You Can Win|जीत आपकी|जीत का मंत्र > दोस्तों, “जिन्दगी एक खेल हैं और हम सब हैं इसके खिलाड़ी” जो जितना बड़ा खिलाड़ी होगा वो उतना ही बड़ा विजेता होगा। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आख़िर बड़ा खिलाड़ी कैसे बना जाय क्योंकि जब तक बड़ा खिलाड़ी नहीं बनेंगे तब बड़े विजेता नहीं बनेंगे।
You Can Win|जीत आपकी|जीत का मंत्र
You Can Win|जीत आपकी|जीत का मंत्र
आज के इस आर्टिकल में हम इसी बात पर चर्चा करेंगे कि आख़िर बड़ा खिलाड़ी कैसे बना जाय।
यहाँ पर हम इस आर्टिकल में आगे बढ़ने से पहले एक दोहे पर फोकस करेंगे………………………….
रहीम का यह दोहा तो आप लोगों ने पढ़ा ही होगा……………………………………………………………..
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत-जात के, सिल पर परत निशान।।
अर्थात : जिस प्रकार रस्सी के लगातार पत्थर पर रगड़ लगने के कारण पत्थर पर निशान पड़ जाता है बिलकुल उसी प्रकार निरंतर अभ्यास के द्वारा कोई भी साधारण व्यक्ति किसी भी काम में निपुण बन सकता है।
उदाहरण : एक छोटा बच्चा जब पहली बार स्कूल में जाता है और teacher उसे copy में पेन्सिल से एक लाइन खींचने को कहती है ( / ) तो क्या वो लाइन वह बच्चा पहली बार में खींच पाता है नहीं ना, और अगर खींच भी पाता है तो क्या वो बिलकुल सीधी होती है नहीं ना, लेकिन कुछ दिनों बाद वही बच्चा एक लाइन खींचता है ( / ) फिर दूसरी लाइन ( \)और फिर तीसरी लाइन ( – ) और फिर तैयार हो जाता है एक अक्षर (letter ) = A…..लेकिन यह A इतनी आसानी से नहीं बना था इसके लिए उस बच्चे ने कई दिन तक अभ्यास किया था।
दोस्तों, यही नियम हमें हमारे जीवन में भी अपनाने पड़ते हैं “निरंतर अभ्यास ” इसके द्वारा हम अपने जीवन में किसी भी उपलब्धि को हासिल कर सकते हैं। इस संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। सब कुछ संभव है बशर्ते कि हमें जो करना हैं, जो पाना है, उसे हासिल करने के लिए जो भी जानकारियां हैं उन्हें प्राप्त करनी होंगी और साथ ही उन पर निरंतर अभ्यास भी करने होंगे।
चाहे कोई भी खेल हो क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी, बैडमिंटन, तीरदांजी एक बड़ा विजेता बनने के लिए हमें बड़ा खिलाड़ी बनना ही होगा।
डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आदि ये सब अभ्यास के ही तो नतीजे हैं। लगभग 5 साल एक ही subject पर निरंतर focus करने के बाद ही ये डिग्रियाँ हासिल होती हैं।
एक ओलम्पिक का खिलाड़ी सिर्फ 15 मिनट के खेल प्रतियोगिता के लिए 15 साल तक प्रेक्टिस करता है तब जाकर वह Gold, Silver या Bronze मैडल जीत कर लाता है।
दोस्तों, अभी तक हमने अभ्यास के कई बिंदुओं पर चर्चा किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि अगर वाकई में जीत हासिल करनी है तो निरंतर अभ्यास तो करना ही होगा।
अब सवाल यह उठता है कि अभ्यास का स्वरुप क्या हो उसकी दिशा क्या हो और उसकी रफ़्तार क्या हो क्योंकि जब तक ये सब निश्चित नहीं होंगी तब तक अभ्यास का कोई फायदा नहीं है। तो आइये आगे बढ़ते हैं और आज के Topic पर चर्चा करते हैं।
: अगर आप एक सिंगर बनना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अच्छा गाना गाना आना चाहिए।
: अगर आप एक डांसर बनना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अच्छा डांस करना आना चाहिए।
: अगर आप एक पेंटर बनना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अच्छी पेंटिंग आनी चाहिए।
: अगर आप एक एक्टर बनना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अच्छी एक्टिंग करनी आनी चाहिए।
: अगर आप एक क्रिकेटर बनना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अच्छा क्रिकेट खेलना आना चाहिए।
मित्रों, अब आपके मन में एक सवाल जरूर पनप रहा होगा कि इसमें ऐसी कौन सी नई बात है ये तो हम सभी जानते हैं कि अगर इंसान को किसी भी काम में जीत हासिल करनी है तो उसके लिए कड़ी परिश्रम तो करनी ही होगी।
मै चाहता भी हूँ कि आपके मन कोई सवाल पनपे ताकि मुझे भी जबाब देने में मजा आये।
तो आइये फिर से आगे बढ़ते और आपके सवालों के जबाब ढूंढने की कोशिश करते हैं।
हम सभी यह जानते हैं कि अभ्यास के बिना सफलता का पूर्ण स्वाद हम नहीं चख सकते यह उतना ही सत्य है जितना कि “पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाना, जीवन के बाद मृत्यु का आना और होली के दिन सबका नहाना”।
कभी – कभी हमारे मन में कुछ अजीबो गरीब ख्याल आते हैं, ख्याल भी कुछ इस तरह के होते हैं……………………………………………………………………………………………….
