कभी न कभी हम सभी के मन में एक सवाल आ ही जाता है कि आखिर भगवान कहाँ हैं | Where Is God वैसे यह सवाल कोई गलत नहीं है, अगर हमारे मन में ऐसा सवाल आता है तो हमें इसकी जानकारी भी मिलनी चाहिये।
दोस्तों, इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके इस सवाल का जबाब देने की पूरी कोशिश करेंगे, तो आइये आगे बढ़ते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर भगवान कहाँ हैं | Where Is God …..?
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भगवान कहाँ हैं | Where Is God
भगवान का आस्तित्व
नास्तिक विचारधारा द्वारा प्रभावित तबका समय-समय पर यह सवाल उठाता रहा है कि क्या वाकई में भगवान हैं और अगर हैं तो वे हमें दिखाई क्यों नहीं देते।
वाकई में यह सवाल बड़ा ही दिलचस्प है और यही सवाल वैज्ञानिकों ने भी तो उठाया है कि आखिर भगवान हैं भी या नहीं क्योंकि विज्ञान तो वैसे भी प्रत्यछ को ही प्रमाण मानता है।
दोस्तों, इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके और उन नकारात्मक विचारधारा वाले लोगों के साथ ही उन वैग्यानिकों के भी संदेह को मिटाते हुये भगवान के आस्तित्व के बारे में बताते हुये दुध का दुध और पानी का पानी करने की कोशिश करेंगे।
अब सवाल यह उठता है कि क्या वाकई में भगवान हैं…..? क्या वाकई में उनका आस्तित्व है और अगर है तो वे रहते कहाँ हैं कहीं ना कहीं तो वे रहते ही होंगे, भगवान कहाँ रहते हैं…..? आइये जानते हैं…..
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भगवान कहाँ रहते हैं
सवाल अच्छा है कि भगवान कहाँ रहते हैं, इस बारे में हर किसी का अपना अपना नजरिया होता है क्योंकि जो भी भगवान को जिस नज़रिये से देखता है उन्हें वे उसी तरह और जगह नज़र आते हैं। वैसे तो भगवान हर जगह विराजमान हैं लेकिन अधिकतर जब उन्हें ढूंढने की बात आती है तो लोग उन्हें अधिकतर निम्नलिखित स्थानों पर ढूंढते हैं।
- देवी और देवताओं के लिए भगवान क्षीरसागर में रहते हैं।
- भक्तों के लिए भगवान मंदिरों और तीर्थ स्थानों में रहते हैं।
- ज्ञानियों के लिए भगवान पौराणिक कथाओं में रहते हैं।
- तपस्वियों के लिए भगवान उनके ध्यान में रहते हैं।
- ज्यादातर लोगों के लिए भगवान ऊपर वाले आसमान में रहते हैं।
ऊपर की लाइनों में आपने जाना कि मुख्य रूप से भगवान कहाँ रहते हैं लेकिन सिर्फ इन्हीं स्थानों तक वे सीमित नहीं रहते बल्कि उनका खुद का कहना है कि मै हर उस जीवित प्राणी में मौजूद हूँ जिसका आस्तित्व है।
महाभारत की लड़ाई के दौरान कुरुक्षेत्र के मैदान में श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश में बताया था कि मै कौन हूँ और कहाँ पर रहता हूँ।
श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा : हे अर्जुन इस समस्त संसार का मै ही स्वामी हूँ, सूर्य की किरणों में मै ही हूँ, चन्द्रमा की शीतलता भी मै ही हूँ, हिमालय भी मै ही हूँ, सागर भी मै ही हूँ, पीपल के पेड़ समेत सभी वृच्छों और पौधों में भी मै ही हूँ, पाताल से लेकर आकाश तक सभी ग्रहों और नक्षत्रों में भी मै मौजूद हूँ।
श्री कृष्ण और भी बताते हैं : संसार के सभी देवी-देवता मेरे ही अंश हैं, मै ही समय हूँ, मै सतयुग में भी था, त्रेतायुग में भी था, दौपर युग में भी हूँ और कलियुग में भी रहूँगा। ना ही मेरा आदि है और ना ही मेरा अंत, मै सब में हूँ और सब मुझमे हैं।
