहा था और ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनती हैं।
- 2012 में ममता बनर्जी यूपीए से अपना समर्थन वापिस लेती हैं और अपना पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल की राजनीति में लगा देती हैं और उनका वो कदम एक बेहतर प्रयास साबित होता है परिणामतः वह वहाँ के जनता के दीदी के रूप में उभरकर सामने आती हैं।
- 2016 के विधानसभा चुनाव में दीदी का करिश्मा काम आया और पश्चिम बंगाल ने उनको भारी मतों से जिताया और दीदी दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं।
- 2021 का विधानसभा चुनाव ममता दीदी के लिए किसी महासंग्राम से कम नहीं था क्योंकि सामने थी देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जिसके सभी दिग्गज नेता देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री के साथ मैदान पर उतरते हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल की जनता ने अपनी ममता दीदी पर ही भरोसा दिखाया और उन्हें तीसरी बार भारी बहुमत से विजयी बनाया। इस समय ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता के शीर्ष पर विराजमान हैं।
- ममता बनर्जी को सत्तर के दशक में पढ़ाई करने के दौरान ही राज्य महिला कांग्रेस का महासचिव बनाया गया था।
- 2011 में जब उन्होंने 34 साल पुरानी पार्टी वामपंथी मोर्चे को सत्ता से उखाड़ा तो 2012 में उन्हें टाइम्स मैगज़ीन ने विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में नामांकित किया।
- इनके अतिरिक्त ममता बनर्जी केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री, कोयला मंत्री, महिला एवं बाल विकास की राज्यमंत्री भी रह चुकी हैं।
ममता बनर्जी की जीवनी | Mamta Banerjee Biography In Hindi
ममता बनर्जी की आलोचना और विवादें
ममता बनर्जी अपने सख्त तेवर वाले स्वभाव के बारे में बखूबी जानी जाती हैं, वह किसी से डरती नहीं हैं इसी वजह से उन्हें कई बार आलोचना सामना करना पड़ता हैं। विवादों से भी उनका चोली-दामन का साथ है, तो आइये जानते हैं उनके आलोचना और विवादों के बारे में।
- 1998 में ममता बनर्जी ने लोकसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद डोगरा प्रसाद सरोज का कॉलर पकड़कर घसीटते हुए महिलाओं के लिए आरक्षण बिल के विरोध में प्रदर्शन किया। जिसके कारण वह विवादों में रहीं।
- 2012 में ममता बनर्जी देश में बढ़ते अपराधों के बारे में टिप्पणी देते हुए कहा था कि जब लड़के और लड़कियाँ एक साथ घूमते हुए पकड़े जाते थे तो उनके माता-पिता उन्हें डाटते थे लेकिन अब वैसा नहीं है, अब तो सब कुछ खुला होता है। इस टिप्पणी पर उनकी काफी आलोचना हुई थी।
- 2016 में पश्चिम बंगाल सरकार ने दुर्गापूजा के प्रथा के खिलाफ आपत्तियों को लेकर उस पर प्रतिबन्ध लगा दिया था इस पर ममता बनर्जी का कहना था कि मुहर्रम के त्योहार के दौरान दुर्गापूजा से मुशलमानों की भावनाएं आहत हो सकती हैं। वैसे इस पर उच्च न्यायालय ने पलटवार करते हुए इसे किसी विशेष धर्म को खुश करने का मामला बताते हुए ख़ारिज कर दिया।
- ममता बनर्जी ने हाल के आम चुनाव शुरू होने से पहले अपने कार्यकाल के दौरान भारत के संघीय प्रणाली को चुनौती देते हुए शारदा समूह के वित्तीय घोटाले की जाँच के लिए कोलकाता पहुंचें सीबीआई वालों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया इस मांमले में ममता दीदी ने काफी नौटंकी की जो उस समय की चुनावी सुर्ख़ियों में चर्चा का विषय बना रहा।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका 36 का आंकड़ा है, मोदी जी की नीतियों की ममता दीदी घोर विरोधी हैं। मोदी जी कहेंगे आम तो ममता जी कहेंगी इमली और उस आम को इमली बताने में वे अपनी पूरी ताक़त झोंक देती हैं अब कोई माने ना माने लेकिन टीएमसी समर्थक को तो मानना पड़ता है कि वो आम नहीं इमली ही है चाहे वह आम ही क्यों ना हो।
ममता बनर्जी की खूबियाँ एवं विशेषताएं
ममता बनर्जी एक लेखिका, कवियित्री और पेंटर हैं। उनकी एक कविता जिसका शीर्षक “राजनीति” है काफी चर्चित रहा है। ममता दीदी साड़ी भले ही सफ़ेद पहनती हों लेकिन रंगो से उनका काफी लगाव है। उन्हें कई बार पेंटिंग करते भी देखा गया है।
उनकी सबसे बड़ी खाशियत सार्वजनिक रैलियों को सम्बोधित करना है और वही ताक़त उनको राजनीति के शिखर पर लाने में कारगर रही है। सिंगूर और नंदीग्राम जैसे स्थानों पर लोगों की जमीन को कब्ज़ा करने वालों के खिलाफ जब उन्होंने आवाज उठाई तो पश्चिम बंगाल की जनता ने उन्हें अपना हमदर्द माना और वह लोकप्रिय हो गयीं।
उन्होंने जयप्रकाश नारायण की गाड़ी की बोनट पर चढ़कर निकम्मी सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया था। ममता बनर्जी लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने में माहिर हैं। उन्हें यह पता है कि कब, कहाँ, क्या और कैसे करना है। भारतीय राजनीति की दुनियाँ में उन्हें आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है।
ममता बनर्जी की जीवन शैली
ममता बनर्जी ने अपना विवाह नहीं किया है।
ममता बनर्जी बहुत ही साधारण जीवन शैली जीती हैं।
वे हमेशा ही परंपरागत सूती की साड़ी पहनती हैं।
वह हमेशा ही हवाई चप्पल पहनती हैं।
वह किसी भी तरह का श्रंगार करना पसंद नहीं करती हैं।
निष्कर्ष (conclusion)
ममता बनर्जी ने अपने सख्त तेवर और मजबूत इरादों के दम पर अपनी जो पहचान बनाई उसी के दम पर वह आज बंगाल के सत्ता के शिखर पर विराजमान हैं। कोई कुछ भी कहे लेकिन एक बात तो है कि जब वह अपनी पर आती हैं तो किसी की नहीं सुनती चाहे सामने वाला अपने-आप में कितना भी बड़ा धुरंधर हो।
ममता बनर्जी की पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत ही कमजोर थी इसके बावजूद भी वे अपनी हिम्मत और मेहनत के दम पर संघर्षरत जीवन गुज़ारते हुए आज पश्चिम बंगाल के सत्ता के शिखर पर विराजमान हैं। और हम तो बस इतना ही कहना चाहेंगे कि चमत्कार को नमस्कार है, नमस्कार है, नमस्कार है।
दोस्तों, ममता बनर्जी की जीवनी हर उस शख्श के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती है जो अपने दम पर जीवन में कोई बड़ा मुकाम हासिल करना चाहते हैं और अपने-आप को सामान्य से बेहतरी की दिशा में ले जाना चाहते हैं।
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आज के लिये सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिये…..जय हिन्द – जय भारत।
धन्यवाद | शुक्रिया | मेहरबानी
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com