किसी महापुरुष ने सच ही कहा है, कि कोई भी इंसान यदि गरीब पैदा होता तो इसमें उसकी कोई गलती नहीं है लेकिन अगर वह पूरी जिंदगी गरीबी में ही गुज़ारते हुए एक दिन गरीबी में ही मर जाता है तो जाहिर सी बात है कि इसमें उसकी गलती है। तो आइये पढ़ते हैं यह आर्टिकल और जानते हैं सब कुछ >> “Motivational Story In Hindi | एक भिखारी कैसे बना व्यापारी“।
पूरी दुनियाँ की जनसंख्या 6 अरब 80 करोड़ है और इसमें एक बहुत बड़ा तबका इस गलती का शिकार होता आ रहा है आखिर क्यों इसके पीछे का एक सीधा सा कारण है “इंसान का नजरिया” हाँ दोस्तों इंसान का नजरिया सारा का सारा खेल ही इसी नज़रिये की देन है इसलिए जिसका जैसा नजरिया उसका वैसा ही जीवन, जो इस खेल को समझ जाता है वह एक दिन खुद को शिखर पर पाता है और जो इसे नहीं समझ पाता वह जिंदगी भर पत्थर पर अपना सिर टकराता है और लोगों से कहता फिरता रहता है कि मेरी तो किस्मत ही मोटे कलम से लिखी है।
दोस्तों,कोई भी इंसान अपना नजरिया बदल कर अपनी किस्मत को बदल सकता है, हाँ-हाँ यह बिलकुल सही बात है, जब हैरी नामक भिखारी अपना नजरिया बदल कर अपनी किस्मत बदल सकता है तो फिर कोई और क्यूँ नहीं….? अब आपके दिमाग में एक सवाल उठ रहा होगा कि ये हैरी कौन है और इसके जीवन की क्या कहानी है तो आइये अब आगे बढ़ते हैं और यह जानते हैं कि “एक भिखारी कैसे बना व्यापारी”…..?
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एक भिखारी कैसे बना व्यापारी
अमेरिका के न्यू यॉर्क शहर की सड़क पर हैरी नामक एक भिखारी भीख माँगा करता था। जाहिर सी बात है कि वह गरीब घर में ही पैदा हुआ होगा तभी तो भीख मांग रहा था। हैरी की तरह ही लाखों-करोड़ों लोग होंगे जो इस दलदल में जिंदगी गुज़ारते हुए एक दिन इस दुनियाँ से चले जाते हैं आखिर हैरी भी तो उसी दलदल में फंसा हुआ था भिखारी के घर में पैदा हुआ था और आज भी भिखारी ही है ऐसा क्यों…..? क्योंकि उसके पास नज़रिये जैसी कोई चीज नहीं थी लेकिन एक दिन के हादसे ने एक दम से हैरी का नजरिया बदल दिया और नजरिया बदलते ही उसकी किस्मत भी बदलने लगी।
एक दिन, रोज की तरह ही हैरी सड़क के किनारे मार्किट के पार्किंग के पास ही एक डिब्बे में कुछ पेन रखकर बैठा हुआ था और आने-जाने वालों से कुछ सेंट (अमेरिकी पैसे) या डॉलर(अमेरिकी रूपये) की भीख में मिल जाने की आस लगाए सड़क के इधर-उधर नज़रें दौड़ा रहा था तभी एक साहेब मार्किट से कुछ खरीदारी करके वापिस आ रहे थे जैसे ही उनकी निगाह उस भिखारी पर पड़ी तो उन्होंने अपनी जेब से कुछ सेंट निकाले और भिखारी को दे दिए और पार्किंग से अपनी कार निकाल कर जाने लगे।
व्यापारी की कार जैसे ही आगे बढ़ी, उसने ब्रेक लगाया और कार से बाहर निकला और दुबारा भिखारी के पास आया और उसके डिब्बे में से एक पेन लेते हुए वह बोला कि मैंने तुम्हे जो सेंट दिए हैं उसके बदले मै तुमसे एक पेन ले रहा हूँ क्योंकि मै एक व्यापारी हूँ इसलिए पैसों की कीमत को बखूबी समझता हूँ आखिर तुम भी तो एक व्यापारी हो।
आखिर तुम भी तो एक व्यापारी हो, यह शब्द मानों हैरी के जीवन को एक नया मोड़ लेकर आया था। हैरी के कानों में यह शब्द बार-बार गूंज रहा था वह रात भर सो नहीं पाया और उसका असर सुबह तक काम कर गया था क्योंकि दूसरे दिन से ही हैरी ने भीख माँगना बंद कर दिया पर ऐसा क्यूँ क्योंकि अब हैरी का खुद के प्रति नजरिया बदल चुका था। जो हैरी आज तक एक भिखारी था वह इस घटना के बाद खुद को एक व्यापारी की नज़र से देखने लगा।