श्री कृष्ण यह भी कहते हैं : मै हर एक जीवित प्राणी में आत्मा के रूप में विराजमान हूँ, चाहे वह इंसान हो या जानवर, पशु हो या पक्षी, कीड़े- मकोड़े आदि सभी मेरी संताने हैं, उन सभी की उत्पत्ति मुझसे ही है, फूलों की सुगंध में मै ही हूँ, मानने वालों के लिए पत्थर में मूरत मै ही हूँ तुम्हें और क्या बताऊँ अर्जुन कि मै कहाँ-कहाँ हूँ सच कहूं तो मुझे कहीं भी ढूंढने की जरुरत नहीं है, अपनी दोनों आँखें बंद करके सच्ची भावना से अपनी तीसरी आँख अर्थात मन की आँखों से मुझे देखो मै तुम्हारे सामने मौजूद हूँ।
दोस्तों, सच कहें तो भगवान हमारे दिल में हैं, हमारे आस्था में हैं, हमारे विश्वास में हैं, जो कण-कण में विराजमान हों उन्हें भला कहीं और क्या ढूँढना, इसलिए हर इंसान को चाहिए कि खुद में ही भगवान को ढूंढें और जिसने अपने-आप को ढूंढ लिया समझो उसने भगवान का पता ढूंढ लिया।
भगवान क्या खाते हैं
यहाँ पर मै एक भजन की कुछ लाइनों का जिक्र करते हुए आगे बढ़ना चाहूंगा :
बड़ी उलझन में हूँ भगवन तुम्हें कैसे मनाऊं मैं।
न भाषा भाव-शैली है तुम्हें कैसे रिझाऊं मै ।।
प्रकाशित चाँद और सूरत तुम्हारे ही प्रकाशों से।
मुझे शोभा नहीं देता तुम्हें दीपक जलाऊं मैं ।।
सुना है फूल में तुम हो और मूरत में तुम ही हो।
भला भगवान को भगवान पर कैसे चढ़ाऊं मैं ।।
लगाना भोग भी तेरा निरादर तेरा करना है।
खिलाते तूम ही जग को हो, तुम्हें कैसे खिलाऊं मैं ।।
दोस्तों, इस भजन की सबसे आखिरी लाइन पर हम focus करेंगे………..
लगाना भोग भी तेरा निरादर तेरा करना है, खिलाते तूम ही जग को हो, तुम्हें कैसे खिलाऊं मैं
हम लोग भगवान की पुजा-अर्चना करते समय उन्हें प्रसाद के रूप में भोग लगाते हैं लेकिन क्या वे उन्हें खाते हैं नहीं ना, वे खाते नहीं हैं बल्कि ग्रहण करते हैं वह भी क्या हमारी भक्ति को, हमारी आस्था को, हमारे प्रेम को।
जो समस्त संसार का पालनकर्ता हो उसे भला कोई क्या खिला सकता है, किसी की क्या औकात है कि वह इस दुनियाँ के मालिक को कुछ खिला पायेगा। भगवान की अगर कोई खुराक है तो वह है अहंकार, घमंड, ईर्ष्या।
भगवान क्या करते हैं
जब सभी लोग कुछ न कुछ करते हैं तो भगवान के बारे में अगर यह सवाल उठा है तो उसका जबाब भी आपको मिलना ही चाहिए।
वैसे तो भगवान को ना अपने देखा है और ना मैंने देखा है, हमारे सामने पौराणिक कथाओं द्वारा जो चित्रण किया जाता है हम उसी को मानते हुए भगवान की कल्पना करते हैं।
रामायण और महाभारत आदि जैसे सीरियलों में जो हमें दिखाया गया है हम उसी को आधार मानते हुए राम और कृष्ण की भूमिका में भगवान विष्णु को देखते हैं। समस्त भगवानों में भगवान विष्णु ही सर्वोपरि हैं उन्हीं की नेत्र से भगवान शंकर और नाभि से भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई है
समस्त देवी-देवता भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और उन्हीं को अपना आराध्य मानते हैं, जैसे एक सरकार का मंत्री मंडल होता है उसमे अलग-अलग विभाग और मंत्रालय होता है वैसे ही भगवान द्वारा भी अलग-अलग विभाग निर्धारित किये गए हैं और भगवान उन सभी विभागों पर अपना नज़र बनाये रखते हैं।
भगवान के मंत्री मंडल के मुख्य मंत्रालय निम्नलिखित हैं :
- योजना मंत्रालय : स्वयं विष्णु भगवान
- सृष्टि मंत्रालय : ब्रह्मा जी
- रक्षा मंत्रालय : शंकर भगवान
- ऊर्जा मंत्रालय : सूर्य भगवान
- शीतल मंत्रालय : चन्द्रमा
- वर्षा मंत्रालय : देवराज इन्द्र
- वायु मंत्रालय : पवन देव
- सुचना मंत्रालय : नारद मुनि
- शिक्षा मंत्रालय : माता सरस्वती
- वित्त मंत्रालय : माता लक्ष्मी
- शक्ति मंत्रालय : माता काली
- न्याय मंत्रालय : शनि देव
- राजस्व मंत्रालय : राहु-केतु
