आइये जानते हैं कि लक्ष्य कैसे बनायें, लक्ष्य बनायें सफलता पायें।
लक्ष्य तो होना ही चाहिये, जीवन में कुछ करने लिये। निरंतरता जरूरी है, उस लक्ष्य को पकड़ने के लिये।।
नमस्कार दोस्तों, मै अमित दुबे आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ।
एक आदमी दौड़ा-दौड़ा बड़ी तेजी से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आता है, टिकट काउंटर पर पहुँचकर जेब से 500 रूपये का नोट निकालकर कहता है कि मुझे एक टिकट दे दो, जब काउंटर पर बैठा व्यक्ति उससे पुछता है की आपको कहाँ जाना है ये तो बताइये तभी तो मै आपको टिकट दूंगा, इस पर वह आदमी कहता है कि कहीं का भी दे दो क्या फर्क पड़ता है कहीं ना कहीं तो पहुँच ही जाऊँगा।
ज़रा सोचियेगा क्या वह आदमी कहीं पहुँच पाया होगा, और अगर कहीं पहुंचा भी होगा तो वह क्या कुछ कर पाया होगा क्योंकि जिस आदमी के पास कोई योजना ही नहीं होगी की उसे कहाँ जाना है और किस लिए जाना है तो वह आखिर कहाँ पहुँचेगा और अगर मान लो कि वह कहीं पहुँच भी जाता है तो वह वहाँ पर करेगा क्या, जब उसने कुछ सोचा ही नहीं है, तो करेगा क्या…………….?
आपको यह अवश्य जानना चाहिये कि लक्ष्य कैसे बनायें – लक्ष्य बनायें सफलता पायें।
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लक्ष्य कैसे बनायें | लक्ष्य बनायें सफलता पायें
दोस्तों, यहाँ पर एक ऐसे आदमी की चर्चा चल रही है, जो बिना कोई योजना बनाये ही अपने घर से निकल जाता है, उसे यही नहीं पता है कि आखिर उसे जाना कहाँ है, यह एक आदमी तो सिर्फ उदाहरण के लिए है बाकी तो लाखों-करोड़ों लोग होंगे जो ऐसे ही बगैर किसी योजना के जिंदगी जिये चले जा रहे हैं, उन्हें यही नहीं पता है कि वे इस दुनियाँ में क्यों आये हैं, उन्हें अपने सम्पूर्ण जीवन काल में करना क्या है और उन्हें पहुँचना कहाँ हैं।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम यह जानेंगे, कि लक्ष्य क्या होता है, यह क्यों जरुरी होता है, इसे कैसे बनाया जाता है और कैसे हासिल किया जाता है, छोटा लक्ष्य, मीडियम लक्ष्य, बड़ा लक्ष्य और जीवन लक्ष्य की पहचान क्या होती है, यह सब बड़े ही स्पष्ट तरीके से बताया जाएगा। तो बने रहिये हमारे साथ, क्योंकि आज होगी सिर्फ लक्ष्य की बात।
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लक्ष्य कैसे बनायें | लक्ष्य बनायें सफलता पायें
लक्ष्य क्या होता है :
लक्ष्य वह अंतिम बिंदु होता है, जिसे निर्धारित करके उसकी प्राप्ति के लिए घोर प्रयास किया जाता है। इसकी सबसे खाश बात यह है कि जो इसे पाना चाहता है यह उसे खुद अपनी तरफ खींचने लगती है लेकिन अगर उस व्यक्ति के अंदर अपने लक्ष्य के प्रति जूनून है तो, वर्ना तो लक्ष्य बनाकर भी गोल चक्कर के चक्कर काटने वालों की कमी नहीं है।
लक्ष्य का जन्म इंसानी इच्छा से शुरू होता है, क्योंकि इंसान के अंदर जब कोई इच्छा जन्म लेती है तो उसे पाने के लिए वह प्रयास करता है और उस प्रयास के द्वारा अपनी इच्छा की प्राप्ति के लिए जिस जगह पर वह पहुँचना चाहता है वही उसका लक्ष्य होता है। वैसे तो लक्ष्य का संबंध मानव जाति के हर एक इकाई से होता है, लेकिन इसका सबसे गहरा रिश्ता संगठनों से होता है अब चाहे वह व्यापारिक संगठन हो या सामाजिक या फिर राजनीतिक। किसी भी संगठन का मुख्य उद्देश्य उसके संगठन के लक्ष्य को प्राप्त करना होता है।