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एक भिखारी कैसे बना व्यापारी
हैरी ने फैसला कर लिया था, कि वह अब भीख नहीं मांगेगा बल्कि व्यापार करेगा और दूसरे ही दिन वह सीधे थोक बाजार जाता है और तरह-तरह के पेन खरीदता है और उन्हें बसों, ट्रेनों, और अलग-अलग सार्वजनिक स्थानों पर घूम-घूम कर बेचने लगा।
हैरी के इस कदम ने कुछ ही दिनों में उसके जीने और रहने के तरीकों को बदल दिया, और उसे यह एहसास करा दिया कि वाकई में इंसान का नज़रिया ही उसकी औकात बनाता और बिगाड़ता है। हैरी अब भिखारी नहीं रह गया था, हालांकि वह अभी कोई बड़ा व्यापारी भी नहीं था लेकिन सही मायने में देखें तो वह भिखारी भी तो नहीं था।
न्यू यॉर्क की सड़कों पर, रेलवे स्टेशनों और रेल के डिब्बों में, बस स्टैंड और बसों में तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर घूम-घूम कर पेन बेचते-बेचते उसे दुनियाँदारी की काफी अच्छी समझ भी हो गयी थी और उसी समझ की गहराइयों को उसने व्यापार की ऊंचाइयों में बदलने की सोची और अब उसने एक मोटर साइकिल खरीदी और उस पर ढेर सारा पेन रखकर वह स्टेशनरी की दुकानों पर जा-जा कर बेचने लगा, शुरुआत में तो उसे बहुत सारे दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होता गया और अब वह बड़ी दूर-दूर तक पेन की सप्लाई देने लगा और अच्छे-खासे डॉलर भी कमाने लगा।
हैरी का पेन का व्यापार अच्छा-खासा चल रहा था, लेकिन अभी तक वह सारा माल थोक बाजार से ही खरीदता था और एक दिन उसकी मुलाक़ात एक पेन निर्माता से हुई और उसने हैरी को एक ऑफर दिया कि जब तुम्हारे पास एक बड़ी मार्किट है तो तुम सीधे हमसे सारा मॉल क्यों नहीं खरीदते और जब उस पेन निर्माता ने अपनी कंपनी की सारी स्कीमें बतायी तो हैरी ने उनकी बात मानी और सीधे कंपनी से सारा माल खरीद कर बेचने लगा।
जब हैरी को लगा कि अब उसके व्यापार का दायरा बढ़ने लगा है, तो उसने फैसला किया कि अब बड़ा गेम खेलने की बारी आ गयी है और उसके लिए मुझे एक टीम तैयार करनी पड़ेगी और उसने चार सेल्स मैन रखे और उनमे न्यू यॉर्क शहर को चार भागों में बाँट दिया अब वह चारों अपने-अपने इलाकों में पेन की सप्लाई करने लगे।
अब हैरी एक शातिर व्यापारी बन चुका था, और उसकी भूख भी बढ़ चुकी थी। हालाँकि सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था तभी एक हादसा होता है जिस कम्पनी का वह पेन बेचता था उसमे भीषण आग लग जाती है और सब-कुछ ख़त्म हो जाता है।
कम्पनी का मालिक इस हादसे से उबर नहीं पाया, और उसने कम्पनी को बेचने का फैसला किया। इधर हैरी भी कुछ बड़ा करने की फ़िराक में था मौके को भुनाते हुए हैरी ने उस कम्पनी को खरीद लिया और कुछ ही महीनों में उसने अपने नाम के पेन मार्किट में उतार दिया और धड़ल्ले से उनकी बिक्री भी होने लगी क्योंकि हैरी के पास एक बड़ा बाजार था साथ ही साथ वह थोक बाजार में भी अपनी सप्लाई देने लगा।
देखते ही देखते हैरी की कम्पनी ने पेन के इतने मॉडल मार्किट में उतार दिये, कि उनके सामने कोई प्रतियोगी ही नहीं रह गया और न्यू यॉर्क के बाहर भी कम्पनी ने अपनी सप्लाई शुरू कर दी और धूम मचा दी।
