भूकंप क्यों आता है ? | भूकंप कैसे आता है ?

भूकंप क्यों आता है ? > पृथ्वी के नीचे के प्लेटों में जब कुछ हलचल सी होती है तो उसका प्रभाव पृथ्वी के ऊपरी भाग पर पड़ता है परिणामतः पृथ्वी का वह भाग जिसके नीचे प्लेटों में टकराव होता है उसके ऊपर भूकंप आता है और भूकंप सिर्फ उसी जगह पर नहीं आता बल्कि उसका एहसास भूकंप (Earthquake) के केंद्र बिंदु से सैकड़ों किलोमीटर तक महसूस होता है।

लेकिन सिर्फ इतना जान लेने से ही आपको भूकंप के आने की पूरी जानकारी नहीं मिल जाती बल्कि इसे विस्तार से समझना होगा, और सब कुछ समझने के लिए आपको इस पूरे आर्टिकल को पढ़ना होगा, तो आइये अब शुरू करते हैं।

भूकंप क्यों आता है
भूकंप क्यों आता है

भूकंप क्यों आता है ?

भूकंप आने का सीधा सा कारण है धरती के अंदर मौजूद वह प्लेटें जो निरंतर घूमती रहती हैं। जैसा कि हम आपको बताना चाहेंगे कि धरती के अंदर कुल 7 प्लेटें हैं जो घूमते-घूमते आपस में टकरा जाती हैं और जहाँ ये प्लेटें ज्यादा टकराती है उस क्षेत्र को फाल्ट लाइन कहते हैं।

जब वह प्लेटें बार-बार आपस में टकराती हैं तो उनके कोने मुड़ते हैं और ज्यादा दबाव बनने के कारण वे प्लेटें टूटने लगती हैं जिसके कारण वहाँ की ऊर्जा बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने लगती हैं जिसके कारण धरती पर भूकंप आता है।

भूकंप का केंद्र क्या होता है ?

धरती का वह हिस्सा जिसके नीचे प्लेटों में टकराव होने के कारण हलचल पैदा होती है उस स्थान को भूकंप का केंद्र बिंदु माना जाता है क्योंकि धरती के उस स्थान के ऊपर ही सबसे तीव्र कंपन का एहसास होता है।

भूकंप के केंद्र बिंदु के आस-पास ज्यादा तबाही की संभावना होती है। जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है भूकंप का असर कम होता जाता है लेकिन यदि तीव्रता 7 या उससे ज्यादा है तो खतरा ज्यादा होता है। खाशकर केंद्र बिंदु से 40-50 किलोमीटर के दायरे के अंदर भूकंप के झटके ज्यादा तेज होते हैं।

भूकंप की तीव्रता क्या होती है ?

जब भूकंप आता है तो उसके तीव्रता की बात होती है। यह तीव्रता रिक्टर स्केल के आधार पर मापी जाती है जो 1 से लेकर 9 तक के बीच होता है जितनी कम तीव्रता होगी उतना ही कम असरदार और जितनी ज्यादा तीव्रता होगी उतना ही ज्यादा असरदार और घातक भूकंप होगा। भूकंप को मापने के लिए भूकंपमापी मशीन (सीस्मोग्राफ) का इस्तेमाल किया जाता है, आइये भूकंप की तीव्रता के बारे में विस्तार से समझते हैं।

तीव्रता रिक्टर स्केल में प्रभाव / खतरा

शून्य से दो > बहुत हल्का, आपको पता भी नहीं चलेगा।

दो से तीन > हल्का, जिसे आप थोड़ा सा महसूस कर सकते हैं।

तीन से चार > थोड़ा असरदार, जिसे आप नज़रंदाज़ नहीं कर सकते।

चार से पांच > घर की छोटी-मोटी चीजें हिल-डुल सकती हैं।

पांच से छः > घर की बड़ी चीजें जैसे-बेड आदि हिल-डुल सकती हैं।

छः से सात > मकान में दरार आ सकता है, दीवार भी गिर सकती है।

सात से आठ > घातक, यहाँ तक कि बहुमंजिली इमारतें गिर सकती हैं।

आठ से नौ > अत्यंत घातक, सर्वनाश होने का खतरा बना रहता है।

नौ से अधिक > भयानक त्रासदी, पृथ्वी पर तबाही और समुन्दर में सुनामी।

भूकंप आने पर क्या करें ?

