बारिश क्यों और कैसे होती है? | Why and how does it rain?

क्या आप जानते हैं कि बारिश क्यों और कैसे होती है? अगर हाँ तो अच्छी बात है और अगर नहीं तो बने रहिये हमारे साथ क्योंकि इस आर्टिकल में होगी सिर्फ और सिर्फ बारिश के बारे में बात ।

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बारिश क्यों और कैसे होती है?
बारिश क्यों और कैसे होती है?

बारिश क्यों और कैसे होती है?

दोस्तों, प्रकृति के रूप भी बड़े निराले हैं, कहीं कड़ी धूप तो कहीं बादल काले हैं। और काले बादल हमें यह संकेत देते हैं कि बारिश आने की संभावना है।

लेकिन बारिश आती कैसे है ? इसके पीछे का कारण क्या है ? सब कुछ बतायेंगे, आपके सवाल का जबाब तो हम देंगे ही साथ ही साथ पूरी प्रक्रिया से आपको रुबरू भी करायेंगे, तो आइये अब शुरु करते हैं।

सूरज की किरणों से जब पृथ्वी गर्म होती है तो पृथ्वी का पानी वाष्प बनकर ऊपर की ओर जाने लगता है और वही वाष्प ऊपर जाकर बादल का रुप धारण कर लेते हैं और जब वे ठंडे होने लगते हैं तो दुबारा फिर पृथ्वी पर गिरते हैं। जिसे बारिश (वर्षा) कहते हैं।

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लेकिन सिर्फ इतना जान लेने से ही आप बारिश के बारे में जानकार नहीं हुए हैं, इसलिए हम इस पूरी प्रक्रिया को ठीक से समझते हैं।

पृथ्वी से पानी आसमान में कैसे जाता है?

पृथ्वी पर इकट्ठा पानी के सतह पर जैसे – तालाबों, झीलों, नदियों और महासागरों पर जब सूर्य की तेज किरणें पड़ती हैं तब उसकी गर्मी से पानी वाष्प बनकर ऊपर उठने लगता है और आसमान में बादल का रूप धारण कर लेता है।

इस तरह पृथ्वी का पानी आसमान में पहुँचता है और बादल के रूप में आसमानी हवाओं के माध्यम से इधर-उधर घूमता रहता है। इस प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं।

आसमान से पानी बारिश बनकर पृथ्वी पर कैसे आता है?

आसमान में बादल के रूप में बहुत सारा पानी इकट्ठा रहता है अगर सारा पानी एक साथ पृथ्वी पर गिर जाए तो सर्वनाश हो जायेगा लेकिन ऐसा नहीं होता बल्कि पृथ्वी की अलग-अलग पर्यावर्णीय परिस्थितियां उन बादलों को खुद पर बरसने के लिए बेबस करती हैं।

अर्थात जब बादल के रूप में जमा पानी ठंडा होने लगता है तब वह तरल पानी में परिवर्तित होने लगता है और अगर ज्यादा ठंडा हो जाए तो बर्फ के रूप में भी परिवर्तित होने लगता है। इस प्रक्रिया को संघनन कहते हैं।

बारिश की प्रक्रिया कुछ इस तरह की होती है जैसे – पहले तरल बूंदें इकट्ठी होती हैं उसके बाद बड़ी बूंदों में परिवर्तित होती हैं और जब वे बूंदें काफी भारी हो जाती हैं उसके बाद बारिस होती है। इस प्रक्रिया को वर्षण कहते हैं।

बारिश होने के अन्य कारण कौन-कौन से हैं?

समुद्र स्थल से दूरी, पर्वतीय स्थल से दूरी, हरियाली स्थल से दूरी, हवाओं के बहने का रुख, अन्य जलवायु कारक आदि मिलकर परिस्थितियाँ पैदा करते हैं कि कहाँ, कहाँ और कैसे कितनी बारिश होगी।

समुद्री, पर्वतीय, हरियाली भरे इलाकों में ज्यादा बारिश होती है और सूखे और रेगिस्तानी इलाकों में कम या ना के बराबर बारिश होती है।

दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल “बारिश क्यों और कैसे होती है” आपके सवाल का जबाब देनें में सक्षम रहा होगा। अगर हाँ तो इसे लाइक और शेयर करना ना भूलें।

आज के लिये सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, तब तक के लिये…………जय हिन्द – जय भारत 

आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर (Founder of motivemantra.com)

लेखक परिचय

इस वेबसाइट के संस्थापक अमित दुबे हैं, जो दिल्ली में रहते हैं, एक Youtuber & Blogger हैं, किताबें पढ़ने और जानकारियों को अर्जित करके लोगों के साथ शेयर करने के शौक के कारण सोशल मीडिया के क्षेत्र में आये हैं और एक वेबसाइट तथा दो Youtube चैनल के माध्यम से लोगों को Motivate करने का काम कर रहे हैं।

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