पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई यह सवाल आपके मन में कभी ना कभी जरुर आया होगा और आना भी चाहिये क्योंकि हम जिस पृथ्वी पर रह रहे हैं उसके बारे में हमें अवश्य पता होनी चाहिये, आप के इसी सवाल के जबाब में हमने यह आर्टिकल लिखा है जिसमें पृथ्वी के उत्पत्ति के रहस्य के बारे में बताया गया है, तो आइये अब शुरु करते हैं।
पृथ्वी की उत्पत्ति कब और कैसे हुई इस पर चर्चा करने से पहले हमें यह जरूर जानना चाहिए कि पृथ्वी की उत्पत्ति कहाँ और किसके द्वारा हुई और इसके लिए हमें सूर्य और उसके सौरमंडल के बारे में जानना होगा इसलिए पहले हम यह जानते हैं कि सौरमंडल क्या है,,,,,?
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पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई
सौरमंडल क्या है ?
सौरमंडल सूर्य के आस-पास का वह हिस्सा है जिसमें उसके आठों गृह उसकी परिक्रमा करते हैं। जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि हमारी पृथ्वी भी सौरमंडल का ही एक हिस्सा है। सौरमंडल के आठ ग्रहों में से एक गृह पृथ्वी भी है। आगे बढ़ने से पहले हम उन आठों ग्रहों के नामों को सूर्य से दूरी के हिसाब से जानेंगे जो इस प्रकार हैं।
सौर मंडल के आठों गृह
- बुद्ध (Mercury)
- शुक्र (Venus)
- पृथ्वी (Earth)
- मंगल (Mars)
- बृहस्पति (Jupiter)
- शनि (Saturn)
- अरुण (Uranus)
- वरुण (Neptune)
लगभग साढ़े चार अरब साल पहले सूर्य के अंदर एक महाविस्फोट हुआ था जिसमे से आठ टुकड़े अलग होकर उसके इर्द-गिर्द मंडराने लगे जिन्हें सौरमंडल के परिवार के ग्रहों के नाम से जाना गया। ऊपर के दृश्य को ध्यान से देखें जिनमे सभी गृह एक के बाद एक की श्रेणी में सूर्य की परिक्रमा करते नज़र आ रहे हैं जिनमे तीसरा गृह पृथ्वी (Earth) है।
पृथ्वी की उत्पत्ति कब हुई ?
पृथ्वी की उत्पत्ति अब से लगभग साढ़े चार अरब साल पहले हुई थी।
उस समय पृथ्वी का तापमान बहुत ज्यादा था। स्पष्ट भाषा में कहें तो पृथ्वी जब सूर्य से अलग हुआ तो लगभग साढ़े तीन अरब साल तक आग का गोला ही था।
लेकिन अब से लगभग एक अरब साल पहले इसमें बदलाव होना शुरू हुआ।
पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई ?
पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य के अंदर हुए एक महाविस्फोट के कारण हुई थी जो पहले एक आग का गोला था जो अरबों साल के बाद ठंडा हुआ उसके बाद धीरे-धीरे प्रकृति में बदलाव के साथ इसमें मानव जीवन की उत्पत्ति हुई जो पहले जानवर थे लेकिन बाद में मानव रूप में परिवर्तित हुए। पृथ्वी पर मानव जीवन के आने से इसकी तश्वीर बदलने लगी।
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पृथ्वी की उत्पत्ति का रहस्य
हमारी पृथ्वी आज जैसी है शुरुआती काल में ऐसी नहीं थी बल्कि अनेकों अवस्थाओं से गुजरते हुए इस अवस्था में पहुंची है। धूल और गैस के गोले से बनी पृथ्वी भंवर गति से घूमते हुए द्रव्य अवस्था के रूप तक पहुंची।
पृथ्वी के द्रव्य अवस्था में पहुँचने के बाद इसमें मौजूद हल्के पदार्थ नीचे गहराई से निकलकर इसकी आग्रेह सतह पर एकत्रित होने लगे तत्पश्चात वे ठंडे होकर कठोर बनने लगे। परिणामतः पृथ्वी की ऊपरी परत धीरे-धीरे ठोस शैलों की निर्मित हो गई। उसके बाद पृथ्वी का अंदरूनी भाग ठंडा होकर सिकुड़ गया उसके बाद पृथ्वी की बाहरी पर्पटी में सिलवटें आ गई परिणामतः पृथ्वी में पर्वत श्रेणियाँ और श्रोणियाँ निर्मित हो गयीं।
उसके बाद अन्य हल्के पदार्थ पृथ्वी की पर्पटी के ऊपर एकत्रित होने लगे परिणामतः गैसों का वायुमंडल निर्मित हुआ और गैसों से भरे वायुमंडल में जब गर्म गैसीय पदार्थ ठन्डे होने लगे तब विशालकाय बादलों का जन्म हुआ जो हजारों सालों तक बारिश करते रहे जिसकी वजह से पृथ्वी की भू-पर्पटी की विशाल श्रेाणियाँ वर्षा के जल से भर गयीं परिणामतः विशाल महासागरों का निर्माण हुआ।
कुछ इस तरह पृथ्वी के अंदर की शक्तियाँ सतह पर चलने वाली हवाओं, होने वाली बारिश और ठंडी बर्फ के साथ मिलकर पृथ्वी के आकार को परिवर्तित करती रहीं जिसके कारण पर्वतों और महासागरों का निर्माण होता रहा।
कुछ ऐसी भी घटनाएं होती थी जैसे कभी-कभी पृथ्वी के हिलने के कारण पुराने समुद्रों के धरातल ऊपर उठ गए जिसके कारण पहाड़ों के शिखर का निर्माण हुआ। उन्हीं प्रक्रियाओं के कारण माउंट एवरेस्ट का जन्म हुआ। माउंट एवरेस्ट पर आज भी हमें बर्फ की गहरी सतह के नीचे रीढ़-विहीन जीव के जीवाश्म प्राप्त हो सकते हैं जो कभी किसी प्राचीन समुद्र की तलहटी में रहते थे।
अब रही बात पृथ्वी पर जीवन की तो पृथ्वी की उत्पत्ति के अरबों साल बाद जीवों की उत्पत्ति हुई। माना जाता है कि सर्वप्रथम जीवों की उत्पत्ति महासागरों से हुई जिनमे रेंगने वाले जीव उत्पन्न हुए और फिर धीरे-धीरे अन्य जीवों की उत्पत्ति हुई जिनमे मानव की उत्पत्ति ने पृथ्वी के विकास में चार-चाँद लगाया और पृथ्वी को एक विकसित ग्रह बनाया।
दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके जानकारियों की सूची में चार-चाँद लगाएगा और आपको और ज्यादा जानकार बनाएगा। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे।
आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।
लेखक परिचय
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