भूकंप जब भी आता है झटके से आता तबाही मचाता है और अपने पीछे बर्बादी की दास्ताँ छोड़कर चला जाता है। इसलिए भूकंप आने पर हम अपने बचाव के लिए ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकते लेकिन जो कर सकते हैं उसके बारे में अगर हमें जानकारी होगी तो कम से कम हम उसे तो कर ही सकते हैं।

भूकंप आने पर घर पर हैं तो क्या करें ?

  • भूकंप आने पर घर से बाहर ना निकलें, जब झटका बंद हो जाए तब निकलें।
  • अगर भूकंप आ जाए तो नीचे जमीन पर बैठ जाएँ, जब तक झटका बंद ना हो।
  • भूकंप आने पर टेबल या फिर डाइनिंग टेबल के नीचे बैठकर सिर और मुंह धक् लें।
  • अगर आप सो रहे हैं और भूकंप आ जाए तो बिस्तर पर ही लेटकर तकिये से मुंह धक लें।
  • भूकंप आ जाए तो घर के सभी बिजली के पॉइंट बंद कर दें।

भूकंप आने पर बाहर हैं तो क्या करें ?

  • भूकंप आने पर बहुमंज़िली इमारतों से दूर रहने की कोशिश करें।
  • भूकंप आ जाने पर बिजली के खम्भों और तारों से दूर रहें।
  • अगर गाड़ी से यात्रा कर रहे हैं तो खुले स्थान पर गाड़ी रोक दें और उसी में बैठे रहें। ,
  • अपने वाहन को किसी पुल के ऊपर या नीचे ना खड़ा करें।
  • अगर ऑफिस में हैं तो भूकंप आने पर लिफ्ट का इस्तेमाल ना करें।

पृथ्वी पर सबसे ज्यादा भूकंप कहाँ आता है ?

जापान ऐसा देश है जहाँ पृथ्वी पर सबसे ज्यादा भूकंप आता है। और उन्हें भूकंप के बाद की परिस्थितिओं से जल्द उबरने की आदत सी भी पड़ गयी है। जापान ही एक ऐसा देश है जो भूकंप से हुए नुकसान को बहुत ही जल्द कवर कर लेता है।

इंडोनेशिया में भी भूकंप बहुत आता है क्योंकि यह रिंग ऑफ़ फायर जोन में आता है जहाँ ज्वालामुखी फटने से भूकंप के तेज झटके आते रहते हैं। इसके आलावा जावा और सुमात्रा में भी भूकंप बहुत आता है जो प्रशांत महासागर के किनारे के इलाके हैं।

भारत में भूकंप संभावित क्षेत्र कौन से हैं ?

भारत में भूकंप के चार सेस्मिक जोन हैं, जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5 इनमे जोन-5 में सबसे ज्यादा भूकंप आता है और जोन-2 में सबसे कम, आइये जानते हैं सभी जोनों के बारे में।

जोन-2 :

इस जोन में किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होता है, इसलिए इसे लो डैमेज रिस्क जोन कहा जाता है।

जोन-3 :

इस जोन में हिमालय का पश्चिमी हिस्सा, चेन्नई (तमिलनाडु) और अंडमान-निकोबार जैसे क्षेत्र आते हैं, इसे मोडरेट डैमेज रिस्क जोन कहते हैं।

जोन-4 :

यह ऐसा जोन है जहाँ पर भूकंप आने पर सबसे ज्यादा नुकसान होने की संभावना होती है, इसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, दिल्ली और मुंबई (महाराष्ट्र) के इलाके आते हैं।

जोन-5 :

इस जोन में सबसे ज्यादा भूकंप आने का खतरा बना रहता है, इसमें हिमालय का मध्य हिस्सा, श्री नगर (जम्मू-कश्मीर), गुवाहाटी (असम) और कच्छ (गुजरात) आते हैं।

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके General Knowledge को और बेहतर बनायेगा, आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने तथा ज्ञान का प्रसार करने का काम कर रहे हैं।

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