चाणक्य नीति : अध्याय – 3 | आचार्य चाणक्य के 20 विचार > चाणक्य नीति ऐसी नीति है जिसको पढ़ने के बाद कोई भी व्यक्ति पहले से ज्यादा चतुर और बुद्धिमान बन जाता है और भविष्य में आने वाले घटनाओं के प्रति सचेत हो जाता है और सीधी सी बात है कि जो इंसान चतुर, बुद्धिमान और सचेत हो जाता है तो सामने वाला भी उससे सोच और समझकर कर ही बात करता है, अगर आप भी चाहते हैं कि लोग आपको बुद्धिमानों की श्रेणी में रखें तो आपको चाणक्य नीति अवश्य पढ़नी चाहिए, तो बने रहियेगा हमारे साथ क्योंकि आज होगी सिर्फ और सिर्फ चाणक्य नीति पर खाश बात।
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चाणक्य नीति: अध्याय – 3
विचार : 1 >
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, संसार के हर एक व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ दुःख होता ही है, लेकिन उसके चिंता में ज्यादा नहीं पड़ना चाहिए और निरंतर अपने आप को सकारात्मक राहों पर चलते हुए आगे को बढ़ना चाहिए क्योंकि सुख और दुःख तो आते जाते रहते हैं।
विचार : 2 >
चाणक्य नीति में यह भी लिखा है कि, आचरण से ही व्यक्ति के कुल का पता चलता है, बोली से देश का पता चलता है, आदर सत्कार से प्रेम का और शरीर को देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है।
विचार : 3 >
चाणक्य यह भी कहते हैं कि, कन्या का विवाह किसी अच्छे घर में करना चाहिए, पुत्र को पढ़ाई लिखाई में लगा देना चाहिए, मित्र को अच्छे कार्यों में तथा शत्रु को बुराइयों में लगा देना चाहिए क्योंकि यही व्यवहारिकता है और समय की मांग भी।
विचार : 4 >
आचार्य जी कहते हैं कि, दुष्ट और साँप, इन दोनों में साँप अच्छा है न कि दुष्ट, क्योंकि साँप तो एक बार ही डसता है किन्तु दुष्ट तो पग पग पर डसता है, इसलिए दुष्ट से बचकर रहना चाहिए। .
विचार : 5 >
चाणक्य के अनुसार, संगति कुलीनों की करनी चाहिए क्योंकि वे वास्तव में संगति का धर्म निभाते हैं और अंत समय तक साथ नहीं छोड़ते हैं। कुलीन लोग तुच्छी हरकतें नहीं करते हैं बल्कि अपने स्वाभिमान को कायम रखते हुए जब भी जरुरत पड़ती है अपनी कुलीनता दिखाते हैं।
विचार : 6 >
चाणक्य नीति यह भी कहती है कि, सज्जनों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वे लोग प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपनी मर्यादा का उलंघन नहीं करते हैं बल्कि अपनी सज्जनता का परिचय देते हैं।
विचार : 7 >
आचार्य चाणक्य ने यह भी कहा है कि, मुर्ख व्यक्ति का साथ जितनी जल्दी हो त्याग देना चाहिए क्योंकि ये वे लोग होते हैं जो आपको कभी भी मुसीबत में डाल सकते हैं।
विचार : 8 >
चाणक्य यह भी कहते हैं कि, मनुष्य चाहे कितना ही सुन्दर हो, जवान हो, रईस हो, लेकिन अगर वह पढ़ा लिखा नहीं है, बेवकूफी भरी हरकतें करता है, बड़बोलापन दिखाता है तो उसे कहीं भी सम्मान नहीं मिलता है क्योंकि ऐसे लोगों को कोई भी पसंद नहीं करता है।
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चाणक्य नीति: अध्याय – 3
विचार : 9 >
आचार्य के कथन यह भी हैं कि, कोयल की सुरीली आवाज ही उसकी सुंदरता है, स्त्रियों की सुंदरता उनका पतिव्रता है, कुरूप व्यक्ति की सुंदरता उसकी विद्या होती है और तपस्वी की सुंदरता सबको क्षमा करना है।
विचार : 10 >
आचार्य जी यह भी कहते हैं कि, कुल की लाज बचाने के लिए एक व्यक्ति को त्याग देना चाहिए, गाँव की लाज बचाने के लिए कुल को त्याग देना चाहिए, राज्य की रक्षा के लिए गाँव को त्याग देना चाहिए तथा आत्मरक्षा के लिए संसार को त्याग देना चाहिए।
