गीता क्या है, गीता क्यों है, गीता किसके लिए है, गीता को भगवान विष्णु ने सबसे पहले किसको सुनाया था, गीता को कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत की लड़ाई के दौरान अर्जुन को ही क्यों सुनाया गया…..? सब कुछ बताएँगे, गीता में बताये गए हर एक श्लोक से (आगे आने वाले आर्टिकल में) आपको बखूबी रूबरू भी कराएँगे, बस बने रहिएगा हमारे साथ क्योंकि हम नहीं करते फिजूल की बात, हमारे वेबसाइट पर होती है सिर्फ और सिर्फ काम की बात, तो आइये अब शुरू करते हैं > “गीता का इतिहास (उत्पत्ति और रहस्य)“।
गीता का इतिहास (उत्पत्ति और रहस्य)
गीता का इतिहास
गीता भगवान श्री विष्णु जी की वाणी है जिसे सबसे पहले उन्होंने विवस्वान (सूर्य) को सुनाया था, जिसके पुत्र वैवस्वत मनु थे, इसके बाद यह ऋषिमुनियों द्वारा राजा महाराजाओं को सुनाया जाने लगा जिसके अनुसार ही वह अपना राज-पाठ चलाते थे। धीरे-धीरे यह परंपरा लुप्त होने लगी जिसके कारण भगवान विष्णु ने इसे आम मनुष्य तक पहुँचाने का जरिया महाभारत की लड़ाई को बनाया जिसमें उन्होंने अर्जुन को गीता का सार सुनाया।
इसके अलावा गीता का उपदेश महर्षि वेदव्यास (जो कि महाभारत के रचनाकार हैं) ने महाभारत की रचना को लिखित रूप देते हुए श्री गणेश को सुनाया जब वे उनके कहने पर महाभारत ग्रन्थ को लिख रहे थे।
श्री गणेश के अलावा महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों वैशम्पायन, जैमिनी पैल आदि को भी महाभारत की कथा सुनाते समय गीता का उपदेश भी सुनाया था। ऋषि वैशम्पायन ने राजा जनमेजय के सभा में सम्पूर्ण महाभारत कथा सुनाया जिसमें उन्होंने गीता का उपदेश भी सुनाया था।
ऋषि उग्रश्रवा (जिन्होंने ऋषि वैशम्पायन से गीता का उपदेश सुना था) ने नैमिषारण्य में शौनक जी के आग्रह पर वहां पर उपस्थित तमाम तपस्वियों को गीता का उपदेश सुनाया था। कुछ इस तरह का रहा था गीता का इतिहास जो कि अब हमारे बीच लिखित रूप में मौजूद है।
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गीता की उत्पत्ति
वैसे तो गीता की उत्पत्ति तभी से मानी जाएगी जब इसे भगवान विष्णु ने सूर्य देवता को सुनाया था लेकिन इसकी असली उत्पत्ति 5000 साल पूर्व महाभारत की लड़ाई के दौरान कुरुक्षेत्र के मैदान में जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुनाया तब से ही मानी जाती है जिसे अर्जुन के अलावा महर्षि वेदव्यास की दिव्यदृष्टि कृपा से धृतराष्ट्र के सारथि संजय ने सुना और धृतराष्ट्र को भी सुनाया, गीता की गड़ना उपनिषदों में की जाती है इसीलिए इसे गीतोपनिषद भी कहा जाता है दरअसल यह महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है।
सर्वप्रथम गीता की उत्पत्ति देव भाषा संस्कृत में हुई थी जिसे महर्षि वेदव्यास जी ने ब्रह्मा जी की मदद से श्री गणेश भगवान के द्वारा लिखित रूप में आम मनुष्यों तक पहुंचाने के लिए प्रयास किया जिसके अंतर्गत महर्षि वेदव्यास बोलते गए और श्री गणेश जी लिखते गए।
जब महर्षि वेदव्यास जी ने मन ही मन महाभारत ग्रन्थ की रचना की थी तो ब्रह्मा जी ने उन्हें सुझाव दिया था कि इसे लिखित रूप देने के लिए आप श्री गणेश जी का आह्वान करें, जिस आह्वान पर श्री गणेश जी ने महाभारत ग्रन्थ को लिखा जिसमें गीता का सार भी कहा गया था।
गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं जिनमें अर्जुन ने सवाल किये हैं और श्री कृष्ण ने जबाब दिए हैं। गीता में पूछा गया अर्जुन द्वारा हर एक सवाल मानव जाति के जीवन से सम्बंधित समस्याओं से जुड़ा हुआ है जिसका जबाब स्वयं भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने दिए हैं।
महाभारत के युद्ध के पहले दिन युद्ध शुरू होने से पहले श्री कृष्ण ने जब अर्जुन को गीता का ज्ञान सुनाया था उस दिन एकादशी तिथि थी, रविवार का दिन था और लगभग 45 मिनट का समय लगा था, जिसमें श्री कृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा था।
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गीता का रहस्य
गीता सिर्फ एक ग्रन्थ नहीं है बल्कि मानव जीवन का संविधान है जिसके द्वारा भगवान विष्णु ने समस्त मानव जाति को यह बताया है कि मनुष्य जीवन क्या है, इसे कैसे जीना चाहिए और जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों में क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए के बारे में बताया गया है।
आपको बताना चाहेंगे कि वैसे तो गीता हिन्दुओं की एक धार्मिक ग्रन्थ मानी जाती है लेकिन सच कहें तो यह धार्मिक पुस्तक है ही नहीं बल्कि यह एक मानवीय पुस्तक है जिसे हर एक मानव को अवश्य पढ़नी चाहिए।
दुनियाँ के ज्यादातर महान लोगों ने गीता को अवश्य पढ़ा है अब चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम हो, सिक्ख हो या फिर ईसाई हो, भारत के ही महान लोगों की बात करें तो स्वामी विवेकानंद, श्री शील प्रभुपाद, महात्मा गाँधी, नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ जैसे सभी लोगों ने गीता को अपनाया है।
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गीता का इतिहास (उत्पत्ति और रहस्य)
निष्कर्ष
दोस्तों, भगवान विष्णु के मुख से निकली गीता की हर एक वाणी हमारे जीवन-मरण से सम्बन्ध रखती है, गीता का तात्पर्य ही है मानव जाति को सुचारु रूप से चलाने के बारे में बताना और मानव जीवन को सामान्य से बेहतर बनाना।
गीता धर्म सिखाती है, गीता कर्म सिखाती है, गीता भटके को राह दिखाती है, गीता बुज़दिल को साहसी बनाती है, गीता जीवन को कैसे जीना चाहिए इसके बारे में बताती है, और सबसे बड़ी बात यह है कि गीता मरणोपरांत इंसान को मोक्ष के द्वार तक ले जाती है।
अब सवाल यह है कि अगर गीता हमें इतना सब कुछ देती है तो फिर हम गीता को अपनाने और पढ़ने में आलस्य क्यों करते हैं, आप गीता को पढ़कर अगर समझ लेते हैं और उसी के अनुसार अपना जीवन जीने लगते हैं तो आपका जीवन सामान्य से बेहतरी की दिशा में जाने लगता है और यही गीता की सबसे बड़ी ताकत है।
गीता में मानव जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान स्वयं भगवान विष्णु ने बताया है जिसमें सुख-दुःख, जीवन-मरण, कर्म-भाग्य, पाप-पुण्य, लाभ-हानि, धर्म-अधर्म आदि सहित सभी विषयों के बारे में बखूबी चर्चा किया गया है।
दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके ज्ञान के भंडार को पहले से और बेहतर बनायेगा साथ ही आपको बुद्धजीवियों की श्रेणी में लेकर जायेगा,
तो आज के लिए सिर्फ इतना ही, अगले आर्टिकल में हम फिर मिलेंगे, किसी नए टॉपिक के साथ, तब तक के लिए, जय हिन्द-जय भारत।
लेखक
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