लक्ष्य के बिना कोई भी संगठन सुचारु रूप से काम नहीं कर सकता, लक्ष्य के बिना कोई इंसान अपने जीवन में कोई बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर सकता, लक्ष्य के बिना इंसान का जीवन कुछ इस तरह होता है जैसे कोल्हू का बैल जो सिर्फ गोल-गोल घूमता रहता है, पर कहीं पहुँच नहीं पाता। जो लक्ष्य बनाते हैं, और उसे पाने के लिए प्रतिज्ञा करते हैं साथ ही अपने लक्ष्य की प्राप्ती के लिए पुरे जोश से जुटे रहते हैं वे एक दिन अपने लक्ष्य को जरूर प्राप्त करते हैं।
लक्ष्य का संबंध उद्यमियों (Entrepreneurs) से बड़ा ही गहरा होता है, क्योंकि कोई भी उद्यमी बिना लक्ष्य के कोई भी नहीं करता बल्कि उनका उद्देश्य ही लक्ष्य बनाकर उसे हासिल करना होता है वे अपने कर्मचारियों से काम लेने के लिए उन्हें लक्ष्य देते हैं और उसे पूरा करने के लिए उन्हें निश्चित समय सीमा देते हैं। निश्चित समय सीमा के अंदर किसी काम को पूरा करने का निर्देश लक्ष्य को पूरा करने का आदेश है।
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लक्ष्य कैसे बनायें | लक्ष्य बनायें सफलता पायें
लक्ष्य क्यों जरुरी होता है :
एक आदमी एक सीधी सड़क पर चला जा रहा था, आगे जाकर उसे एक चौराहा मिलता है जहाँ से तीन सड़कें अलग-अलग दिशा को जा रही होती हैं, उसने वहाँ खड़े एक दूसरे आदमी से पुछा कि ये सड़कें कहाँ-कहाँ को जाती हैं, इस पर दूसरे आदमी ने पूछा कि ये बताओ कि आप को कहाँ जाना है इस पर पहले ने जबाब दिया कि कहीं भी चले जायेंगे क्या फर्क पड़ता है, यह सुनते ही दूसरे आदमी ने पहले से कहा फिर तो आप कोई भी रास्ता पकड़ लो जब आपको यही नहीं पता है कि आपको जाना कहाँ है तो कहीं भी चले जाओ क्या फर्क पड़ता है।
दोस्तों, लक्ष्य चाहे किसी इंसान के लिए हो या फिर किसी संगठन के लिए, उसका होना इसलिए जरुरी है कि उसमे एक दिशा होती है, लक्ष्य बनाने के बाद ही उसको पाने का प्रयास किया जाता है, जब तक लक्ष्य नहीं होगा तब तक प्रयास नहीं होगा या यूँ भी सकते हैं कि लक्ष्य प्रयास को सही दिशा में ले जाने का काम करता है अगर आप के पास लक्ष्य नहीं है तो आप अपने मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को एक दिशा में नहीं लगा पाते हो बल्कि इधर-उधर, में वे व्यर्थ ही खर्च होते हैं। जब आदमी लक्ष्य बना लेता है और उसे वाकई में पाना चाहता है वह अपनी समस्त मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को एकत्रित करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति में लगाता है और एक दिन कामयाब और सफल बन जाता है।
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लक्ष्य कैसे बनायें | लक्ष्य बनायें सफलता पायें
लक्ष्य कैसे बनाया जाता है :
लक्ष्य बनाने के लिए, इंसान के मन में कुछ पाने या करने की इच्छा होनी चाहिए तभी लक्ष्य बनाना कारगर होता हैं क्योंकि जो पाना है उसके लिए जिस जगह पहुँचना है वही स्थान उस इंसान का लक्ष्य होता है और अगर मन में कोई इच्छा ही नहीं है, कुछ पाने की चाहत ही नहीं है, तो लक्ष्य बनाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
अपने मन में किसी इच्छा को जगाकर उसे पाने के लिये लक्ष्य बनाया जाता है। इसलिए आप समझें कि लक्ष्य कैसे बनायें – लक्ष्य बनायें सफलता पायें।
लक्ष्य कैसे हासिल किया जाता है :
किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए, सबसे बेहतरीन जरिया है उसकी तरफ निरंतर बढ़ते रहना लाख आँधी और तूफान आये, पर तेरे कदम न लड़खड़ाये और तू आगे ही बढ़ता जाये, बढ़ता जाये, बढ़ता जाये, शिखर पर चढ़ता जाये।
छोटा लक्ष्य :