विचार : 11 >
चाणक्य कहते हैं कि, परिश्रम करने से दरिद्रता दूर होती है, ईश्वर का स्मरण करने से पाप दूर होता है, मौन रहने से कलह दूर होता है और जागते रहने से भय दूर होता है।
विचार : 12 >
आचार्य जी का यह भी कहना है कि, अति किसी भी चीज की सही नहीं होती जैसे – ज्यादा सुंदरता कभी-कभी स्त्री के लिए घातक हो जाता है, जैसे रानी पद्मावती। ज्यादा घमंड व्यक्ति के विनाश का कारण बन जाता है, जैसे – लंकापति रावण। ज्यादा दान देना भी इंसान को कभी-कभी महंगा पड़ जाता है, जैसे राजा हरिश्चन्द्र।
विचार : 13 >
चाणक्य के अनुसार, सामर्थ्यवान व्यक्ति के लिए कुछ भी भारी नहीं होता, व्यापार करने वालों के लिए कोई भी स्थान दूर नहीं होता, ज्ञानी व्यक्ति के लिए कोई भी जगह विदेश जैसा नहीं होता और मीठी वाणी बोलने वालों के लिए कोई भी पराया नहीं होता।
विचार : 14 >
चाणक्य नीति में यह भी लिखा है कि, जिस व्यक्ति के अंदर कोई खाश गुण होता है वह उसी के दम पर अपनी एक खाश पहचान बना लेता है, जैसे किसी वन में सुन्दर खिले हुए फूलों वाला एक ही वृक्ष अपनी सुगंध से पूरे वन को सुगन्धित कर देता है, इसी प्रकार किसी भी खानदान एक ही सुपुत्र पूरे खानदान का नाम रौशन कर देता है।
विचार : 15 >
आचार्य जी यह भी कहते हैं कि, जैसे एक ही सूखे पेड़ में आग लगने पर सारा जंगल जलकर राख हो जाता है बिलकुल उसी प्रकार किसी भी खानदान का एक ही कुपुत्र पूरे खानदान को बदनाम कर देता है।
विचार : 16 > आचार्य चाणक्य का यह भी कथन है कि जैसे एक अकेला चन्द्रमा रात के अँधेरे को दूर करके समस्त संसार में अपना प्रकाश फैलाता है बिलकुल उसी तरह किसी के भी पास अगर एक ही औलाद हो लेकिन गुणवान हो, मूल्यवान हो तो पूरे परिवार के साथ-साथ खानदान, गाँव तथा पूरे क्षेत्र का नाम रौशन कर देता है।
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विचार : 17 >
चाणक्य ने ही कहा है कि, माता-पिता द्वारा अपने पुत्र का 5 साल तक खूब लाड़ प्यार करना चाहिए, उसके बाद 5 साल से 15 साल तक उसे कठोर अनुशासन में रखना चाहिए लेकिन जैसे ही वह सोलहवें साल में प्रवेश करे उसके बाद उसके साथ मित्रों जैसा व्यवहार करना चाहिए।
विचार : 18 >
चाणक्य के ही यह भी वचन हैं कि, जहाँ कहीं भी लड़ाई-झगड़ा या दंगा-फसाद हो रहा हो, जिस जगह पर भयंकर अकाल पड़ जाए या फिर जिस स्थान पर दुष्टों का राज हो, वहाँ से भाग जाना ही समझदारी का काम है।
विचार : 19 >
आचार्य जी यह भी कहते हैं कि, जिस व्यक्ति के जीवन में धर्म ना हो, धन ना हो, काम या भोग ना हो और ना ही उसे मोक्ष प्राप्त हो सके तो ऐसे में उसका जीना-मरना एक सामान है अर्थात उसका जीवन निरर्थक है।
विचार : 20 >
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि, जिस घर में एक भी व्यक्ति मूर्ख नहीं होता, जहाँ पर खाने-पीने की चीजें भरी रहती हैं और पति-पत्नी में एक दूसरे के प्रति आदर-सम्मान की भावना हो, वहाँ लक्ष्मी जी स्वयं चलकर आती हैं।
दोस्तों,आशा करता हूँ कि आचार्य चाणक्य के ये अनमोल विचार आपके जीवन के हर मोड़ पर आपके काम आयेंगे और आपको पहले से ज्यादा चतुर और बुद्धिमान बनायेंगे जिसके प्रभाव से आप अपना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कद ऊँचा पायेंगे।
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धन्यवाद | शुक्रिया | मेहरबानी
आपका दोस्त / शुभचिंतक : अमित दुबे ए मोटिवेशनल स्पीकर Founder & CEO motivemantra.com