- कल्याण मंत्रालय : बजरंग बली
- कारावास मंत्रालय : यमराज
दोस्तों, वैसे तो हमने भगवान के इस मंत्रालय को अपने कल्पना की उपज से विभाजित किया है लेकिन अगर ईश्वरीय काम काज के तरीकों पर गौर करें और भगवान के संसद की कल्पना करें तो यह एक सटीक मंत्रालय की रुपरेखा दर्शाती है जिस मंत्रालय के सबसे प्रमुख मुखिया खुद भगवान श्री हरी विष्णु हैं जिनकी छत्र-छाया में हम सभी पृथ्वीवासी अपनी जीवन की साँसें गिन रहे हैं। आशा करता हूँ कि अब तो आप सांमझ ही गए होंगे कि भगवान क्या करते हैं।
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भगवान की महिमा
जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है तब-तब भगवान इंसान के रूप में इस पृथ्वी पर जन्म लेते हैं और उस पापी का संहार करते हैं जिसके लिए वह पृथ्वी पर आते हैं।
भगवान विष्णु के दशावतार निम्नलिखित हैं :
- 1. मत्स्यवतार : सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए भगवान ने मछली रूप धारण किया।
- 2. कूर्मा अवतार : समुद्र मंथन के दौरान मदरांचल पर्वत को अपने पीठ पर उठाया।
- 3. वराह अवतार : हिरण्याक्ष का वध करके पृथ्वी को सागर में से निकाल कर लाये।
- 4. नृसिंह अवतार : हिरण्यकशिपु का वध किया जो कि श्री हरी भक्त प्रह्लाद के पिता थे जो श्री हरी से जलते थे।
- 5. वामन अवतार : दैत्यराज बलि से तीन पग धरती की मांग की और उसकी दानशीलता को देख उसका उद्धार किया।
- 6. श्री राम अवतार : त्रेतायुग में अहंकारी रावण का वध करने के लिए अयोध्या में राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्मे।
- 7. श्री कृष्ण अवतार : दौपरयुग में कंश का वध और अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया साथ ही बहुत सारी लीलायें दिखाई।
- 8. परशुराम अवतार : अहंकारी और अत्याचारी क्षत्रियों के विनाश के लिए परशुराम ब्राह्मण के अवतार में आये।
- 9. बुद्ध अवतार : लोगों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने के लिए भगवान गौतम बुद्ध के अवतार में आये।
- 10. कल्कि अवतार : पुराणों के अनुसार भगवान कलियुग में कल्कि का अवतार लेंगे, और पापियों का नाश करेंगे।
भगवान का रहस्य
मथुरा नगर के वृन्दावन में एक मंदिर है जहाँ भगवान का रहस्य उजागर होता है, कहा जाता है कि इस मंदिर में लोग दिन में श्रंगार का सामान चढ़ाते हैं और रात के बारह बजे भगवान वहां आकर रास रचाते हैं और सुबह देखने पर वहाँ की सभी श्रंगार के सामान बिखरे हुए रहते हैं। भगवान की रात्रि लीला को कोई भी देख नहीं पाता, यह एक ऐसा रहस्य है जिसे अभी तक कोई भी जान नहीं पाया है।
भगवान के बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं तो आपको विष्णु पुराण पढ़ना चाहिये जिसमें भगवान विष्णु से संबंधित सभी बातें आपको प्राप्त हो जायेंगी।
अन्तत:
भगवान की लीला अपरम्पार है, उनकी लीला को समझना हर किसी के बस की बात नहीं, अगर आप उनके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो भगवद्गीता को पढ़ें जिसमें अर्जुन के सवालों के जबाब के माध्यम से उन्होने अपने बारे में तथा मानव जीवन से संबंधित बहुत सी बातों को बताया है।
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आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हमारी फिर मुलाक़ात होगी, तब तक के लिए…………………जय हिन्द – जय भारत………………..
Thanking You | धन्यवाद | शुक्रिया | मेहरबानी
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com
Very nice article