: यार वो आदमी कितना अच्छा गाता है जैसे – मोहम्मद रफ़ी।
: यार उस लड़के ने कितना अच्छा डांस किया जैसे – माइकल जैक्शन।
: यार चेतन कितनी अच्छी पेंटिंग करता है जैसे – मक़बूल फ़िदा हुसैन।
: यार रोहित कितनी अच्छी एक्टिंग करता है उसे तो वॉलीवूड में जाना चाहिए।
: यार राहुल कितना अच्छा बैटिंग करता है उसे तो इंडियन टीम में होना चाहिए।
अफ़सोस की बात है कि इनमे से कोई भी उस मुकाम को नहीं पा सका जो शायद ये पा सकते थे। आखिर क्यों……………………………………………………………………………………………………………?
आज के इस आर्टिकल में हम इसी सवाल का जबाब ढूंढने की कोशिश करेंगे और साथ ही साथ इस बात पर से भी पर्दा उठाएंगे कि अभ्यास के द्वारा हम अच्छा प्रदर्शन तो कर पाते हैं लेकिन एक बड़ा मुकाम पाने में असफल रहते हैं।
यानी कि अभ्यास के आगे भी कुछ है जिसको शायद हम उतना तबज्जो नहीं देते और एक अच्छा सिंगर, डांसर, पेंटर, एक्टर और क्रिकेटर होते हुए भी अपने गली मोहल्ले से चलकर दूसरे गली मोहल्ले तक ही आपका कैरियर ख़त्म हो जाता है।
आखिर वो कौन सा रास्ता है जो आपको आपके मुकाम तक पहुंचा सकता है………………………….?
ज़िद हाँ दोस्तों ज़िद यही वो रास्ता है जो आपको आपके मुकाम तक पहुंचा सकता है।
हिंदुस्तान के मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिंद्रा जी कहते हैं कि
जिद्दी आदमी ही इतिहास रचता है, हाँ साहेब जिद्दी आदमी ही इतिहास रचता है
आपके मार्गदर्शन के लिए नीचे एक वीडियो लिंक दिया जा रहा है इसे जरूर देखें >>>>>>>>>>>
जहाँ तक मै समझता हूँ कि आपने इस वीडियो को देख लिया होगा और अगर नहीं देखा है तो अभी भी देख लीजिये क्योंकि यह वीडियो आपके अंदर के तूफान को जगा देगा और हो सकता है कि आज से ही आपके जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो जाए।
इस वीडियो में दशरथ मांझी की कहानी को आपने देखा और सुना कैसे उन्होंने एक ज़िद को पाला और एक पहाड़ के सीने को चीर कर उसके बीचों बीच सड़क तैयार कर दी।
क्या आप भी ऐसा ज़िद अपने लक्ष्य के प्रति पाल सकते हैं…………………………………………………..?
अगर हाँ तो दुनियाँ की कोई ताक़त आपको जीतने से नहीं रोक सकती। इतिहास गवाह है कि जब भी किसी इंसान ने किसी भी चीज को पाने की सच्ची ज़िद ठानी है तो उसने वो सब कुछ हासिल किया है जो भी वो प्राप्त करना चाहता था।
एक ज़िद आचार्य चाणक्य ने पाला था : जब मगध के राजा धनानंद ने चाणक्य की बेइज़्ज़ती की थी तो उन्होंने एक कसम खाई कि एक दिन मै तुम्हारे राज्य को तुमसे छीन लूंगा और क्या हुआ उन्होंने इस प्रतिरोध में चंदू को चन्द्रगुप्त बना दिया और घनानंद से बदला लिया।
एक ज़िद महात्मा गाँधी ने पाला था : महात्मा गाँधी को साऊथ अफ्रीका में गोरों ने ट्रैन के फर्स्ट क्लास डिब्बे से बाहर निकाल दिया था तब उन्होंने यह ज़िद पकड़ी थी कि ये अंग्रेजों आज तुमने मुझे इस ट्रेन के डिब्बे से बाहर निकाला है मै कसम खाता हूँ कि जब तक मै तुम्हे अपने देश से बाहर नहीं निकाल दूंगा तब तक मै चैन से नहीं बैठूंगा। और क्या हुआ उसी ज़िद ने एक दिन भारत को आज़ादी दिलाई।
एक ज़िद सचिन तेंदुलकर ने पाला था : जब मद्रास क्रिकेट एसोसिएशन ने सचिन को रिजेक्ट कर दिया था तो उन्होंने कहा था कि मै खेलेगा, मै खेलेगा, मै खेलेगा और वे ऐसा खेले कि और क्या हुआ भारतीय क्रिकेट जगत को क्रिकेट का भगवान् मिल गया।
मित्रों, अगर आप भी ऐसा ही ज़िद अपने अंदर पाल सकते हैं जो इन लोगों ने पाला था तो आप भी जिंदगी का कोई भी जंग जीत सकते हैं।
चाहे खेल का मैदान हो, कोई भी प्रतियोगिता हो या फिर जिंदगी की जंग हो ये ज़िद एक ऐसी रणनीति होती है जो आपको एक दिन जीत हासिल करा कर ही दम लेती है। लेकिन ज़िद सकारात्मक होनी चाहिए नकारात्मक नहीं।
एक लक्ष्य एक दिशा उस पर चढ़ जाए ज़िद का नशा
फिर चलता जा…चलता जा…चलता जा,डर कैसा…डर कैसा…डर कैसा
तो सोच क्या रहे हैं आज से ही अपने लक्ष्य के प्रति अपने ज़िद को पालें और खुद को सामान्य से बेहतर बना लें मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं।
आज के लिए सिर्फ इतना ही अगले आर्टिकल में हमारी फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए
जय हिन्द…………………………………………..जय भारत
आपका दोस्त शुभचिंतक > अमित दुबे ए मोटीवेशनल स्पीकर
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Republican battle to pick next speaker is just beginning
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