एक लम्बे अरसे बाद गाँधी परिवार ने डूबती कांग्रेस को उबारने के लिए आखिर यह फैसला ले ही लिया कि कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष गाँधी परिवार के बाहर का हो जिसमें पहले तो राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सुर्ख़ियों में रहा लेकिन वे राजस्थान का मोह नहीं छोड़ पाए तत्पश्चात मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर का नाम सामने है और इन्हीं दोनों में चुनाव के माध्यम से फैसला लिया जायेगा। मल्लिकार्जुन खड़गे के बारे में हम पिछले आर्टिकल में बता ही चुके हैं अब इस आर्टिकल में हम शशि थरूर का जीवन परिचय जानेंगे, तो आइये अब शुरू करते हैं।
शशि थरूर का जीवन परिचय || Shashi Tharoor Biography In Hindi
प्रारंभिक जीवन
शशि थरूर का जन्म 9 मार्च 1956 को लंदन (इंग्लैंड) में एक मलयाली नायर परिवार में हुआ था। लेकिन उनका मूल निवास स्थान दक्षिण भारत का केरल राज्य है। उनके पिता का नाम चंद्रन थरूर और माता का नाम लिली थरूर है। जब थरूर महज दो साल के थे तभी उनके माता-पिता लंदन से अपने देश भारत वापिस आ गए थे।
शैक्षणिक जीवन
शशि थरूर की शुरुआती पढ़ाई मोंटफोर्ट स्कूल, यरकौड (तमिलनाडु) और कैंपियन स्कूल मुंबई से हुई है, तत्पश्चात उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज कोलकाता, सेंट स्टीफंस कॉलेज दिल्ली और टफ्ट्स यूनिवर्सिटी यूएसए से कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। अगर हम थरूर की डिग्रियों की बात करें तो उन्होंने बी.ए. एम.ए. एमएएलडी. पीएच. डी. डी. लिट तक की डिग्री हासिल की है।
पारिवारिक जीवन
शशि थरूर का पारिवारिक जीवन थोड़ा रोमांचक सा रहा है जिसमें उनका बहु वैवाहिक जीवन शामिल रहा है, उनकी पहली पत्नी तिलोत्तमा मुखर्जी, दूसरी पत्नी क्रिस्टा जाइल्स और तीसरी पत्नी सुनंदा पुष्कर रही हैं, जिनकी अभी कुछ साल पहले ही आकस्मिक मृत्यु हुई थी, और उनकी मृत्यु का मामला भारतीय मीडिया में काफी चर्चा का विषय भी रहा था जिसके कारण शशि थरूर भी काफी चर्चा में रहे थे।
थरूर के दो बेटे हैं जिनके नाम हैं ईशान थरूर और कनिष्क थरूर। उनकी दो बहने भी हैं जिनके नाम हैं स्मिता थरूर और शोभा थरूर। थरूर के पिता चंद्रन थरूर ने स्टेट्समैन न्यूज़ पेपर में लगभग 25 साल काम किया है, उन्होंने कोलकाता, मुंबई और दिल्ली में भी कई वर्षों तक अलग-अलग पदों पर काम किया है।
राजनीतिक जीवन
शशि थरूर की राजनीतिक यात्रा सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रही है बल्कि थरूर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नेता भी रहे हैं, आइये विस्तार पूर्वक जानते हैं थरूर के राजनीतिक जीवन के बारे में कि वे कहाँ से राजनीति की राह पर चले और वर्तमान में कहाँ पर हैं और भविष्य में कहाँ तक जा सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ में शशि थरूर की भूमिका
थरूर की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत महज 22 साल की उम्र में ही शुरू हो गई थी वह भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, जिसके तहत वे 1978 में जिनेवा में शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (UNHCR) के स्टाफ सदस्य चुने गए, तत्पश्चात 1981 से लेकर 1984 तक वे सिगापुर में UNHCR के कार्यालय प्रमुख थे।
1989 में वे विशेष राजनीतिक मामलों के अवर महासचिव के सहायक बने, जो इकाई बाद में न्यूयॉर्क पीसकीपिंग ऑपरेशन विंग बन गई, तत्पश्चात 1996 में वे संयुक्त राष्ट्र के महासचिव कोफ़ी अन्नान के संचार तथा विशेष परियोजनाओं के निदेशक और कार्यकारी सहायक बनें।
तत्पश्चात शशि थरूर को संचार और सार्वजनिक सूचना का अवर महासचिव बनाया गया, 2001 में वे लोक सूचना विभाग (UNDPI) के प्रमुख बने। 2006 में भारत सरकार ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पद के लिए नामांकित किया जिसमें वे बान कीके आम लोकसभा मून के बाद दूसरे स्थान पर रहे।