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एक भिखारी कैसे बना व्यापारी
समय बीतता गया, हैरी भी एक के बाद एक सीढ़ी चढ़ता गया और कामयाबी की बुलंदियों को छूता गया। वैसे भी जब इंसान के दिमाग का ढक्कन खुल जाता है तब उसकी किस्मत खुद-ब-खुद खुलने लगती है।
हैरी अब उस शहर का एक बड़ा व्यापारी बन गया था, क्योंकि अब वह सिर्फ पेन निर्माता और विक्रेता ही नहीं बल्कि स्टेशनरी प्रोडक्ट का बेताज बादशाह बन गया था शहर के हर एक स्टेशनरी की दुकान पर एक तिहाई प्रोडक्ट हैरी के कंपनी के बिकते थे।
एक समय की बात है, न्यू यॉर्क शहर के एक बहुत बड़े ऑडिटोरियम में एक व्यापारिक सेमिनार चल रहा था। उस सेमिनार में न्यू यॉर्क के बड़े-बड़े व्यापारी आये हुए थे अब जाहिर सी बात कि जब बड़े-बड़े व्यापारी आये हुए हैं तो हैरी भी आया होगा।
सेमिनार ख़त्म होने के बाद जैसे ही लोग बाहर की तरफ निकलने लगे, हैरी की निगाह एक आदमी पर पड़ती है और वह तेजी से उस आदमी तरफ बढ़ता है और उसके सामने पहुँच कर उससे हेलो करता है और कहता कि सर शायद आपने मुझे नहीं पहचाना पर मै आपको कैसे भूल सकता हूँ।
वह व्यापारी कुछ समझ नहीं पाया फिर पुछा, कि तुम कौन हो और क्या कह रहे हो मै समझ नहीं पा रहा रहा हूँ कृपया मुझे अपने बारे में बताओ। फिर हैरी ने उस दिन की बात को और उसके बाद की घटनाओं को बताते हुए अपने जिंदगी की सारी कहानी उस व्यापारी को बताई तो वह दंग रह गया।
हैरी की पीठ थपथपाते हुए उस व्यापारी ने उसकी तारीफ़ की, और कहा कि हैरी तुमने जो किया वो क़ाबिले तारीफ है लेकिन यह सिर्फ मेरे द्वारा तुम्हे व्यापारी कहने से नहीं हुआ है बल्कि तुम्हारे खुद के द्वारा खुद के प्रति बदले जाने वाले नज़रिये की वजह से हुआ है क्योंकि तुमने जब खुद को भिखारी से व्यापारी बनने का जो फैसला लिया उसने तुम्हारे अंदर का स्वाभिमान जगा दिया और तुम्हें एक मामूली भिखारी से एक बहुत बड़ा व्यापारी बना दिया।
दोस्तों, जब हम अपने आप को कुछ समझते हैं “कुछ भी जैसे – अच्छा या बुरा, बेवकूफ या चालाक, कमजोर या ताक़तवर, अमीर या गरीब, व्यापारी या भिखारी” वही एक दिन हमें यह दुनियाँ समझने लगती है।
सीधी सी बात है, कि हम खुद के प्रति जो नजरिया रखते हैं भविष्य में लोगों का भी हमारे प्रति वही नजरिया बन जाता है। हम खुद ही अपनी औकात बनाते हैं और बिगाड़ते हैं वो बात अलग है कि हमारे आसपास का माहौल हमें प्रभावित करता है लेकिन माहौल के करीब रहना या उससे दूर रहना यह तो हम तय कर ही सकते हैं क्योंकि कोई भी हमें जबरदस्ती किसी भी माहौल में नहीं धकेल सकता अगर हम दृढ़ निश्चय हो जाएँ।
आशा करता हूँ, कि हैरी की यह कहानी आप सभी को पसंद आया होगा और नज़रिये की भूमिका भी आप लोगों को पसंद आया होगा तो सोच क्या रहे हैं इस आर्टिकल को Like करें, अपने दोस्तों और सगे-संबंधियों के साथ सोशल मीडिया पर Share करें और अगर आपके पास कोई सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर Comment कर सकते हैं वैसे भी आपका कोई भी सुझाव हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
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आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO : motivemantra.com
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