खुश कैसे रहें | खुश रहने के लिए क्या करें ? > खुश रहना भी एक कला है और जिसने भी इस कला को सीख लिया वह किसी भी परिस्थितियों में अपने को खुश रखते हुए अपना जीवन सुखमय तरीके से गुज़ार सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या यह मुमकिन है ? हाँ-हाँ बिलकुल मुमकिन है, पर कैसे ? बस बने रहिये हमारे साथ क्योंकि इस आर्टिकल में होगी सिर्फ और सिर्फ खुश कैसे रहें ? इस मुद्दे पर बात, तो आइये अब शुरू करते हैं।
खुश कैसे रहें | खुश रहने के लिए क्या करें ?
खुश कैसे रहें ?
खुश कैसे रहें ? यह सवाल बहुत आसान भी हो सकता है और बहुत कठिन भी क्योंकि अलग-अलग लोगों के खुश रहने के कारण भी अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे :
- कोई पैसे में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई प्यार में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई दूसरों के दुःख में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई दूसरों के ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई स्वादिष्ट खाने में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई भरपूर नींद में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई भौतिक वस्तुओं में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई पराई स्त्री में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई शराब के मैखाने में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई खुद को महत्वपूर्ण कहलवाने में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई महफ़िल में रंग जमाने में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई समाज में इज़्ज़त पाने में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई पढ़ने-पढ़ाने में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई अध्यात्म के खजाने में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
- कोई ईश्वर को पाने में अपनी ख़ुशी ढूंढता है।
जैसा कि ऊपर हमने खुश रहने के 15 उदाहरणों की चर्चा की है, पर इतना ही नहीं खुश रहने के और भी बहुत सारे कारण हो सकते हैं लेकिन क्या वाकई में ये सब असली ख़ुशी देने वाले हैं ?
अब यहाँ पर आप कह सकते हैं कि > हाँ-हाँ क्यों नहीं, आखिर यही तो वे कारण हैं जिनसे जीवन में खुशियाँ मिलती हैं, है ना दोस्तों ? बिलकुल यही सब तो हमारे जीवन में खुशियाँ लाते हैं बगैर इनके मानव जीवन में आनंद कहाँ ? मानव जीवन तो सुख भोगने के लिए है और जिसने यह सब खुशियाँ नहीं हासिल की उसका क्या जीना और क्या मरना।
दोस्तों, एक बहुत बड़ा तबका ऊपर दिए गए सभी बातों का समर्थन करता है और मजे की बात कि वह इन सभी को हासिल भी कर लेता है और कुछ पल, घंटे, दिन, सप्ताह, महीना या साल तक भोग भी कर लेता है और फिर कहता है कि “जिंदगी झंड है” अर्थात जीवन में कुछ भी नहीं रखा है।
असली ख़ुशी क्या होती है ?
असली ख़ुशी क्या होती है ? उसके मायने क्या होते हैं ? आखिर कैसे इंसान खुश रह सकता है ? क्या ख़ुशी का भी अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग महत्व होता है ? यदि हाँ तो कहाँ पर कैसे खुश रहा जा सकता है ? इसके बारे में हम विस्तार से जानेंगे।
इंसान की जिंदगी कई टुकड़ों में बँटी होती है जैसे – दोस्त, परिवार, समाज, कार्यस्थल और उनका सम्पूर्ण जीवन। अधिकतर देखा जाता है कि जैसे ही एक बच्चा तेरहवें साल की दहलीज पर कदम रखता उसके दिमाग और शरीर में बहुत सारे परिवर्तन होने लगते हैं। मन में बहुत सारी इच्छाएं जन्म लेने लगती हैं जिसके भाव और अभाव में कभी ख़ुशी कभी गम का एहसास भी होने लगता है।
इंसान के असली जीवन की शुरुआत 13 साल के बाद ही होती है क्योंकि इससे पहले वह एक अबोध बालक या बालिका होता या होती है लेकिन बचपन से किशोरावस्था में कदम रखते ही जीवन बड़ी ही तेजी से बदलने लगता है और शुरू होता है एक आयाम जो इंसान को कुछ आभास कराता है जिसमे ख़ुशी नामक एक आभास बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है, तो आइये आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि कहाँ और किस माहौल में कैसे खुश रहा जा सकता है।
दोस्तों में खुश कैसे रहें ?
दोस्ती एक ऐसा एहसास होता है जो अपने आप में बहुत खाश होता है। हर इंसान के जीवन में एक ऐसा पड़ाव आता है जब उसके दोस्त ही उसके सबसे खाश होते है अब सवाल यह है कि उनके बीच रहते हुए खुश कैसे रहें ?