यह एक दिन, एक सप्ताह, एक महीना या फिर एक साल का भी हो सकता है, जैसे – एक स्वरोजगारी व्यक्ति का लक्ष्य कि आज शाम तक 700 रुपये कमाना है, एक दुकानदार का
लक्ष्य कि इस सप्ताह 2 लाख रुपये तक की विक्री करनी है, एक मार्केटिंग एक्जक्युटिव का लक्ष्य कि इस महीने मार्केट से 30 लाख रुपये का आर्डर लेना है और एक कम्पनी का लक्ष्य कि इस साल हमारी कम्पनी को 20 करोड़ का व्यापार करना है।
मीडियम लक्ष्य :
यह तीन साल से पाँच साल तक का हो सकता है, जैसे – नई कम्पनी या कोई भी काम शुरु करके उसको तीन या पाँच सालों के अन्दर एक मुकाम पर पहुँचाना और लोगों के बीच अपने वस्तु या सेवा के प्रति विश्वास पैदा करना। उस विश्वास के बदले अपने उत्पाद की विक्री में निरंतरता लाना, नाम और पैंसा कमाना।
लक्ष्य उन्ही को हासिल होता है जो उसकी सीध में चलता जाये। इसलिए आप ये जानें कि लक्ष्य कैसे बनायें-लक्ष्य बनायें सफलता पायें।
बड़ा लक्ष्य :
यह दस साल या उससे भी अधिक समय तक का हो सकता है, मल्टीनेशनल कम्पनियाँ जिनका व्यापार दुनियाँ के कोने-कोने तक फैला रहता है वे इसी बड़े लक्ष्य को फॉलो करते हैं, वे कई साल तो सिर्फ अपने प्रोडक्ट और बाजार के बारे में रिसर्च करने में लगा देते हैं, उसके बाद प्रोडक्ट तैयार करके पूरी दुनियाँ में सप्लाई करते हैं, विज्ञापन करते हैं, लोग उनके प्रोडक्ट को खरीदने लगते हैं और इसके बाद जब लोग लगातार उस प्रोडक्ट को खरीदते रहते हैं तब कहीं जाकर कम्पनियों को मुनाफा मिलना शुरू होता है और कम्पनियों के लक्ष्य पुरे होते हैं क्योंकि किसी भी व्यवसाय का अंतिम लक्ष्य उससे होने वाला मुनाफा ही होता है।
जीवन लक्ष्य :
इसकी कोई निर्धारित समय सीमा नहीं होती, बल्कि यह पूरे जीवन काल को किसी एक काम में समर्पित करने वाला लक्ष्य होता है तभी तो इसे जीवन लक्ष्य कहा जाता है। जब कोई इंसान किसी काम को करने में थकता नहीं हैं, कोई कितना भी रोके मगर वह रुकता नहीं है, लोगों के लाख भटकाने पर भी वह भटकता नहीं है, कोई कुछ भी कहे लेकिन वह मस्त-मौला अपनी धुन में चला जा रहा होता है, तो समझ लेना कि वह जीवन लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है। इसका संबंध कलाकार, खिलाड़ी, राजनेता, अभिनेता और महापुरुषों आदि से होता है। स्पष्ट शब्दों में कहें तो इसका सबसे गहरा संबंध अमीरी और सफलता से है।
लक्ष्य का जादू ऐसे काम करता है :
लक्ष्य को पाने के लिए सबसे अहम् बात यह है, कि इसका होना बहुत जरुरी है। लक्ष्य होता ही इसीलिए है कि उसको प्राप्त किया जा सके और उसे प्राप्त करने के लिए उसकी स्पष्टता जरुरी है क्योंकि जब तक आप और आप का लक्ष्य एक दूसरे से कल्पना के जरिये रूबरू नहीं होंगे तब तक आपको लक्ष्य दिखेगा नहीं और एक बार अगर आप अपने लक्ष्य को अपनी मन की आँखों से देख लेते हैं और उससे ऐसा प्यार जैसे कोई महबूब अपनी महबूबा से करता है आप भी अपने लक्ष्य से करने लगते हैं तो लक्ष्य का जादू कुछ इस तरह काम करने लगता है कि लक्ष्य खुद ही आपको अपने पास आने का रास्ता बता देता है।
लक्ष्य में चुम्बकीय गुरुत्वाकर्षण होता है जो पाने वाले को अपनी तरफ खींचता है इसलिए आपको ये जानना चाहिए कि लक्ष्य कैसे बनायें-लक्ष्य बनायें सफलता पायें।
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Thanking You / धन्यवाद / शुक्रिया / मेहरबानी……………………………….जय हिन्द – जय भारत
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com
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