9 फ़रवरी 2007 को थरूर संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव पद से इस्तीफा दे देते हैं और 1 अप्रैल 2007 को वे संयुक्त राष्ट्र को हमेशा के लिए अलविदा कह देते हैं और उसके बाद वे अपने देश भारत की तरफ का रुख करते हैं और दक्षिण भारत से अपने स्वदेशी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करते हैं।
भारतीय राजनीति में शशि थरूर की भूमिका
1978 से लेकर 2007 तक शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अलग-अलग पदों पर काम किया और उसके बाद भारत की सर जमीं केरल जहाँ से वे अपने स्वदेशी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करते हैं वह उनका अपना जन्म क्षेत्र था। 2009 में थरूर वहाँ के लोकसभा के आमचुनाव में तिरुवनंतपुरम की सीट से चुनाव लड़ते हैं और उसमें अपने प्रतिद्वंदी को लगभग 1 लाख मतों से हराकर संसद सदस्य बनते हैं।
2009 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की ही सरकार बनती है और मनमोहन सिंह ही प्रधान मंत्री बनते हैं जिसमें सरकार में उन्हें विदेश राज्य मंत्री बनाया जिसके तहत उन्हें अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और खाड़ी देशों का प्रभारी का काम देखना था।
2014 के लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है, नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनते हैं लेकिन मजे की बात यह है कि उस चुनाव में केरल के उसी तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से शशि थरूर ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राजगोपाल को लगभग 15000 मतों से हराकर दूसरी बार जीत हासिल करते हैं और बिपक्ष की सदस्यता प्राप्त की जिसमें उन्हें विदेशी मामलों का संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
2014 के ही अक्टूबर महीने में शशि थरूर को उनकी ही पार्टी ने इसलिए प्रवक्ता पद से हटा दिया था क्योंकि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर दी थी जो कि कांग्रेस के आलाकमान को हजम नहीं हुई, और हो भी कैसे आखिर घोर प्रतिद्वंदी जो ठहरे, तो थरूर पर आलाकमान की नाराजगी भी जायज ही थी।
2019 के लोकसभा चुनाव में शशि थरूर फिर से एक बार दक्षिण भारत के केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम की सीट से चुनाव जीत जाते हैं और अपने जलवे को कायम रखते हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में डूबती कांग्रेस को उबारने के लिए आलाकमान ने यह फैसला लिया है कि अब कांग्रेस का अध्यक्ष गाँधी परिवार के बाहर का होगा जिसमें तीन नाम सामने आये, पहला राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोट, दूसरा दक्षिण भारत के दिग्गज और पुराने नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और तीसरा नाम है शशि थरूर का।
जिसमें फिलहाल अशोक गहलोट इस रेस से बाहर हो चुके हैं, और अब सीधी टक्कर है मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच, देखते हैं कि इस रेस में आखिर कौन बाजी मारता है और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनता है।
कमाई और संपत्ति
अगर हम शशि थरूर की कमाई की बात करें तो वे इस समय दक्षिण भारत के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के वर्तमान सांसद हैं, और उन्हें 1 लाख रूपये महीना सैलरी तथा अन्य सरकारी भत्ते मिलते हैं। थरूर की कुल संपत्ति 35 करोड़ रूपये आँकी गई है।
दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके ज्ञान के भंडार को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में लेकर जायेगा, तो आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।
लेखक परिचय
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