वैसे तो दोस्तों के बीच रहना ही ख़ुशी का एक कारण होता है क्योंकि दोस्ती का माहौल ही कुछ ऐसा होता है जिसमे खुशियाँ ही खुशियाँ मिलती हैं। लेकिन जो लोग हंसमुख और मिलनसार तथा दूसरों का ख़याल रखने वाले साथ ही उनके सुःख-दुःख में शामिल रहते हैं वे लोग अपने दोस्तों के समूह में खाश दृष्टि से देखे जाते हैं और वही खाश दृष्टि से देखा जाना एक अलग प्रकार के ख़ुशी का एहसास देता है।
दोस्तों में खुश ऐसे रहें :
- दोस्तों के साथ इज़्ज़त से पेश आएं।
- हँसी-मज़ाक का माहौल बनाएं।
- उनके सुनें और अपनी मनवाएँ।
- बेवजह में कलेश ना फैलाएं।
- उनकी बातों में सहमति जतायें।
पढ़ाई में खुश कैसे रहें ?
पढ़ाई एक ऐसा जरिया है जिसके द्वारा जमीन से आसमान तक का सफर तय किया जा सकता है लेकिन इसके लिए किताबों से मोहब्बत करनी होगी और किताबों से मोहब्बत करने के लिए यह समझना होगा कि आप उन किताबों को क्यों पढ़ रहे हैं।
जिसने भी किताबों को पढ़ने का कारण जान लिया उसे पढ़ाई करने में ख़ुशी का अनुभव होगा और वह उन्हीं किताबों के सहारे एक दिन अपना और अपने परिवार का नाम रौशन करता है। पढ़ाई में खुश रहने के लिए इंसान के अंदर पढ़ने की जिज्ञासा होनी चाहिए और जिज्ञासा तब होगी जब इंसान को उस विषय से लगाव होगा।
पढ़ाई में खुश रहने के लिए इन्हें समझें :
- शिक्षा जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
- शिक्षित व्यक्ति सम्मान का हक़दार होता है।
- शिक्षा जानवर को भी इंसान बना देता है।
- शिक्षा से ही विकास का रास्ता खुलता है।
- शिक्षा जीवन को सार्थक बनाता है।
परिवार में खुश कैसे रहें ?
अगर परिवार में ख़ुशी का माहौल हो तो बाहर के गम काफी कम हो सकते हैं वहीं दूसरी तरफ बाहरी ख़ुशी कितनी भी हो लेकिन अगर परिवार में ख़ुशी नहीं है तो सारी खुशियाँ बेकार हैं। अब सवाल यह उठता है कि परिवार में ख़ुशी का माहौल कैसे बनता है ?
घर के मुखिया की कमाई हालाँकि परिवार के ख़ुशी का पहला माध्यम होता है क्योंकि पुरे परिवार की खुशी उनकी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति से जुड़ी होती होती है इसके बावजूद भी एक माध्यम है जो पारिवारिक ख़ुशी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और वह है आपसी तालमेल जो निम्नलिखित हैं।
परिवार में खुश रहने के लिए यह करें :
- पति-पत्नी के बीच भावनात्मक और आदरणीय सम्बन्ध हो।
- बुजुर्गों का सम्मान हो और स्नेह भरा माहौल कायम रहे।
- अभिवावकों द्वारा बच्चों को सही संस्कार साथ में सच्चा प्यार मिले।
- अनुशासन हो अर्थात जिसकी जो सीमा हो उसी में रहे ।
- पूरा परिवार एक साथ बैठकर भोजन करे।
समाज में खुश कैसे रहें ?
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज के बिना शायद वह मनुष्य न रहकर कुछ और ही बन जाता है इसलिए जो वाकई में मनुष्य हैं उन्हें सामाजिक तो होना ही चाहिए। अब सवाल यह है कि समाज में खुश कैसे रहा जाए ?
समाज में खुश रहने के लिए यह करें :
- समाज के साथ सही तालमेल रखें।
- सबकी भावनाओं की क़द्र करें।
- लोगों के सुःख-दुःख में उनका साथ दें।
- सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें।
- अपनी साफ-सुथरी छवि से उनसे पेश आएं।
कार्यस्थल पर खुश कैसे रहें ?
एक कहावत है कि ” साँप और काम जहाँ मिलें उन्हें फ़ौरन ख़त्म कर दो वरना ये तुम्हें ख़त्म कर देंगे। काम को ख़त्म कर देना अर्थात काम को निपटा लेना ही कार्यस्थल पर सबसे बड़ी ख़ुशी देता है। नौकरी हो या व्यापार दोनों ही जगह इंसान को काम करना पड़ता है वो बात अलग है कि नौकरी में मालिक द्वारा जो काम दिया जाता है उसे करना पड़ता है और व्यापार में अपनी मर्जी से काम करना होता है।
कार्यस्थल पर जितना हो सके उतना काम करने की कोशिश करें क्योंकि यही वह स्थान होता है जो आपके अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है और इसी से आपकी साख भी बनती है यकींन मानिये अगर आप अपने काम से प्यार करेंगे तो आपका कार्यस्थल कभी भी आपको बोर नहीं करेगा बल्कि आपको वहाँ से हर प्रकार से ख़ुशी ही प्राप्त होगी हो सकता है कि तत्काल परिणाम ना देखने को मिले लेकिन दीर्घकाल में आपको ख़ुशी की अनुभूति का एहसास जरूर होगा।
कार्यस्थल पर खुश रहने के लिए यह करें :
- अपना काम मेहनत और ईमानदारी से करें।
- समय की कीमत को समझें उसे व्यर्थ न गवांयें।
- काम के समय पर काम पर ही ध्यान दें।
- काम से सम्बंधित लोगों से तहजीब से पेश आएं।
- मुस्कराहट और उत्साह में कमी ना लाएं।
जीवन में खुश कैसे रहें ?
यह जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी होती है और अफ़सोस की बात यह है कि एक बहुत बड़ा तबका इस ख़ुशी से मरहूम रह जाता है क्योंकि वह पूरी जिंदगी यही नहीं समझ पाता है कि आखिर वह इस दुनियाँ में आया क्यों है।
लक्ष्यहीन जीवन जीने वाला इंसान अपने जीवन में पूर्ण ख़ुशी प्राप्त नहीं कर सकता इसलिए हर एक इंसान के जीवन में कोई ना कोई लक्ष्य जरूर होना चाहिए और उस लक्ष्य को प्राप्त करने की राह में जो रोड़े आते हैं उनसे टकराते हुए आगे बढ़ने का मज़ा ही कुछ और है इससे जीवन में रोमांच आता है और सीधी सी बात है कि अगर जीवन में रोमांच है तो उससे बड़ी ख़ुशी और क्या हो सकती है।
जीवन में खुश रहने के लिए क्या करें ?
- जीने का मक़सद जानें।
- अपने-आप को समझें।
- अपने-आप से प्यार करें।
- लोगों को समझें।
- लोगों से प्यार करें।
- काम करने की आदत डालें।
- आध्यात्मिक बनें।
- ईमानदार रहें।
- हमेशा सच बोलें।
- मीठी वाणी बोलें।
- बड़े सपने देखें।
- सपने का पीछा करें।
- खुब दौलत कमाएं।
- खुद को मुल्यवान बनाएं।
- ईश्वर को मानें और मनाएं।
असल में हम खुश कैसे रहें ?
दोस्तों, सभी प्राणियों में सबसे ताक़तवर प्राणी मनुष्य ही है, क्योंकि उसके पास सोचने की असीम शक्ति है, वह चाहे तो क्या से क्या कर सकता है, लेकिन अपनी सीमित सोच में बंध जाने के कारण उसका पूरा जीवन रोटी, कपड़ा और मकान की इर्द-गिर्द ही घूमता रह जाता है वह जितना ही इनसे प्रेम करता है उतना ही इनके अभाव में दुःखी भी रहेगा।
सीधी सी बात है कि यह इंसानी फितरत है, अपने को न देखकर दूसरों की जिंदगी में झांकना, दूसरों से बहुत सारी अपेक्षाएं कर लेना, दूसरों की भौतिक सुखों को देखकर उनसे खुद का तुलना करना और यही सब कारणें होती हैं जो इंसान को बेवजह ही परेशान करने लगती हैं और वह अपने आप को दुःखी महसूस करने लगता है।
अगर इंसान बाहर की दुनियाँ से प्रभावित न होकर अपने अंदर की तरफ झांके और यह जानने की कोशिश करे कि :
- आखिर मै कौन हूँ ?
- मेरा अस्तित्व क्या है ?
- मै कहाँ से आया हूँ ?
- मै एक दिन कहाँ जाऊंगा ?
- आखिर मै इस दुनियाँ में क्यों आया हूँ ?
जितना समय इंसान दूसरों के जीवन में झाँकने में लगाता है, दूसरों के बारे में सोचने में लगाता है, उससे आधा समय भी वह अपने लिए 24 घंटों में सिर्फ 30 मिनट (आधा घंटा) एकांत में बैठकर आंख्ने बंद करके अपने बारे में,अपने जीवन के बारे में सोचे और सिर्फ यह जानने और समझने की कोशिश करे कि आखिर मै कौन हूँ ? और जिसने इस सवाल का जबाब ढूंढ लिया उससे ज्यादा सुखी और खुश कोई और नहीं हो सकता।
सारांश
दोस्तों, दूसरों से कुछ पाने की अपेक्षा ही हमारे दुःख का मूल कारण हैं, अगर इंसान स्वयं ही आत्मनिर्भर हो जाए स्वावलंबी हो जाए, त्यागी हो जाए तो उसे दूसरों से कुछ पाने की अपेक्षा नहीं होगी और वह अपने-आप में ही खुश रह सकता है, अर्थात दुनियाँ की ज्यादातर खुशियाँ इंसान के अंदर ही होती है लेकिन वह बाहर की दुनियाँ में भटकता रहता है इसलिए दुःखी रहता है जबकि अपने अंदर झांककर, अपनी जिंदगी में झांककर, अपनी अंतर-आत्मा में झांककर इंसान खुशी की उस चरम सीमा का अनुभव कर सकता है जो उसे बाहर की दुनियाँ में कभी भी नहीं मिल सकती है।
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लेखक परिचय
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